Saturday 31 December 2011

कई मायनों में ऐतिहासिक रहा वर्ष 2011

Vir Arjun, Hindi Daily Newspaper Published from Delhi
Published on 31st December 2011
अनिल नरेन्द्र
वर्ष 2011 कई मायनों में एक ऐतिहासिक साल रहा। 2011 में जो कुछ हुआ वह स्वतंत्र भारत के इतिहास में शायद ही पहले हुआ हो। अगर इस साल को घोटालों के पर्दाफाश का साल कहा जाए तो गलत नहीं होगा। एक तरफ घोटाले तो दूसरी तरफ बढ़ते भ्रष्टाचार के खिलाफ जन आंदोलन। भ्रष्टाचार के खिलाफ मजबूत लोकपाल की मांग को लेकर किए गए समाजसेवी अन्ना हजारे के गैर-राजनीतिक आंदोलन ने निश्चित रूप से देश की राजनीति को इस साल सबसे ज्यादा प्रभावित किया। सरकार ही नहीं, दूसरे दल भी अन्ना को मिले व्यापक जन समर्थन के आगे बौने नजर आए। अन्ना के दबाव का ही नतीजा था कि सरकार संसद में लोकपाल का विधेयक पेश करने पर मजबूर हुई। साल की बड़ी घटनाओं में स्वामी रामदेव के कालेधन के खिलाफ चलाए जा रहे आंदोलन बेशक अभी तक रंग नहीं ला सका पर उसने एक माहौल बनाने में तो मदद की। 4 जून की वह याद भी वर्षों तक याद रहेगी जब पुलिस ने रामलीला मैदान में शांतिप्रिय धरना दे रहे रामदेव समर्थकों को इतनी बेरहमी से पीटा कि एक भक्त राज बाला तो मार से चल बसी। पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस की जीत इस साल की एक बहुत महत्वपूर्ण घटना थी। ममता बनर्जी ने सूबे का 34 वर्षों का इतिहास बदल कर रख दिया और कामरेडों को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखा दिया। तमिलनाडु में जयललिता ने करुणानिधि एण्ड कम्पनी का बोरिया-बिस्तर समेट दिया। करुणानिधि के लिए तो वर्ष 2011 न भूलने वाला साल रहा। 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में पहले उनकी पार्टी के ए. राजा तिहाड़ जेल पहुंचे, रही-सही कसर पुत्री कनिमोझी के तिहाड़ पहुंचने से पूरी हो गई। कॉमनवेल्थ गेम्स के सफल आयोजन का श्रेय सरकार को नहीं मिला क्योंकि सांसद व आयोजन समिति के प्रमुख सुरेश कलमाड़ी को भ्रष्टाचार के मामले में जेल जाना पड़ा। 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में तो कई नामी-गिरामी नेता, अफसर गण तिहाड़ पहुंचे। तिहाड़ वीवीआईपी जेल इस साल बन गई। जनता पार्टी के नेता डॉ. सुब्रह्मण्यम स्वामी ने 2जी स्पेक्ट्रम मामले में गृहमंत्री पी. चिदम्बरम की भूमिका को अदालत में चुनौती दे रखी है। चिदम्बरम जिन्होंने मजबूती से अपना काम शुरू किया था, साल समाप्त होते-होते एक बहुत कमजोर और लाचार, मुंह लटकाए हुए गृहमंत्री साबित हुए। अभी तो अदालत में चल रही कार्रवाई का परिणाम सामने आना है। कैश फॉर वोट कांड में राज्यसभा सांसद अमर सिंह, भाजपा के पूर्व सांसद महावीर भगोरा और फग्गन सिंह कुलस्ते को तिहाड़ जाना पड़ा। भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने कालेधन और भ्रष्टाचार को लेकर देशव्यापी यात्रा की। राजस्थान में भंवरी देवी मामला सारा साल सुर्खियों में रहा। इंटरनेट और सोशल मीडिया की शक्ति का पहली बार इस साल अहसास हुआ जब मध्य-पूर्व के कई देशों में जनक्रांति का आगाज हुआ और कई देशों में सत्ता परिवर्तन हुआ। निश्चित रूप से साल 2011 सोशल मीडिया के लिए मील का पत्थर रहा। फेसबुक के लिए तो बेहद खास। सोशल मीडिया के रूप में आम आदमी के हाथों में आई इस तोप का धमाका 2011 में सुनाई दे चुका है और आने वाले वर्षों में यह और ताकतवर होगा। कुल मिलाकर कई मायनों में यह साल महत्वपूर्ण रहा। मैं अपनी और अपने तमाम साथियों की ओर से आपको नव वर्ष की शुभकामनाएं देता हूं और उपर वाले से प्रार्थना करता हूं कि वर्ष 2012 सबके लिए मंगलमय रहे।
Anil Narendra, Daily Pratap, Happy New Year, Roundup 2011, Vir Arjun

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