माता वैष्णो देवी की मान्यता बढ़ती जा रही है। हालांकि यह यात्रा आसान नहीं पर इससे माता के भक्तों पर कोई असर नहीं पड़ता। उत्तर भारत का यह निश्चित रूप से सबसे बड़ा तीर्थस्थल बन गया है। 2011 में यहां श्रद्धालुओं की संख्या एक करोड़ पार कर जाएगी। हालांकि वैष्णो देवी स्थापना बोर्ड को पिछले साल ही यह संख्या पार करने की उम्मीद थी पर उसे 87 लाख की संख्या वाले नए रिकॉर्ड से ही संतोष करना पड़ा। लेकिन इस साल यह संख्या एक करोड़ पार कर लेगी। यह तब है कि जब इस समय कश्मीर के साथ-साथ कटरा और वैष्णो देवी में भी कड़ाके की सर्दी पड़ रही है। साल के अंतिम सप्ताह में तो इतनी भीड़ होती है कि श्रद्धालुओं के लिए रहने की जगह कम पड़ जाती है। बेशक बोर्ड ने सारे रास्ते पर भारी व्यवस्था कर रखी है पर पहाड़ी इलाका होने के कारण पशासनिक मुश्किलें तो आती ही हैं। भारी सर्दी, बारिश के कारण फिसलन भी माता के भक्तों के कदम नहीं रोक पा रही है। यह इसी से साबित होता है कि अभी भी पतिदिन 15 से 16 हजार श्रद्धालु दर्शनार्थ आ रहे हैं। वैसे श्राइन बोर्ड के अधिकारियों को सर्दी की छुट्टियों में इस भीड़ में इजाफा होने की उम्मीद है और इसी उम्मीद के साथ ही यह भी आस बंध गई है कि यात्रा का आंकड़ा नया रिकार्ड बनाएगा। वैसे तो यह रिकॉर्ड पिछले साल ही बढ़ जाता पर पिछले साल घाटी में असंतोष पत्थर बाजी इत्यादि से श्रद्धालु रुक गए। बहुत से लोग डर गए और यह नहीं समझ पाए कि कश्मीर घटी के हालातों का कटरा, वैष्णो देवी पर असर नहीं पड़ता। फिर कई बार यह चेतावनी दी गई कि वैष्णो देवी आतंकवादियों के निशाने पर है, ने भी श्रद्धालुओं के बढ़ते कदमों को रोका। लोगों ने अपनी तय की हुई यात्राएं कैंसिल कर दी। पर इस साल एक करोड़ संख्या पार करने से श्राइन बोर्ड में भारी उत्साह है, होना भी चाहिए। यात्रियों की सुविधा में हमेशा सुधार का तत्पर श्राइन बोर्ड नई-नई स्कीमें ला रहा है। इनमें एक है कटरा के बेस कैम्प से लेकर वैष्णो देवी भवन और भवन से लेकर भैरो घाटी तक रोप वे की स्कीम। यह स्कीम जोरों से चल रही है। इससे उन यात्रियों को जरूर सुविधा हो जाएगी जो उम्र या बीमारी की वजह से पहाड़ पर नहीं चढ़ सकते। इसके साथ ही कटरा से लेकर भवन तक के 13 किलोमीटर के रास्ते पर सुविधाओं को बढ़ाया जा रहा है। दरअसल बढ़ती भीड़ के कारण हर बार श्राइन बोर्ड की व्यवस्थाएं कम पड़ जाती हैं। खासकर गर्मियों की छुट्टियों और नवरात्रों में भीड़ के कारण उसे हर बार शर्मिंदा होना पड़ता है। पर यह भी सच्चाई है कि श्राइन बोर्ड की तमाम कोशिशों के बावजूद भक्तों की शिकायतें अब भी बरकरार हैं। सबसे ज्यादा शिकायतें भक्तों की पवित्र गुफा के भीतर माता की पिंडियों के दर्शनार्थ मिलने वाले के समय के पति है। भारी भीड़ के कारण पंडित उन्हें इतना भी समय माता के दरबार के सामने नहीं देते कि वह अपनी दिल की मुराद कह सकें। इसलिए कुछ भक्त तो गुफा में घुसते ही अपनी मुराद मांगना शुरू कर देते हैं। पर पंडों को भी दोष नहीं दिया जा सकता जब भक्तों की भीड़ इतनी ज्यादा हो जाएगी तो उन्हें जल्दबाजी करनी ही पड़ती है। कुछ वर्ष पहले सुपीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में माता वैष्णो देवी स्थापना बोर्ड के सरकारी संस्थान होने का दावा करने वाली एक विशेष अनुमति याचिका को खारिज कर दिया था। इसके बाद अब वैष्णो देवी स्थापना बोर्ड एक गैर सरकारी संस्था मानी गई और उसके खिलाफ कोई रिट याचिका नहीं की जा सकती। जय माता दी।
Anil Narendra, Daily Pratap, Jammu Kashmir, Mata Vaishno Devi, Vir Arjun
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