बुधवार को दिल्ली हाई कोर्ट में एक अजब ही नजारा था। मामला था दिल्ली के स्कूलों और कॉलेजों में जंक फूड को बैन करने का। आमतौर पर हाई कोर्ट में वादी और प्रतिवादी के वकील अपनी-अपनी दलीलें पेश करते नजर आते हैं पर बुधवार को कुछ स्कूली बच्चे अदालत में पेश हुए और जंक फूड को बैन करने के लिए अदालत से गुहार लगाई। एक्टिंग चीफ जस्टिस एके सीकरी की अगुवाई वाली बैंच ने बच्चों की दलीलों को काफी गम्भीरता से लिया और दूसरे पक्षों से जवाब दाखिल करने को कहा। बच्चों ने जज अंकल से कहा, `जंक फूड को बैन करो, प्लीज।' बच्चों ने अनुरोध किया कि जंक फूड पर स्कूलों की कैंटीन और उसके आसपास बिक्री पर बैन लगाया जाना चाहिए। अदालत के सामने गौतम नगर स्थित फादर एग्नल स्कूल के कुछ बच्चे हाई कोर्ट में पेश हुए। करीब 12 से 16 साल के इन स्कूली बच्चों के साथ इनकी टीचर भी थीं। स्कूली बच्चों के वकील ने माननीय न्यायाधीशों से कहा कि इन बच्चों ने जंक फूड के खिलाफ एक अभियान चलाया है और ये अदालत से कुछ कहना चाहते हैं। फिर हाई कोर्ट की डबल बैंच उनसे मुखातिब हुई। बच्चों के ग्रुप से एक लड़की आगे बढ़ी और कहा कि हम सब फादर एग्नल स्कूल से हैं और हम जंक फूड पर बैन चाहते हैं। साथ ही उसने जस्टिसों की तरफ अपना रिप्रेंजेंटेशन और पोस्ट कार्ड बढ़ाया। करीब 15 साल की इस लड़की ने हाई कोर्ट के जजों से कहा कि वह तमाम स्टूडेंट की तरफ से उन्हें आवेदन दे रही है, जिस पर गौर किया जाना चाहिए। बच्चों की इस रिप्रेंजेंटेशन में कहा गया कि यह मामला काफी महत्वपूर्ण है। जंक फूड खाने से बच्चे आलसी हो रहे हैं और भविष्य के लिए यह फूड खतरनाक है। कई रिसर्चों से पता चला है कि इसमें बच्चों का आईक्यू लेवल कमजोर होता है और उनकी क्षमता कमजोर हो रही है। जंक फूड एक लत की तरह होता है, जो स्लो डैथ की तरफ ले जाता है। अपने रिप्रेंजेंटेशन में बच्चों ने कहा कि सरकार की यह संवैधानिक जिम्मेदारी है कि वह बच्चों के अधिकारों की रक्षा करे। बच्चों को तो यह पता नहीं होता कि उनके लिए अच्छा क्या है और बुरा क्या। यूएनके चार्टर में भी बच्चों के अधिकारों के संरक्षण की बात कही गई है। अगर बच्चों की सेहत खराब होगी तो देश का भविष्य प्रभावित होगा और देश को दूरगामी नुकसान होगा। माननीय न्यायाधीशों ने कहा कि बच्चों द्वारा उठाए गए सवाल काफी अहम हैं। उन्होंने फूड प्रोसैसिंग व वितरण कम्पनियों की एसोसिएशन व केंद्र सरकार से इस मामले पर एक सप्ताह में जवाब मांगा है। इतना ही नहीं, पीठ ने कम्पनियों की एसोसिएशन से पौष्टिक आहार का विकल्प भी तैयार करने को कहा। वहीं केंद्र सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता एएस मांडिहोक ने कहा कि शिक्षण संस्थानों व इसके आसपास जंक फूड की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने के लिए सभी राज्य सरकारों और विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को निर्देश जारी किए गए थे। जिसका जवाब आने लगा है। उन्होंने कहा कि अगली सुनवाई 11 जनवरी को इन्हें पेश कर दिया जाएगा। जंक फूड से न सिर्प मोटापा ही बढ़ता है बल्कि मधुमेह (डायबिटीज) जैसी गम्भीर बीमारियां भी हो रही हैं। हाल ही में एक सर्वे से यह साबित हुआ है। बच्चों ने अब खुद ही बीड़ा उठाया है। देखें कि उनका यह अभियान क्या रंग लाता है। सारी दुनिया में अब इस जंक फूड का विरोध हो रहा है।
Anil Narendra, Daily Pratap, Delhi High Court, Junk Food, Vir Arjun
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