Saturday, 3 December 2011

आईएम के खतरनाक मॉड्यूल का पर्दाफाश

Vir Arjun, Hindi Daily Newspaper Published from Delhi
Published on 3rd December 2011
अनिल नरेन्द्र
एंटी टेरेरिस्ट ऑपरेशंस में हमारी सुरक्षा एजेंसियों को एक शानदार सफलता मिली है। पाकिस्तानी आतंकी संगठन हिज्बुल मुजाहिद्दीन का जूनियर कहे जाने वाले इंडियन मुजाहिद्दीन आतंकी संगठन के नापाक इरादों का खुलासा हुआ है। भारतीय खुफिया तंत्रों की सहायता तथा अंतर्राष्ट्रीय पुलिस तालमेल के चलते बिहार, चेन्नई व दिल्ली की स्पेशल सेल और क्राइम ब्रांच ने आधा दर्जन आतंकवादियों को गिरफ्तार किया है। दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल ने इंडियन मुजाहिद्दीन के विशाल नेटवर्प का भी भंडाफोड़ किया है। पुलिस ने जिन छह आतंकवादियों को पकड़ा है उनमें एक पाकिस्तानी भी है। इन लोगों ने जामा मस्जिद गोली कांड, पुणे में जर्मन बेकरी व बेंगलुरु में चिन्नास्वामी स्टेडियम में ब्लास्ट को अंजाम दिया था, कम से कम ऐसा दिल्ली पुलिस का दावा है। इन आतंकवादियों के पास से दो एके-47 राइफल, 50 से ज्यादा कारतूस, विस्फोटक पदार्थ, डेटोनेटर व दो लाख रुपये के नकली नोट बरामद हुए हैं। गिरफ्तार आतंकवादियों में मोहम्मद आदिल उर्प अजमल, मोहम्मद कतिल सिद्दीकी उर्प सज्जन, मोहम्मद इरशाद खान, गौहर अजीज अहमद जमाली और अब्दुर रहमान शामिल हैं। ये सभी इंडियन मुजाहिद्दीन के नेटवर्प से जुड़े थे। मोहम्मद आदिल पाकिस्तान का रहने वाला है। वह अगस्त 2010 में भारत आया था। दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा के उपायुक्त अशोक चांद की देखरेख में स्पेशल सेल के एसीपी कुमार यादव, निरीक्षक ललित मोहन नेगी, हृदय भूषण एवं उपनिरीक्षक चंदिका प्रसाद व 35 पुलिसकर्मियों की टीम ने इन आतंकियों का भंडाफोड़ किया। पुलिस के मुताबिक इन आतंकियों ने वर्ष 2010 में 13 फरवरी को बेंगलुरु के चिन्नास्वामी स्टेडियम में ब्लास्ट, 17 अप्रैल को पुणे के जर्मन बेकरी ब्लास्ट व 19 सितम्बर को जामा मस्जिद के बाहर विदेशी नागरिकों पर हुई गोली कांड को अंजाम दिया था। दिल्ली पुलिस ने केंद्रीय खुफिया एजेंसियों, पश्चिम बंगाल, बिहार व तमिलनाडु पुलिस की मदद से इन छह आतंकवादियों को पकड़ा। स्पेशल सेल को 22 नवम्बर को सूचना मिली थी कि इंडियन मुजाहिद्दीन का एक मॉड्यूल दिल्ली में सक्रिय है। इस सूचना की जांच के दौरान पुलिस ने आनन्द विहार बस अड्डे के पास से मोहम्मद कतिल उर्प सज्जन को गिरफ्तार किया। दिल्ली में 2008 में सीरियल बम धमाकों के बाद हुए बटला हाउस एनकाउंटर के बाद राजनीतिक आरोपों के चलते ठंडी पड़ी दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल को एक बार फिर वहीं से लीड मिली। दरअसल जिस बटला हाउस के चलते दिल्ली पुलिस के इंस्पेक्टर मोहन चन्द शर्मा शहीद हो गए और उसके बाद जो आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हुआ, उसने स्पेशल सेल की हिम्मत तोड़ दी। सेल का मनोबल बढ़ाने के लिए एक ज्वाइंट टीम बनाई गई। इस टीम में सेल के बेहतरीन अफसरों के साथ क्राइम ब्रांच और एसीपी संजीव यादव को जोड़ा गया। टीम का नेतृत्व क्राइम ब्रांच के डीसीपी अशोक चांद को सौंपा गया। आईएम के इस मॉड्यूल के भंडाफोड़ में सबसे पहले आनन्द विहार से पकड़े गए मोहम्मद कतिल सिद्दीकी दरअसल बटला हाउस में ही रह रहा था। लेकिन उसे चुपचाप वहां से निकालकर आनन्द विहार ले जाकर गिरप्तार किया गया। जहां हम दिल्ली पुलिस को इस शानदार सफलता की बधाई देना चाहते हैं, वहीं यह कहना भी जरूरी है कि यह विभिन्न राज्य पुलिस की आपस के बेहतर तालमेल का नतीजा है। विभिन्न जांच एजेंसियों और पुलिस में तालमेल का अभाव रहा है। यह प्रसन्नता की बात है कि अब यह दूर हो रहा है। पिछले कुछ दिनों से पुलिस की बात पर सीधा विश्वास करना थोड़ा कठिन-सा हो रहा है। कई केसों में पाया गया है कि वाहवाही लूटने के लिए पुलिस गिरफ्तारी तो बता देती है पर जैसे ही केस अदालत में जाता है, उड़ जाता है। हम उम्मीद करते हैं कि इस केस में पुलिस मुजरिमों का अपराध साबित कर पाएगी और उन्हें सजा दिलवाने में कामयाब रहेगी।
Anil Narendra, Daily Pratap, delhi Police, Indian Mujahideen, Terrorist, Vir Arjun

No comments:

Post a Comment