Sunday 11 December 2011

अब नजफगढ़ के इस सुल्तान को लारा का रिकार्ड तोड़ना बचा है


Vir Arjun, Hindi Daily Newspaper Published from Delhi
Published on 11th December 2011
अनिल नरेन्द्र
छोरे ने तो कमाल कर दिया। चौके पर चौका और छक्के पर छक्के मारकर म्हारी छाती चौड़ी कर दी। हम कई बरस तै उसके इस कमाल की बाट देख रहे थे। उसनै आज वो कमाल कर दिया। नजफगढ़ के लोग बृहस्पतिवार को अपने शेर सहवाग के बारे में ऐसा ही कुछ कहते दिख रहे थे। आखिर उनके छोरे ने इंदौर के होल्कर स्टेडियम में कमाल की बल्लेबाजी का प्रदर्शन किया था। बृहस्पतिवार को वेस्टइंडीज के खिलाफ नजफगढ़ के नवाब ने वन डे में रिकार्ड पारी खेली। 149 गेंदों पर 219 रन। उन्होंने सचिन तेंदुलकर द्वारा 24 फरवरी 2010 को ग्वालियर में खेले गए मैच में 117 गेंदों पर नाट आउट 200 रन बनाए थे। सचिन के बाद वन डे में डबल सेंचुरी जड़ने वाले सहवाग दूसरे बल्लेबाज हैं। एक इनिंग में 25 चौके लगाने वाले दूसरे बल्लेबाज। पहले यह कारनामा सचिन ने ग्वालियर में डबल सेंचुरी जड़कर किया था। वीरेन्द्र सहवाग एक मात्र ऐसे बैट्समैन हैं जिन्होंने टेस्ट क्रिकेट में दो ट्रिपल सेंचुरी और वन डे में डबल सेंचुरी बनाई है। इंदौर में वन डे के इतिहास में सहवाग ने सबसे तेज डबल सेंचुरी बनाई है। उन्होंने कुल 149 गेंदों में 219 रन बना डाले। सहवाग की स्पीड ही उनके खेल का सबसे बड़ा आकर्षण है। जब वहअपनी लय में हों तो कोई-सा भी बालिंग अटैक उनके सामने हो उसे धोकर रख देते हैं और चौकों, छक्कों की झड़ी लगा देते हैं। मोटेरा पर रवि रामपाल की पहली गेंद पर शिकार बने सहवाग ने रनों का अम्बार लगाकर साबित कर दिया कि इस खेल में कभी-कभार ऐसी भूल भी हो जाती है। अगर सहवाग की कोई कमजोरी है तो वह उनको इनकनसिसटेंसी है। यानि कि वह उनता ध्यान से नहीं खेलते जितनी उनसे अपेक्षा की जाती है। वह हर बाल को मारना चाहते हैं और वह भी खड़े-खड़े अपनी क्रीज के अन्दर से। उनकी लैग मूवमेंट न के बराबर होती है। यही वजह है कि वह रैकलैस शाट खेलकर अपनी विकेट फिजूल गंवा देते हैं। सचिन और उनमें बस यही फर्प है। सचिन ध्यान से खेलते हैं और इतनी आसानी से अपनी विकेट नहीं गंवाते। आज लोग सहवाग को सचिन के बराबर का बता रहे हैं। बेशक सहवाग ने सचिन से तेज सेंचुरी व डबल, ट्रिपल सेंचुरी बनाई हों पर मैं आज भी सचिन को विश्व का सबसे महान बल्लेबाज मानता हूं। वीरेन्द्र सहवाग का नम्बर सचिन के बाद ही आता है। महान सचिन तेंदुलकर ने ग्वालियर में वन डे क्रिकेट के इतिहास में पहला दोहरा शतक ठोंकने के बाद दावे से कहा था कि उनका यह रिकार्ड वीरेन्द्र सहवाग तोड़ डालेंगे। वीरू ने इंदौर में 219 रन ठोंककर अपने आदर्श की बात को सही साबित कर दिखाया। यह कहना शायद बेहतर होगा कि सचिन ने जो कीर्तिमान रचा था उसे सहवाग ने तोड़ा नहीं बल्कि खूबसूरती से उसमें नई इबारत जोड़ दी है। सचिन ने यह बात अनायास नहीं कही थी बल्कि उसके पीछे वीरू की शैली और उनके खेलने का बेधड़क अन्दाज है। पारी की पहली बाल हो या बड़ी उपलब्धि के करीब होने का अहसास, सहवाग का बल्ला एक ही लय-ताल में तूफानी गति से चमकता है। वीरू बल्लेबाजी कर रहे हों तो हर क्रिकेट प्रेमी उनका खेल देखने के लिए ठहरता जरूर है। तनाव और मानसिक बोझ से बेपरवाह वीरू का बेखौफ अन्दाज उन्हें पीढ़ी के शाहिद अफरीदी, रिकी पोंटिंग व क्रिस गेल सरीखे बल्लेबाजों से अलग खड़ा करता है जो बेशक तेज तो खेलते हैं पर नायाब पारी नहीं। बेखौफ खेल वीरू को महान विवियन रिचर्ड्स सरीखे के बेहतरीन एंटरटेनर साबित करता है, जिनके चौके, छक्कों को देखने के लिए कैमरामैनों को भी गेंद को फालो करना मुश्किल हो जाता है। टेस्ट क्रिकेट में तिहरा शतक ठोंकने वाले अकेले भारतीय और वन डे में सबसे बड़ी निजी पारी का वर्ल्ड रिकार्ड वीरू ने यह दोनों कारनामें एक ही स्टाइल में किए हैं। वह अपने नेचुरल गेम के साथ परिस्थितियों के हिसाब से कम ही समझौता करते हैं। यह प्लस प्वाइंट भी है और माइनस भी। हालात चाहे जो भी हों, इसे लेकर वीरेन्द्र सहवाग को कई बार आलोचनाएं भी झेलनी पड़ी हैं और चयनकर्ता व कोच से उन्होंने पंगा भी मोल लिया पर अपनी खांटी अन्दाज नहीं बदला। खेलते वक्त उन्हें इस बात की भी कोई परवाह नहीं होती कि वह टीम के कप्तान हैं। इंदौर में बतौर कप्तान उन्होंने यह कारनामा दिखाया। नहीं तो आमतौर पर कप्तान थोड़े संकोच से खेलते हैं। अब सहवाग की पहुंच से दूर सिर्प कैरिबियाई बल्लेबाज ब्रायन लारा (400 नाबाद) के टेस्ट रनों का रिकार्ड है और यकीन मानिए वीरू अपने ही अन्दाज में धूम-धड़ाका करते, गुनगुनाते हुए उसे भी पूरा कर डालेंगे। इस महीने के अन्त में टीम इंडिया का आस्ट्रेलिया का दौरा आरम्भ हो रहा है। असल चुनौती तो अब आएगी।
Anil Narendra, Daily Pratap, Vir Arjun, Virendra Sahwag

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