Friday, 30 December 2011

रूस में भगवत गीता पर पतिबंध की तलवार हटी

Vir Arjun, Hindi Daily Newspaper Published from Delhi
Published on 30th December 2011
अनिल नरेन्द्र
रूस में रहने वाले हिंदुओं ने बुधवार को एक कानूनी लड़ाई जीत ली। रूसी पांत साइबेरिया के शहर तोमस्क की एक अदालत ने हिंदू धर्मग्रंथ श्रीमद् भगवत गीता के रूसी संस्करण को पतिबंधित करने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी। अदालत के इस फैसले से रूस सहित दुनियाभर के हिंदुओं व भारतीयों में हर्ष की लहर दौड़ना स्वाभाविक ही था। फैसले से खुश रूसी हिंदू कौंसिल के अध्यक्ष और इस्कॉन नेता साधु पिय दास ने कहा कि छह महीने तक चले कानूनी दाव-पेंच के बाद हम जीत गए। न्यायाधीश ने गीता पर रोक की मांग वाली याचिका कि भगवत गीता का रूसी भाषा में संस्करण सामाजिक कटुता बढ़ाने और दूसरे धर्मों के लोगों के पति घृणा फैलाता है और गीता के रूसी संस्करण को भी उग्रवादी सामग्री में शामिल किया जाए को सिरे से खारिज कर दिया। इस्कॉन की ओर से दलील दी गई कि भगवत गीता हिंदू धर्म की एक पवित्र पुस्तक है और यह अनुवादित संस्करण में एसी भक्तिवेदांता स्वामी पभुपाद की टिप्पणियां है। इस्कॉन सदस्यों ने आरोप लगाया कि रूस का आर्थोडॉक्स चर्च अदालती मामले के पीछे है और वह हमारी गतिविधियों को मिश्रित करना चाहता है। फैसले पर विदेश मंत्रालय के पवक्ता सैयद अकबरुद्दीन ने कहा कि हम इस संवेदनशील मुद्दे के विवेकापूर्ण समाधान की सराहना करते हैं और इस पकरण के समापन का स्वागत करते हैं। उन्होंने कहा कि भारत रूस में अपने सभी मित्रों के पयत्नों की सराहना करता है जिनकी वजह से यह नतीजा सम्भव हो सका। उन्होंने कहा कि एक बार फिर पदर्शित करता है कि भारत और रूस के लोगों को एक-दूसरे की संस्कृति की गहरी समझ है और हमारी सभ्यता के साझे मूल्यों का महत्व कम करने के किसी भी पयास को हम हमेशा खारिज करेंगे। हम रूस की जनता और रूस की सरकार का शुकियाअदा करते हैं कि इस बिना वजह की बहस को समाप्त करने में उन्होंने मदद की। जय श्री कृष्ण।
Anil Narendra, Daily Pratap, Vir Arjun, Russia,

No comments:

Post a Comment