Friday, 2 December 2011

संसद गतिरोध तोड़ने में बीच का रास्ता निकालने में सरकार असफल


Vir Arjun, Hindi Daily Newspaper Published from Delhi
Published on 2nd December 2011
अनिल नरेन्द्र
रिटेल एफडीआई पर छिड़ी रार से निकलने के रास्ते को लेकर मनमोहन सरकार पसोपेश में फंस गई है। सरकार की ओर से फेंके गए सारे पासे बेअसर साबित हो रहे हैं। कांग्रेस के अन्दर शुरू हुए खुले विरोध ने भी सरकार की दुविधा बढ़ा दी है। पहले महंगाई, भ्रष्टाचार और अब एफडीआई के मुद्दे पर घिरी मनमोहन सरकार और कांग्रेस को संकट से निकालने के लिए एक तरफ कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी खुलकर मैदान में आ गई हैं, वहीं दूसरी तरफ एफडीआई को लेकर विपक्ष के हमलों की धार को पुंद करने के लिए उत्तर प्रदेश के सांसद और सोनिया के करीबी संजय सिंह ने इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री और सोनिया गांधी से पुनर्विचार करके किसानों, व्यापारियों और उपभोक्ताओं के हितों के सुरक्षा कवच के साथ एफडीआई लाने का अनुरोध किया है। जहां कैबिनेट की बैठक में एके एंटनी और जयराम रमेश समेत कुछ मंत्रियों की असहमति जगजाहिर हो चुकी है, वहीं अब सुल्तानपुर के सांसद संजय सिंह ने सरकार और पार्टी को इस पर पुनर्विचार करने की अपील करके उत्तर प्रदेश में पार्टी के डैमेज कंट्रोल की पहल कर दी है। सूत्रों का कहना है कि यूपी अधिसंख्य नेताओं और सांसदों की राय है कि राहुल गांधी के दौरे के बाद कांग्रेस के पक्ष में बने माहौल को एफडीआई के फैसले से नुक्सान हो सकता है। इसलिए संजय सिंह ने पहल करके कांग्रेस के खिलाफ बसपा, सपा और भाजपा द्वारा पैदा किए जा रहे जन असंतोष को कम करने की कोशिश की है। सम्भव है कि संजय सिंह ने सोनिया गांधी की पहल पर ही यह बयान दिया हो ताकि मनमोहन सिंह को समझ आए कि उनकी जिद पार्टी पर भारी पड़ सकती है। सूत्रों का कहना है कि वित्तमंत्री और कांग्रेस के संकट मोचक प्रणब मुखर्जी भाजपा की शरण में गए थे। उन्होंने भाजपा के वरिष्ठतम नेता लाल कृष्ण आडवाणी से गुप्त मुलाकात करके कोई बीच का रास्ता निकालने और गतिरोध तोड़ने की अपील की थी पर इसमें उन्हें कोई सफलता नहीं मिली। भाजपा ने बुधवार को आरोप लगाया कि सरकार ने यह निर्णय अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन जैसे देशों के दबाव में किया है। उसने यह भी आरोप लगाया है कि वैश्विक रिटेल कम्पनियों ने इसके लिए काफी लाबिंग की है और पैसा दिया है। भाजपा ने कहा कि सरकार संसद की कार्यवाही चलाने का मार्ग प्रशस्त करने के लिए अपने निर्णय को वापस ले या फिर कार्य स्थगित प्रस्ताव के तहत इस विषय पर चर्चा कराकर संसद की भावना को स्वीकार करे। भाजपा के वरिष्ठ नेता डॉ. मुरली मनोहर जोशी ने कहा कि मल्टी ब्रांड खुदरा में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश ः एफडीआई की अनुमति दिए जाने का सभी विपक्षी दलों और सरकार में शामिल कुछ पार्टियों तक ने विरोध किया है। लेकिन सरकार ने देशहित के खिलाफ एकतरफा ढंग से संसद सत्र के दौरान यह निर्णय किया है। उन्होंने कहा कि सरकार को दो सुझाव दिए गए हैंöया तो वह इस निर्णय को वापस लेकर संसद में कल से महंगाई, कालाधन पर चर्चा शुरू करवाए अथवा खुदरा क्षेत्र में एफडीआई पर कार्यस्थगन प्रस्ताव के तहत बहस कराए। इन्हीं स्थितियों में संसद चल सकती है। इसमें बीच का अब कोई रास्ता नहीं है।
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