Saturday, 10 December 2011

2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में फंसते पी. चिदम्बरम

Vir Arjun, Hindi Daily Newspaper Published from Delhi
Published on 10th December 2011
अनिल नरेन्द्र
केंद्रीय गृहमंत्री पी.चिदम्बरम के सितारे आजकल गर्दिश में चल रहे हैं। उनकी वजह से संप्रग सरकार और कांग्रेस पार्टी की फजीहत बढ़ती ही जा रही है। बृहस्पतिवार को सीबीआई की अदालत ने डॉ.सुब्रह्मण्यम स्वामी की उस याचिका को मंजूर कर लिया जिसमें चिदम्बरम के खिलाफ 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में दो गवाहों से पूछताछ की मांग की गई थी। अदालत ने दोनों गवाहों को पेश करने की इजाजत दे दी, लेकिन यह भी कहा कि पहले डॉ. स्वामी खुद गवाही देंगे और अगर उनकी गवाही में दम हुआ तो आगे की कार्रवाई होगी। स्वामी की संतोषजनक गवाही के बाद ही दोनों गवाहों की पेशी होगी। एक गवाह श्री खुल्लर वित्त मंत्रालय में संयुक्त सचिव हैं और दूसरे गवाह एससी अवस्थी सीबीआई में संयुक्त निदेशक हैं। गौरतलब है कि पी. चिदम्बरम 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले के वक्त वित्तमंत्री थे। स्वामी के मुताबिक 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन में गड़बड़ियों की पूरी जानकारी चिदम्बरम को थी। वे चाहते तो घोटाला रुक सकता था। दरअसल तत्कालीन वित्त सचिव डी. सुब्बाराव द्वारा 6जुलाई 2008को लिखे एक पत्र के लीक होने के बाद से ही चिदम्बरम पर राजनीतिक हमले तेज हो गए। सुब्बाराव के पत्र से चिदम्बरम और पूर्व दूरसंचार मंत्री ए.राजा की स्पेक्ट्रम आवंटन, स्पेक्ट्रम उपयोग चार्ज, मूल्य निधारण समेत तमाम पहलुओं पर चर्चा की पुष्टि होती है। पत्र में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और तत्कालीन वित्तमंत्री के बीच मुद्दे पर विस्तार से चर्चा का भी जिक्र है। डॉ.स्वामी का दावा है कि चिदम्बरम पर लगाए आरोपों का उनके पास पर्याप्त प्रमाण मौजूद हैं और वह अदालत में इसे साबित कर सकते हैं। तत्कालीन वित्तमंत्री चाहते तो 2जी लाइसेंस पाने वाली कम्पनियों के इक्विटी बेचे जाने को रोक सकते थे पर उन्होंने इसकी सहमति दी। यह बात 5 नवम्बर 2008 को ए. राजा द्वारा लिखे गए नोट से पता चलता है। राजा का यह नोट स्वामी को सौंपे गए 400 दस्तावेजों का हिस्सा है। जाहिर है कि इस नोट के सामने आने से चिदम्बरम की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में चिदम्बरम की भूमिका को लेकर यह दूसरा बड़ा रहस्योद्घाटन है। इससे पहले कैबिनेट सचिवालय को वित्त मंत्रालय की ओर से भेजे गए उस नोट से बवाल मच चुका है, जिसमें कहा गया था कि चिदम्बरम चाहते तो वित्तमंत्री रहते हुए घोटाले को रोक सकते थे। अदालत के आदेश के बाद चिदम्बरम एक बार फिर विपक्ष के निशाने पर आ गए हैं। चिदम्बरम के इस्तीफे की मांग पर भारी हंगामे के चलते बृहस्पतिवार को संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही बाधित रही। विपक्ष का कहना है कि उनके पद पर रहते 2जी स्पेक्ट्रम मामले की जांच प्रभावित होगी। विपक्ष की मांग को दरकिनार करते हुए कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा कि दिल्ली हाई कोर्ट के निर्देशों में चिदम्बरम या सरकार के खिलाफ कोई बात नहीं है। संसद की कार्यवाही बाधित करने के लिए विपक्ष को आड़े हाथों लेते हुए खुर्शीद ने कहा कि विपक्ष नहीं चाहता कि सरकार महंगाई के मोर्चे पर सरकार अपनी उपलब्धियों को बताए। खुद पी.चिदम्बरम ने बृहस्पतिवार को किसी भी तरह की प्रतिक्रिया देने से इंकार कर दिया और पत्रकारों द्वारा बार-बार पूछने पर कोई रिएक्शन नहीं दिया। जहां तक कांग्रेस पार्टी का सवाल है बेशक पब्लिक में तो पार्टी चिदम्बरम का साथ दे रही है पर अन्दरखाते वह समझ रही है कि चिदम्बरम फंसते जा रहे हैं। 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में फंसे होने के अलावा उनके चुनाव को भी चुनौती का मुद्दा अदालत में है। उसका फैसला भी जल्द आ सकता है। अगर 17दिसम्बर को सीबीआई अदालत में जज ओपी सैनी स्वामी की दलीलों से सहमत हो गए तो दोनों गवाहों को पेश होने का आदेश दिया जाएगा। डॉ.स्वामी के पास चिदम्बरम को फंसाने के दस्तावेजों के होने का दावा भी पुख्ता हो सकता है। अगर चिदम्बरम के खिलाफ कोई भी कार्रवाई हुई तो सरकार और पार्टी को उन्हें बचाना मुश्किल हो सकता है। अगले कुछ दिन न केवल पी. चिदम्बरम के लिए ही मुश्किल भरे हैं बल्कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कांग्रेस पार्टी के लिए भी चुनौतीपूर्ण साबित हो सकते हैं।
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