Friday, 2 December 2011

पाक-अमेरिका के इस स्टैंड ऑफ में अंतत अमेरिका को झुकना पड़ेगा


Vir Arjun, Hindi Daily Newspaper Published from Delhi
Published on 2nd December 2011
अनिल नरेन्द्र
पाकिस्तान और अमेरिका के आपसी रिश्ते बद से बदतर होते जा रहे हैं। ताजा टकराव नाटो के सैनिकों द्वारा पाकिस्तान के कबायली इलाके में स्थित दो चौकियों पर 26नवम्बर को तड़के किए गए एक हवाई हमले को लेकर है। इस हमले में 24पाकिस्तानी सैनिकों की मौत हो गई थी। दरअसल पाकिस्तान को सबसे बड़ी शिकायत यह है कि अमेरिका उसकी सरजमीं में घुसकर उस पर हमला करता है। अब तक तो आतंकवादी ठिकानों या आतंकियों पर पाकिस्तान में घुसकर हमले होते थे पर अबकी बारी तो अमेरिका ने नाटो के माध्यम से पाकिस्तानी सेना पर हमला किया है। ओसामा बिन लादेन को भी पाकिस्तान के अन्दर घुसकर एबटाबाद में ठिकाने लगाया था। इसी हमले के बाद से दोनों देशों के रिश्ते बिगड़ते गए। अब तो हद हो गई। पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र से नाटो के हवाई हमले पर अपना विरोध दर्ज कराने और निन्दा करने के लिए औपचारिक रूप से सम्पर्प किया है। संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के राजदूत अब्दुल्ला हुसैन हारुन ने संयुक्त राष्ट्र के महासचिव बान की मून को एक पत्र लिखकर सूचित किया है कि    26नवम्बर को नाटो द्वारा पाकिस्तान की सीमा चौकियों पर किए गए हमले की वजह से 24पाक सैनिक और अधिकारी शहीद हो गए और 13सैन्यकर्मी घायल हुए हैं। हारुन ने महासचिव को पाक कैबिनेट की रक्षा समिति द्वारा जारी बयान को भी भेजा है। बयान में कहा गया कि पाक इस हमले की कड़ाई से निन्दा करता है और इसे पाक अपनी सप्रभुता का उल्लंघन मानता है। पाकिस्तान सरकार ने यह भी फैसला किया है कि जर्मनी के बान शहर में आगामी पांच दिसम्बर को होने वाले अहम शिखर सम्मेलन का बायकाट करेगा। पाकिस्तान सेना ने नाटो के हमले पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि यह हमला बिना किसी उकसावे के हुआ जो नाटो की निरंकुश आक्रमता को दर्शाता है। वरिष्ठ सैन्य अधिकारी मेजर जनरल अशफाक नदीम ने रावलपिण्डी स्थित सेना मुख्यालय में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि पाक-अफगान सीमा पर पाक सेना की चौकियों की पूरी जानकारी नाटो सेना को दी गई थी और नक्शे के माध्यम से भी समझाया गया था। वहीं जनरल नदीम ने कहा कि जिस इलाके में नाटो विमानों ने हमला किया, पाक सेना ने पहले ही उसको चरमपंथियों से सुरक्षित कर लिया था और वहां से चरमपंथियों की कोई घुसैपठ नहीं हो रही थी। उन्होंने बताया कि इससे पहले भी नाटो सेना ने 2008, 2009 और 2011 में हमले किए थे जिनमें 14 सैनिक मारे गए थे और 13 के करीब घायल हो गए थे। उस समय जांच की घोषणा की गई थी लेकिन जांच आज तक पूरी नहीं हुई है। मंत्रिमंडल की रक्षा समिति की बैठक के बाद पाक सरकार ने कहा कि अमेरिका को शम्सी हवाई अड्डे को 15 दिन के अन्दर खाली करना होगा, क्योंकि अमेरिका यहां से ही ड्रोन हमले करता है। अमेरिका की विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने पाकिस्तान से कहा है कि वह अफगानिस्तान के भविष्य पर चर्चा करने के लिए बान सम्मेलन में भाग न लेने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करे। यही बात अफगान राष्ट्रपति हामिद करजई ने भी की है। पाकिस्तान के बने नए हमदर्द देश चीन ने भी सोमवार को कहा कि पाकिस्तान की सीमावर्ती चौकियों पर नाटो हमले से उसे गहरा झटका लगा है। चीन ने नाटो से कहा कि वह पाकिस्तान की सप्रभुता का सम्मान करे, साथ ही उसने घटना की जांच की मांग की।
पूरे प्रकरण में पाकिस्तान का पलड़ा भारी है। अफगानिस्तान में इस समय नाटो के सवा लाख से भी ज्यादा सैनिकों के लिए सैनिक साजोसामान और पेट्रोल सप्लाई पाकिस्तान के जरिये होता है। इसे रोके जाने से अमेरिका के लिए भारी मुश्किलें पैदा होंगी। पाकिस्तान का सप्लाई रास्ता अमेरिका के लिए कई बरसों से सिरदर्द बना हुआ है क्योंकि अक्सर इस रास्ते से जाने वाले ट्रकों को तालिबान लड़ाके जला देते हैं। अब तक पाकिस्तानी सेना के संरक्षण में कराची बन्दरगाह से होकर हथियारों और पेट्रोल ले जाने वाले इन ट्रकों का काबुल तक पहुंचना मुमकिन हो पाता था लेकिन अब पाकिस्तानी सेना ने यदि सुरक्षा हटा ली तो अमेरिका के लिए अफगानिस्तान अपना सैनिक साजोसामान पहुंचाना मुश्किल हो जाएगा। इसलिए हर हाल में अमेरिका को अफगानिस्तान में सैनिक साजोसामान भेजने के लिए पाकिस्तान पर निर्भर रहना पड़ेगा। अब इसे दबाव कहें या ब्लैकमेल कहें, पाकिस्तान का पलड़ा भारी है और अंतत अमेरिका को पाकिस्तान को पटाने के लिए कोई रास्ता निकालना होगा। हां, एक और विकल्प भी है कि अमेरिका पाकिस्तान पर भी जंग का ऐलान कर दे। उस सूरत में पूरे क्षेत्र में तनाव हो जाएगा। अमेरिका को याद रखना चाहिए कि पाकिस्तान एक परमाणु सम्पन्न देश है और उसके लिए अफगानिस्तान में नाटो सैनिक आसान टारगेट हैं। फिर अमेरिका से यह प्रश्न भी किया जा सकता है कि वह किसी दूसरे देश के अन्दर घुसकर कैसे हमला कर सकते हैं? उन्हें यह अधिकार किसने दिया है कि जब चाहे किसी देश की सप्रभुता को ताक पर रखकर हमला कर दें? पाकिस्तान की विदेश मंत्री हिना रब्बानी खार ने कहा है कि यह अमेरिका के साथ रिश्तों की समीक्षा करने का सही वक्त है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी सैन्य चौकियों पर हुए हवाई हमले अंतर्राष्ट्रीय कानून का खुला उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि अमेरिका से 15 दिन के भीतर शम्सी एयरबेस खाली करने के लिए कहा गया है। खार ने कहा कि हमें मदद नहीं हम प्रतिष्ठा और सम्मान के साथ जीना चाहते हैं।
Afghanistan, Al Qaida, America, Anil Narendra, China, Daily Pratap, Haqqani Network, Hina Rabbani Khar, Pakistan, USA, Vir Arjun

No comments:

Post a Comment