थल सेना अध्यक्ष जनरल वीके सिंह की उम्र के विवाद के पीछे क्या सत्ता में बैठे कुछ लोगों ने साजिश रची थी? कम से कम राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अनुसार तो यह सारा विवाद एक रणनीति के तहत खड़ा किया गया है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अपने मुख्य पत्र आर्गेनाइजर में एक रिपोर्ट छापी है। रिपोर्ट के मुताबिक सत्ता में शीर्ष पर बैठे लोगों ने जनरल विजय कुमार सिंह को समय से पहले रिटायर करने की साजिश पिछले साल रची थी। संघ ने आर्गेनाइजर के माध्यम से सेना प्रमुख का खुलकर समर्थन किया है और उनके खिलाफ सरकार के सख्त रुख को जनरल सिंह की ईमानदारी का नतीजा बताया है और कहा है कि कांग्रेस पार्टी के लिए वह रक्षा सौदों में आड़े आ रहे हैं। सेना प्रमुख के खिलाफ सरकार के भीतर और बाहर विशेष रूप से कांग्रेस पार्टी के भीतर के तत्वों की साजिश का यह दावा ऐसे समय सामने आया है जब उच्चतम न्यायालय ने उम्र के विवाद पर उनकी याचिका पर सरकार को अपना आदेश वापस लेने को कहा है। कानूनी विशेषज्ञों और जानकार सूत्रों ने इस बात की पुख्ता सम्भावना जाहिर की है कि सरकार अपना 30 दिसम्बर का वह आदेश वापस ले लेगी जिसके जरिये रक्षा मंत्री एके एंटनी ने सेना प्रमुख की वैधानिक याचिका खारिज कर दी थी। रक्षा मंत्री द्वारा अपनी शिकायत खारिज होने पर ही जनरल सिंह ने 16 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में रिट याचिका दायर की थी जिसकी सुनवाई हो रही है। साजिश के पहलू का आधार गिनाते हुए संघ ने कहा है कि सत्ता में शीर्ष पर बैठे लोगों ने तय किया कि जनरल सिंह की जगह अपना आदमी बैठना चाहिए। सम्पादकीय में कहा गया है कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के कार्यकाल में बड़ी संख्या में हुए रक्षा सौदों को इस विवाद से जोड़कर देखा जा रहा है। यह कहा जा रहा है कि जनरल वीके सिंह की ईमानदारी सरकार के भीतर एवं बाहर तथा कांग्रेस पार्टी के रक्षा सौदे करने वालों को रास नहीं आ रही थी। व्हाट ए शेम डॉ. सिंह शीर्षक से प्रकाशित सम्पादकीय में संघ ने कहा है कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की चुप्पी भी इसी ओर इशारा करती है। संघ ने राष्ट्रपति और देश की सर्वोच्च कमांडर से आग्रह किया है कि उन्हें संकट के इस समय में प्रधानमंत्री के सामने अपने मन की बात रखनी चाहिए। संघ ने कहा कि जब इज्जत पर कीचड़ उछाली जाती जा रही हो तो चुप रहना ठीक नहीं होता और जनरल वीके सिंह ने आवाज उठाकर ठीक ही किया है। जिस तरह की प्रतिक्रिया उनके कदम पर सामने आई है उससे जाहिर है कि वह अकेले नहीं हैं, सारा राष्ट्र उनके साथ है। पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि हमारी चिन्ता सरकार के फैसले को लेकर नहीं है बल्कि चिन्ता निर्णय लेने की प्रक्रिया को लेकर है जो दुर्भावना वाली लगती है। अदालत ने कहा कि जनरल सिंह की शिकायत को सरकार ने विचार योग्य नहीं माना, तब उनके पास सुप्रीम कोर्ट आने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था। संघ के आरोपों में कितना सच है यह तो सरकार ही बेहतर जानती है पर हमारा मानना है कि यह मामला बड़ी आसानी से सुलझ सकता था। जनरल सिंह का जन्म आर्मी अस्पताल में अगर हुआ था तो उस अस्पताल से जन्म तिथि क्यों नहीं पूछ सकते?
Anil Narendra, Daily Pratap, General V.k. Singh, RSS, Supreme Court, Vir Arjun
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