Vir Arjun, Hindi Daily Newspaper Published from Delhi |
Published on 25th February 2012
अनिल नरेन्द्र
आस्ट्रेलिया के दौरे पर गई टीम इंडिया न केवल हार ही रही है पर बिखर भी रही है। बेशक बीसीसीआई और टीम के प्रवक्ता यह कहें कि टीम इंडिया के अन्दर कोई मतभेद नहीं हैं पर टीम में खिलाड़ियों के आपसी मतभेद सतह पर आ गए हैं। महेन्द्र सिंह धोनी और वीरेन्द्र सहवाग के मतभेद बढ़ते जा रहे हैं जिससे टीम की परफार्मेंस पर असर पड़ रहा है। टीम ने जीतने की बजाय हारने में कंसिस्टेंसी बना रखी है। मुश्किल से एक मैच जीतते हैं फिर हार का सिलसिला शुरू हो जाता है। अब खबर आई है कि मंगलवार को श्रीलंका के खिलाफ मैच से पहले एकदाश को लेकर दोनों खिलाड़ियों में मतभेद थे। न्यूज चैनल टाइम्स नाऊ के अनुसार दोनों खिलाड़ियों ने अलग-अलग टीम तय की थी, लेकिन आखिरकार वीरू की सूची वाले खिलाड़ी ही मैदान पर उतरे। उल्लेखनीय है कि टीम इंडिया में आपसी मतभेदों की खबरें पिछले कुछ दिनों से आ रही हैं। चैनल के अनुसार धोनी की एकादश में रोहित शर्मा का नाम था। वे रोहित को श्रीलंका के खिलाफ उतारना चाहते थे। दूसरी तरफ सहवाग तीनों सीनियर्स (सचिन, गम्भीर और खुद सहवाग) को टीम में खेलाना चाहते थे। कुछ समय पहले कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी के खास मित्रों व पूर्व क्रिकेटरों ने बातों ही बातों में बताया था कि किस तरह टीम में गुटबाजी है। उन्होंने यह भी दावा किया था कि अकसर उनकी टीम इंडिया के कप्तान से बात होती रहती है। अब लगता है कि टीम इंडिया में दरारें पड़ गई हैं। रही-सही कसर इस नई रोटेशन पॉलिसी ने पूरी कर दी है। जब तक गैरी कर्स्टन टीम के कोच थे, वे पूरी टीम को साथ जोड़कर रखते थे। चूंकि वह खुद एकदम युवा थे लिहाजा सीनियर और जूनियर खिलाड़ियों के बीच जबरदस्त कड़ी का काम करते थे। अगर कोई मतभेद की स्थिति आती भी तो तुरन्त उसे सम्भाल लेते थे। अब लगता है ऐसा नहीं है और दुर्भाग्य से न यह काम अब कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी ही कर पा रहे हैं। नए कोच फ्लैचर गैरी की तरह टीम को एकजुट रखने में असफल रहे हैं। फ्लैचर खुद 64 साल के हैं। अनुभवी तो हैं लेकिन वह करीब 10 महीने से टीम से जुड़े हैं और यह समय टीम इंडिया का पिछले दो दशकों का सबसे ज्यादा खराब समय है। किसी भी पहलू से वह टीम के काम आते नहीं दिख रहे हैं। न तो वह टीम के लिए प्रेरणादायी साबित हो रहे हैं और न ही बड़े प्रशासक। इसलिए टीम अजीबोगरीब प्रयोगों से गुजर रही है। रणनीति नहीं बना पा रही है और सभी खिलाड़ी एक अलग मानसिक स्थिति से गुजर रहे हैं। रोटेशन नीति पर छिड़े विवाद से लगता है कि टीम में व्यक्तिगत अहम को बढ़ा दिया है। इस नीति से साफ झलकता है कि इसके जरिये सीनियरों के साथ भद्दा मजाक किया जा रहा है। सीनियरों की बात करें तो पूर्व कप्तान कपिल देव ने मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर को उसकी विफलताओं पर आड़े हाथों लेते हुए यहां तक कह दिया है कि सचिन को संन्यास की घोषणा कर देनी चाहिए। कपिल ने कहा कि पिछले तीन महीनों में हमने जो देखा है उसे देखते हुए मेरा मानना है कि सचिन को विश्व कप के बाद या उससे पहले संन्यास ले लेना चाहिए था। क्रिकेट या कोई भी खेल इस मामले में विचित्र होता है। जब तक आप जीतते रहते हो या अच्छा परफार्म करते हो, सब ठीक-ठाक रहता है और जैसे ही आप हारना शुरू करते हो तो ऐसी सारी बातें होने लगती हैं।
Anil Narendra, Cricket Match, Daily Pratap, Vir Arjun
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