Thursday, 16 February 2012

अधिकतर आतंकी हमले 13 तारीख को क्यों?

Vir Arjun, Hindi Daily Newspaper Published from Delhi
Published on 16th February  2012
अनिल नरेन्द्र
क्या यह महज एक संयोग है कि भारत में अधिकतर आतंकी बम धमाकों की घटना 13 तारीख को ही होती है या फिर इस 13 का कुछ खास महत्व है? ताजा बम कांड 13 फरवरी को हुआ है। तकरीबन हर धमाका 13 तारीख को ही हुआ है। सितम्बर 2008 को भी राजधानी में 13 तारीख को ही बम ब्लास्ट हुआ था। मुंबई में पिछले साल जुलाई की 13 तारीख को ही सीरियल ब्लास्ट हुए थे। पुणे में जर्मन बेकरी धमाका भी 13 को ही हुआ था। 2001 में संसद भवन परिसर में भी 13 तारीख (दिसम्बर) को ही आतंकी हमला हुआ था। हमारे विशेषज्ञ अब इस बात की जांच में लगे हुए हैं कि 13 तारीख का इन आतंकियों के लिए क्या विशेष महत्व है। पधानमंत्री निवास में जो हमला हुआ वह ठीक उसी पकार का था, जो इसी साल 11 जनवरी को ईरान की राजधानी तेहरान में हुआ था जिसमें ईरान के एक परमाणु वैज्ञानिक मुस्तफा अहमदी रोशन की हत्या की गई थी। उस हमले में भी दो मोटर साइकिल पर सवार दो हत्यारों ने रोशन की पीजो कार पर इसी तरह का स्टिकी बम लगा दिया था। धमाका इतना तेज था कि वैज्ञानिक की मौके पर ही मौत हो गई। नई दिल्ली की घटना में इनोवा सवार सभी यात्री खुशकिस्मत थे कि जल्दी में युवक सही स्थान पर बम नहीं लगा सका। जांच करने वाले अधिकारियों की माने तो अगर यही बम कार के पीछे की बजाए किसी दरवाजे पर लगाया गया होता तो इसमें कहीं अधिक नुकसान होता। बताया जा रहा है कि हमलावर बम को दरवाजे पर लगाने में सफल नहीं होने के कारण पीछे लगा गए। विस्फोट का सारा असर इनोवा कार की पिछली सीट पर पड़ा। हमला इतना जोरदार था कि कार के टुकड़े और बम के स्पिंटर इस्राइली राजनयिक ताल येहोशुवा की पीठ में लगे। अगर यही बम कार के दरवाजे या फ्यूल टैंक के करीब लगाया गया होता तो उनका बचना नामुमकिन था। दाद देनी होगी इनोवा ड्राइवर मनोज शर्मा की। खुद घायल होने के बावजूद मनोज शर्मा ने हौंसला नहीं छोड़ा और गाड़ी से महिला राजनयिक को उतारा, एक ऑटो को रोककर सबसे पहले वह उसे सुरक्षित ठिकाने पर ले गया। इस्राइली दूतावास में पहुंचाने के बाद ताल येहोशुवा को पास के एक पाइवेट अस्पताल में एडमिट कराया गया जहां डाक्टरों ने उसकी पीठ में घुसे लोहे के टुकड़ों को ऑपरेशन से निकाला। राजधानी में औरंगजेब रोड पर इनोवा गाड़ी में स्टिकी बम से धमाके का मामला भले ही देश में पहला मामला हो, हॉलीवुड की फिल्मों में यह आम है। एक निश्चित टारगेट को उड़ाने के लिए इसका इस्तेमाल किया दिखाया जाता है। हॉलीवुड से पभावित होकर बॉलीवुड में भी अब यह पयोग में आने लगा है। स्टिकी बम का इस्तेमाल जेम्स बांड सीरिज फिल्मों के अलावा जासूसी फिल्मों में दिखाया जाता है। सिल्विसटर स्टैलोन की फिल्म स्पेशलिस्ट में स्टिकी बम का इस्तेमाल दिखाया गया है। इस बम की खासियत है लक्ष्य ही को नुकसान पहुंचाना, आसपास इसका कम असर होता है। साइज में यह छोटा होता है और इसे छिपाने व लक्ष्य पर लगाना आसान रहता है। बॉलीवुड में इस बम का इस्तेमाल सन्नी देओल की फिल्म जो बोले सो निहाल में, हाल ही में शाहरुख खान की फिल्म डॉन-2 में किया गया। पुलिस के आला अफसर भी मान रहे हैं कि विदेशी राजनयिकों की गाड़ी को उड़ाने का फॉर्मूला फिल्मों से लिया गया हो सकता है। हालांकि नक्सली इस पकार का बम इस्तेमाल करते हैं पर आतंकवादी जंग में यह भारत में पहली बार इस्तेमाल किया गया है।
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