Friday, 24 February 2012

चुनाव आयोग के अधिकारों में कटौती का इरादा

Vir Arjun, Hindi Daily Newspaper Published from Delhi
Published on 24th February  2012
अनिल नरेन्द्र
उत्तर प्रदेश चुनाव में अन्य राजनीतिक दलों के खिलाफ जोर आजमाइश कर रही कांग्रेस का एक मोर्चा चुनाव आयोग के खिलाफ भी खुलता नजर आ रहा है। दरअसल कांग्रेस पार्टी कानपुर के जिला अधिकारी की ओर से पार्टी महासचिव राहुल गांधी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश से सख्त खफा है। पार्टी जहां इस आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती देगी वहीं चुनाव आयोग के अधिकार क्षेत्र को भी कतरने की तैयारी कर रही है। बताते हैं कि मंत्रिमंडलीय समूह आचार संहिता को चुनाव आयोग के अधिकार क्षेत्र से हटाने का एजेंडा तैयार कर रहे हैं। इससे पहले केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद और बेनी प्रसाद वर्मा भी आचार संहिता मामले में आयोग को परोक्ष रूप से चुनौती दे चुके हैं। शुरुआती दौर में चुनाव आयोग भले ही बसपा और अकाली दल के नेताओं के निशाने पर रहा हो, लेकिन अब लड़ाई चुनाव आयोग बनाम कांग्रेस हो गई है। कांग्रेस के अब निशाने पर है मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी हैं। वैसे मुख्य चुनाव आयुक्त ने अपने अक्खड़ रवैये से एक बार फिर टीएन शेषन की याद दिला दी है। एक दौर में जिस तरह से मुख्य चुनाव आयुक्त शेषन ने अपनी धमक से तमाम दलों को चुनाव आयोग की ताकत दिखा दी थी, कुछ उसी तरह का काम कुरैशी कर रहे हैं। शायद यही बात कांग्रेस के आला नेताओं को हजम नहीं हो रही। ऐसे में चुनाव आयोग के पर कतरने की गुपचुप तैयारियों की खबरों से विवाद खड़ा हो गया है। एक अंग्रेजी अखबार ने दो दिन पहले खुलासा किया था कि केंद्र सरकार आदर्श चुनाव संहिता आदि के मामले में चुनाव आयोग के अधिकार कम करने की पहल करने वाली है। इस खबर में कुरैशी की राय भी बता दी गई थी। कुरैशी ने कहा है कि यदि सरकार ऐसी कोई कोशिश करेगी तो इससे आदर्श चुनाव संहिता का पालन कराना और कठिन काम हो जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि चुनाव आयोग के अधिकारों को कम करने की कोई कोशिश जनता पसंद नहीं करेगी। राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरुण जेटली का कहना है कि सरकार की ऐसी कोशिश सरासर राजनीतिक बेशर्मी है। ऐसा इसलिए किया जा रहा है, क्योंकि हाल में चुनाव आयोग ने कानून मंत्री सलमान खुर्शीद को भी आदर्श चुनाव संहिता उल्लंघन के मामले में कठघरे में खड़ा किया था। इस पर उन्हें माफी मांगनी पड़ी थी। एक और मामले में केंद्रीय मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा भी ऐसे ही मामले में फंसे हैं। राहुल गांधी भी कानपुर में चुनाव संहिता को ठेंगा दिखाकर फंस गए हैं। इसकी खीज उतारने की तैयारी की जा रही है। हमें नहीं मालूम कि मनमोहन सरकार क्या वाकई ही ऐसा कोई कदम उठाने की सोच रही है? अगर सोच रही है तो वह गलत सोच रही है। चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्था है और उसका काम स्वतंत्र, निष्पक्ष और साफ-सुथरे चुनाव कराना है और ऐसा ही वह कर भी रही है। ऐसा नहीं कि मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी खासतौर पर कांग्रेस को ही टारगेट कर रहे हैं। उनके निशाने पर सभी दल हैं जो आचार संहिता का उल्लंघन करते हैं। भारत के लोकतंत्र की मजबूती का एक बड़ा कारण है स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव और इस काम में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका चुनाव आयोग की है। जनता चुनाव आयोग के अधिकारों में कटौती स्वीकार नहीं कर सकती। बेहतर है सरकार अगर उसका ऐसा करने का कोई इरादा है तो उसे त्याग दे।
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