संकटों से घिरे पाकिस्तानी प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी के सितारे गर्दिश में चल रहे हैं। पिछले कई महीनों से पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट और गिलानी में जबरदस्त कशमकश चल रही है। जैसे लगता है कि शायद ही अब गिलानी साहब को कोई राहत मिले। शुक्रवार को पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट ने यूसुफ रजा गिलानी को तगड़ा झटका देते हुए उनकी अपील खारिज कर दी और साथ ही साफ शब्दों में उन्हें 13 फरवरी को अदालत के समक्ष हाजिर होने को कहा। उल्लेखनीय है कि मिस्टर गिलानी ने उनके खिलाफ अवमानना के आरोप तय करने के लिए उन्हें समन करने वाले आदेश को निलंबित करने की अपील की थी। शीर्ष अदालत ने राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले फिर से खोलने में नाकाम रहने पर गिलानी को समन भेजकर 13 फरवरी को पेश हेने के लिए कहा था। गिलानी के वकील एतजाज अहसन द्वारा 200 पेज की अपील में सुप्रीम कोर्ट में प्रधानमंत्री के 13 फरवरी को उनके सामने पेश होने संबंधी आदेश पर रोक की मांग की थी जिसे शुक्रवार को अदालत ने खारिज कर दिया। 13 फरवरी को राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के खिलाफ रिश्वतखोरी के मामलों को फिर से खोलने के आदेश की अनुपालना नहीं करने के लिए प्रधानमंत्री गिलानी पर आरोप तय किए गए। गिलानी की अपील को खारिज करने से पूर्व सुप्रीम कोर्ट की आठ सदस्यीय पीठ के प्रमुख और चीफ जस्टिस इफ्तिखार चौधरी ने गिलानी के वकील से साफ जवाब मांगा कि क्या प्रधानमंत्री राष्ट्रपति जरदारी के खिलाफ रिश्वत के मामलों को पुन खोलने के लिए स्विस सरकार को पत्र लिखेंगे या नहीं? उन्होंने कहा, `हम आपको फोन पर प्रधानमंत्री से बात करने के लिए 10 मिनट का समय देते हैं और आप हमें बताएं।' लेकिन गिलानी के वकील ने जवाब में कहा, `मुझे ऐसा करने का कोई अधिकार नहीं है।' इस पर चीफ जस्टिस ने कहा, `अपील खारिज की जाती है।'
सवाल यह उठता है कि अब आगे क्या होगा? क्या गिलानी अब इस्तीफा देंगे? गिलानी अगर हटते हैं तो सरकार नहीं गिरेगी क्योंकि सत्तारूढ़ गठबंधन के पास पर्याप्त बहुमत संख्या है, वह गिलानी की जगह किसी और को प्रधानमंत्री नियुक्त कर सकते हैं पर सुप्रीम कोर्ट से चल रहे तकरार से सत्तारूढ़ पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी कमजोर जरूर होती है और अगले आम चुनाव 2013 में हो सकते हैं। चारों तरफ से समस्याओं से घिरे पाकिस्तान में अगर राजनीतिक अस्थिरता बढ़ जाती है तो यह अच्छा संकेत नहीं माना जा सकता। एक तरफ तालिबानी मसला और दूसरी तरफ बढ़ती गरीबी व बेरोजगारी, आज पाकिस्तान सब तरफ से घिरता जा रहा है। सत्तारूढ़ गठबंधन सरकार पर एक और गम्भीर आरोप लगाया जा रहा है। ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल पाकिस्तान (टीआईपी) ने ताजा रिपोर्ट में कहा है कि प्रधानमंत्री गिलानी के शासनकाल में पाकिस्तान को 8500 अरब रुपये (94 अरब) का नुकसान हुआ है। यह नुकसान भ्रष्टाचार, कर चोरी तथा खराब प्रशासन की वजह से हुआ है। `द न्यूज' से टीआईपी के सलाहकार आदिल गिलानी ने कहा कि भ्रष्टाचार के प्रभाव काफी गम्भीर हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान की मौजूदा सरकार जो वर्ष 2008 में सत्ता में आई, अब तक कि सबसे भ्रष्ट सरकार है। इस सरकार के कार्यकाल में भ्रष्टाचार के पिछले सभी रिकार्ड तोड़ डाले गए और देश सर्वाधिक भ्रष्ट राष्ट्रों की सूची में ऊपर के स्थान पर पहुंच गया। पाकिस्तान में सरकार और न्यायपालिका के बीच टकराव एक और वजह से भी तेज हो गया है। सुप्रीम कोर्ट ने तीन मंत्रियों सहित 28 जन प्रतिनिधियों को निलंबित कर दिया है। मामले की सुनवाई के दौरान यह बात सामने आई कि सीनेट, नेशनल असैम्बली और प्रांतीय असैम्बली के लिए हुए उपचुनाव अधूरे चुनाव आयोग ने कराए थे। इन चुनावों के समय आयोग के कुछ सदस्यों के पद खाली पड़े थे, इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने इन उपचुनावों को अवैध घोषित कर सभी निर्वाचित सदस्यों को निलंबित कर दिया है। प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी का राजनीतिक भविष्य अंधकार में है। सम्भव है कि उन्हें प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़े। वह छह महीने के लिए जेल भी भेजे जा सकते हैं। बहुत कुछ इस बात पर निर्भर करता है कि सुप्रीम कोर्ट आगे क्या करना चाहता है। देखें 28 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट क्या फैसला देता है।
Anil Narendra, Asif Ali Zardari, Daily Pratap, Pakistan, Vir Arjun, Yousuf Raza Gilani
सवाल यह उठता है कि अब आगे क्या होगा? क्या गिलानी अब इस्तीफा देंगे? गिलानी अगर हटते हैं तो सरकार नहीं गिरेगी क्योंकि सत्तारूढ़ गठबंधन के पास पर्याप्त बहुमत संख्या है, वह गिलानी की जगह किसी और को प्रधानमंत्री नियुक्त कर सकते हैं पर सुप्रीम कोर्ट से चल रहे तकरार से सत्तारूढ़ पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी कमजोर जरूर होती है और अगले आम चुनाव 2013 में हो सकते हैं। चारों तरफ से समस्याओं से घिरे पाकिस्तान में अगर राजनीतिक अस्थिरता बढ़ जाती है तो यह अच्छा संकेत नहीं माना जा सकता। एक तरफ तालिबानी मसला और दूसरी तरफ बढ़ती गरीबी व बेरोजगारी, आज पाकिस्तान सब तरफ से घिरता जा रहा है। सत्तारूढ़ गठबंधन सरकार पर एक और गम्भीर आरोप लगाया जा रहा है। ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल पाकिस्तान (टीआईपी) ने ताजा रिपोर्ट में कहा है कि प्रधानमंत्री गिलानी के शासनकाल में पाकिस्तान को 8500 अरब रुपये (94 अरब) का नुकसान हुआ है। यह नुकसान भ्रष्टाचार, कर चोरी तथा खराब प्रशासन की वजह से हुआ है। `द न्यूज' से टीआईपी के सलाहकार आदिल गिलानी ने कहा कि भ्रष्टाचार के प्रभाव काफी गम्भीर हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान की मौजूदा सरकार जो वर्ष 2008 में सत्ता में आई, अब तक कि सबसे भ्रष्ट सरकार है। इस सरकार के कार्यकाल में भ्रष्टाचार के पिछले सभी रिकार्ड तोड़ डाले गए और देश सर्वाधिक भ्रष्ट राष्ट्रों की सूची में ऊपर के स्थान पर पहुंच गया। पाकिस्तान में सरकार और न्यायपालिका के बीच टकराव एक और वजह से भी तेज हो गया है। सुप्रीम कोर्ट ने तीन मंत्रियों सहित 28 जन प्रतिनिधियों को निलंबित कर दिया है। मामले की सुनवाई के दौरान यह बात सामने आई कि सीनेट, नेशनल असैम्बली और प्रांतीय असैम्बली के लिए हुए उपचुनाव अधूरे चुनाव आयोग ने कराए थे। इन चुनावों के समय आयोग के कुछ सदस्यों के पद खाली पड़े थे, इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने इन उपचुनावों को अवैध घोषित कर सभी निर्वाचित सदस्यों को निलंबित कर दिया है। प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी का राजनीतिक भविष्य अंधकार में है। सम्भव है कि उन्हें प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़े। वह छह महीने के लिए जेल भी भेजे जा सकते हैं। बहुत कुछ इस बात पर निर्भर करता है कि सुप्रीम कोर्ट आगे क्या करना चाहता है। देखें 28 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट क्या फैसला देता है।
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