Thursday 9 February 2012

शशिकला ने रची जयललिता का तख्ता पलट की साजिश

Vir Arjun, Hindi Daily Newspaper Published from Delhi
Published on 9th February  2012
अनिल नरेन्द्र
सत्ता का नशा बड़ी बुरी चीज है। एक बार इसका चस्का लग जाए तो न तो रिश्तेदारी आड़े आती है और न ही दोस्ती। तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता और शशिकला की दोस्ती की कहानी पिछले 25 सालों से सियासत के गलियारों में सुनाई जाती रही है लेकिन अचानक खबर आई कि जयललिता ने न सिर्प शशिकला बल्कि उसके सारे रिश्तेदारों को अपने घर से निकाल दिया है। आखिर दोनों सहेलियों के बीच ऐसा क्या हुआ कि कभी शशिकला के पुत्र की शादी पर करोड़ों खर्च करने वाली जयललिता ने ऐसा सख्त कदम उठाया? `तहलका' मैगजीन ने दावा किया है कि शशिकला ने न सिर्प जयललिता के चारों ओर अपने आदमी बिठा रखे थे और सरकार के हर फैसले में दखल दे रही थी बल्कि जयललिता को धीमा जहर देकर तमिलनाडु का ताज पाने की साजिश रची थी। गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा की कर्नाटक सरकार ने जयललिता को समय रहते आगाह कर उन्हें बचा लिया। जयललिता को जहर देने का काम शशिकला अपनी खास नर्स की मदद से अंजाम दे रही थी। मोदी के बताने पर ही जयललिता ने शशिकला और उनके रिश्तेदारों की निगरानी कराई और अन्त में 17 दिसम्बर को शशिकला व उनके रिश्तेदारों समेत 12 लोगों को पार्टी से निकाल दिया। तहलका के अनुसार मोदी द्वारा आगाह किए जाने के बाद जयललिता ने `मन्नरगुडी माफिया' की हरकतों पर गौर करना शुरू किया। मन्नरगुडी तिरुवरुर जिले का एक कस्बा है और शशिकला यहीं की है। तमिलनाडु में शशिकला और उनके परिजनों को `मन्नरगुडी माफिया' के नाम से जाना जाता है। मन्नरगुडी माफिया जयललिता का तख्ता पलट करने की साजिश रच रहा था। वह जयललिता की बेंगलुरु में चल रहे आय से अधिक सम्पत्ति के मामले में पेशियों से उपजे हालात का लाभ उठाना चाहता था। मोदी ने जयललिता को बताया कि शशिकला और उनके परिवार की नाजायज मांगों की वजह से बड़े निवेशक तमिलनाडु में निवेश करने से हिचक रहे हैं। एक एनआरआई तमिलनाडु में निवेश करने आया था, लेकिन जब उससे मन्नरगुडी माफिया ने 75 फीसदी हिस्सा मांगा तो उसने गुजरात का रुख कर लिया। मोदी ने यह बात तत्काल जया को बताई। ऐसे ही एक दो और किस्से भी सामने आए। तहलका के मुताबिक जयललिता को यह खुफिया जानकारी भी मिली कि सालों से जो दवाइयां ले रही थी उनमें धीमा जहर मिला हुआ था। शक घहराने के बाद अचानक जयललिता बिना शशिकला को कुछ बताए शहर के एक नामी डाक्टर से मिलने चली गई। साथ में उन दवाइयों को भी ले गई जिन्हें वह रोज खाती थी। इस डाक्टर ने जयललिता और उन्हें दी जा रही दवाइयों की जांच की तो पता चला कि दवाइयों में धीमा जहर मिला हुआ है। मुख्यमंत्री की देखभाल के लिए चुनी गई नर्स शशिकला ने ही चुनी थी। अब चर्चा तो यहां तक है कि जयललिता की देखभाल गुजरात से भेजी गई नर्स करती है। इसके बाद जयललिता ने शशिकला और उनके सभी रिश्तेदारों को निकाल बाहर किया। 40 से ज्यादा उन नौकरों की फौज को भी हटा दिया जिन्हें शशिकला 1989 में अपने गांव मन्नरगुडी से विशेष तौर पर लेकर आई थी। जयललिता का यह कदम इसलिए भी चौंकाने वाला था क्योंकि पिछले 25 सालों से शशिकला की मर्जी के बिना जयललिता कोई कदम नहीं उठाती थी पर सत्ता के मोह के सामने 25 साल की दोस्ती व अहसान सब पीछे रह गए और शशिकला ने जयललिता की पीठ पर छुरा घोंपने और यहां तक कि उन्हें मारने तक की साजिश रच डाली।
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