Wednesday 1 February 2012

नोएडा में बैंकों, नर्सिंग होम व डाक्टरों की क्लीनिकों पर गाज

Vir Arjun, Hindi Daily Newspaper Published from Delhi
Published on 1st February  2012
अनिल नरेन्द्र
रिहायशी सैक्टर में चल रहे व्यावसायिक गतिविधियों को बन्द करने का सुप्रीम कोर्ट के आदेश का असर गणतंत्र दिवस से नोएडा में दिखने लगा। कुछ सैक्टरों में लोगों ने ध्वजारोहण के बाद न्यायालय के फैसले का पालन करते हुए सामूहिक रूप से अपनी दुकानें बन्द करनी शुरू कर दी हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ कार्रवाई की शुरुआत बैंकों से होगी। नोएडा के रिहायशी सैक्टरों में चल रहे 104 बैंक शाखाएं सीलिंग की जद में आएंगी। पहले चरण में सैक्टर-19 में चल रहे 21 बैंकों को सील किया जाएगा। प्राधिकरण ने आवासीय गतिविधियां चला रहे लोगों को नोटिस भी भेजना शुरू कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने 5 दिसम्बर 2011 को बैंकों के भवन मालिकों की ओर से दायर याचिका की सुनवाई करते हुए नोएडा क्षेत्र में मास्टर प्लान के विपरीत चल रही सभी कमर्शियल गतिविधियों को दो माह में बन्द करने के आदेश दिए थे। अदालत के इस आदेश से आवासीय क्षेत्रों में चल रहे बैंकों, नर्सिंग होमों व दुकानों पर तलवार लटक गई। इस फैसले से रियायत की मांग करते हुए बैंक, बैंकों के भवन मालिकों व नोएडा चिकित्सक संघ 9 जनवरी को अदालत पहुंची। अदालत ने प्राधिकरण को 23 जनवरी को तलब किया। अदालत ने प्राधिकरण द्वारा की जा रही कार्रवाई पर असंतोष दिखाते हुए और तेजी से कार्रवाई करने का आदेश दिया। हालांकि रिहायशी क्षेत्रों के 104 बैंकों को रियायत देते हुए उनके लिए भूखंडों की स्कीम पेश कर अलॉट करने के आदेश दिए। नर्सिंग होमों को भी भूखंडों को उपलब्ध कराने के आदेश अदालत ने दिए। ऐसे ही क्लीनिकों को एफएआर के 25 फीसद उपयोग क्लीनिक के तौर पर करने का आदेश दिया।
पूरे मामले का एक प्रैक्टिकल और मानवीय एंगल भी देखना जरूरी है। बैंक, नर्सिंग होम, डाक्टरों की क्लीनिक सभी जनता की सेवा के लिए हैं। बेशक यह धंधा भी है पर है तो पब्लिक के लिए। नर्सिंग होम का फायदा कॉलोनी में रहने वाले और आसपास के लोगों को होता है। सरकार इतने अस्पताल तो बना नहीं सकी कि बढ़ती पब्लिक की देखभाल कर सके। इन छोटी-छोटी क्लीनिकों को बन्द करने से आप मरीजों को बड़े महंगे निजी अस्पतालों में भेजना चाहते हैं। इन बड़े अस्पतालों में जाना छोटे और मध्य वर्ग के लोगों के बस की बात नहीं। वह इस सूरत में क्या करें? बैंकों का जहां तक सवाल है इनके सीलिंग से अरबों रुपयों के ट्रांजेक्शन का सिलसिला थम जाएगा। इस खबर की भनक मिलने के बाद से बैंक तो परेशान हैं ही साथ-साथ उपभोक्ता भी घबरा गए हैं। हालांकि प्राधिकरण ने बैंकों को शिफ्ट करने हेतु 74 भूखंडों की स्कीम निकाली है मगर जब तक बैंकों को दूसरी जगहों पर शिफ्ट किया जाएगा तब तक तो उपभोक्ताओं की फजीहत होती रहेगी। बैंक ब्रांच ही नहीं बल्कि आदेश की परिधि में एटीएम भी आ रहे हैं। ज्यादातर ब्रांचों में एटीएम बैंकों के अन्दर ही लगे हैं। इनकी तादाद 100 से ज्यादा है। ऐसे में साधारण नौकरी पेशे व्यक्तियों का इमरजैंसी का सहारा (एटीएम) भी बन्द हो जाएगा। मामले साधारण नहीं। बेशक रिहायशी इलाकों में बैंक बेशक न चलें पर नर्सिंग होम और डाक्टरों की क्लीनिकें तो आम जनता की जरूरत हैं।
Anil Narendra, Daily Pratap, Greater Noida, Supreme Court, Uttar Pradesh, Vir Arjun

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