Sunday, 26 February 2012

4 जून की रात रामलीला मैदान में हुआ था जुल्म

Vir Arjun, Hindi Daily Newspaper Published from Delhi
Published on 26th February  2012
अनिल नरेन्द्र
हमें इस बात की खुशी है कि माननीय सुप्रीम कोर्ट ने बाबा रामदेव समर्थकों पर 4 जून 2011 को हुए लाठीचार्ज पर सरकार को कड़ी फटकार लगाई है और माना कि उस रात पुलिस कार्रवाई गलत थी। काले धन और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर रामलीला मैदान में सत्याग्रह कर रहे बाबा रामदेव और उनके समर्थकों को 4 जून की रात रामलीला मैदान से बलपूर्वक निकाल बाहर करने की दिल्ली पुलिस की कार्रवाई को सुप्रीम कोर्ट ने लोकतंत्र पर कुठाराघात बताते हुए इसके लिए दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने का आदेश दिया। अदालत ने कहा कि रामलीला मैदान में रात को सो रहे सत्याग्रहियों पर दिल्ली पुलिस की बर्बर कार्रवाई जनता और सरकार के बीच कम हो रहे विश्वास का ज्वलंत उदाहरण है। न्यायमूर्ति बलबीर सिंह चौहान और स्वतंत्र कुमार की खंडपीठ ने गुरुवार को अपने फैसले में कहा कि सत्याग्रहियों के खिलाफ बल प्रयोग करके दिल्ली पुलिस ने अपने अधिकारों का दुरुपयोग किया। सरकार को दोषी पुलिस अधिकारियों के साथ ही पथराव करने वालों के खिलाफ भी कार्रवाई करने का आदेश दिया है। सरकार को इस कार्रवाई के बारे में तीन महीने के भीतर अदालत में रिपोर्ट देनी है। न्यायाधीशों ने कहा कि 4 जून की रात में हुई घटना को टाला जा सकता था पर पुलिस और प्रशासन ने अपनी ताकत का प्रयोग कर सोते हुए सत्याग्रहियों पर लाठियां बरसाईं जिससे एक महिला की मौत हो गई और कई अन्य जख्मी हुए। अदालत ने सख्त शब्दों में कहा कि पुलिस का काम शांति कायम रखना है लेकिन रामलीला मैदान में उसने शांति भंग करने का ही काम नहीं किया बल्कि सोते हुए सत्याग्रहियों पर लाठियां बरसा कर नागरिकों के मौलिक अधिकारों का हनन भी किया। न्यायाधीशों ने कहा कि इसमें कोई दो राय नहीं है कि दिल्ली पुलिस ने सत्याग्रहियों को रामलीला मैदान से निकाल बाहर करने के लिए बेहद हिंसक तरीका अपनाया, लेकिन दूसरी ओर बाबा रामदेव के समर्थकों ने भी पुलिस पर हिंसक तरीके से पथराव किया जिससे स्थिति और बिगड़ गई। अदालत ने जान गंवाने वाली राजबाला के परिजनों को 5 लाख रुपये, गम्भीर रूप से घायलों को 50-50 हजार रुपये और मामूली रूप से घायलों को 25-25 हजार रुपये बतौर मुआवजा अदा करने का आदेश दिया। अदालत ने यह भी कहा कि मुआवजे की इस राशि का 25 फीसदी अंश का भुगतान बाबा रामदेव का ट्रस्ट करेगा।
हम हमेशा से कहते आ रहे हैं कि केंद्रीय गृहमंत्री पी. चिदम्बरम और कुछ अन्य मंत्रियों के इशारों पर दिल्ली पुलिस ने 4 जून को सोते हुए लोगों पर कहर ढा दिया। सरकार और पुलिस कहती रही कि कोई लाठीचार्ज नहीं हुआ, न कोई जबरन कार्रवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से दूध का दूध पानी का पानी हो गया है पर हमारा मानना है कि दिल्ली पुलिस ने उस रात जो भी किया वह गृह मंत्रालय के आदेशों पर किया। असल कसूरवार तो आदेश देने वाले हैं, दिल्ली पुलिस ने कार्रवाई का विरोध भी किया था। पुलिस ने कहा था कि हम सुबह होते ही शांति से रामलीला मैदान खाली करवा लेंगे पर मनमोहन सरकार के कुछ मंत्रियों ने तो ठान ली थी कि बाबा रामदेव और उनके समर्थकों को ऐसी मार मारनी है जो वह दोबारा ऐसा करने की जुर्रत न करें।
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