Saturday 4 February 2012

सुप्रीम कोर्ट ने बृहस्पतिवार को सुनाए दूरगामी महत्वपूर्ण फैसले

Vir Arjun, Hindi Daily Newspaper Published from Delhi
Published on 4th February  2012
अनिल नरेन्द्र
यकीनन बृहस्पतिवार का दिन सुप्रीम कोर्ट के लिए बहुत महत्वपूर्ण दिन था। अदालत को तीन अहम मुद्दों पर अपना फैसला देना था। तीनों ही बहुत महत्वपूर्ण थे जिनके दूरगामी असर होने हैं। बृहस्पतिवार को सबसे महत्व फैसला 2जी स्पैक्ट्रम घोटाले का था। इस पर देश और दुनिया की निगाहें टिकी थीं। इस घोटाले में गृहमंत्री पी. चिदम्बरम की कथित भूमिका की सीबीआई जांच, दूरसंचार कम्पनियों के लाइसेंस निरस्त करने और 2जी मामले की निगरानी के लिए एसआईटी गठित करने की मांग पर फैसला आना था। इन सबको छोड़कर एक और महत्वपूर्ण घटना थी उस जज के रिटायर होने का आखिरी दिन जिन्होंने 15 महीनों में सुप्रीम कोर्ट की उस बैंच की शोभा बढ़ाई जिसने हर उस रसूखदार को जेल की हवा खिलाई जिसके बारे में आम आदमी सोच भी नहीं सकता था। मैं बात कर रहा हूं जस्टिस एके गांगुली की जिनका अपने कार्यकाल का अंतिम दिन था बृहस्पतिवार। जस्टिस गांगुली की बेबाक टिप्पणियां इतिहास में दर्ज हो गई हैं। सुप्रीम कोर्ट ने तीनों मुद्दों पर अपना फैसला सुना दिया। पहला, कम्पनियों के 122 लाइसेंस रद्द करना और सात कम्पनियों पर भारी जुर्माना। दूसरा, चिदम्बरम के मामले में फैसला निचली अदालत पर छोड़ना और तीसरा सीबीआई जांच की निगरानी का काम सीवीसी की देखरेख में करना। तीनों फैसलों के दूरगामी असर होना लाजिमी है। शीर्ष अदालत ने तीन कम्पनियों पर पांच-पांच करोड़ रुपये का जुर्माना ठोंका है और चार कम्पनियों पर 50-50 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है। अदालत ने यह भी कहा है कि यदि सरकार की नीति जनहित के खिलाफ है तो अदालत कर सकती है अपने क्षेत्राधिकार का प्रयोग। कोर्ट के इस फैसले का मतलब है कि तत्कालीन संचार मंत्री ए. राजा के समय में लाइसेंस हासिल करने वाली कम्पनियां प्रभावित होंगी। कोर्ट ने कहा कि 10 जनवरी 2008 को लाइसेंस मनमाने और असंवैधानिक तरीके से जारी किए गए थे जिन्हें जारी रखने की अनुमति नहीं दी जा सकती। वहीं शीर्ष अदालत ने पी. चिदम्बरम की कथित भूमिका की जांच की मांग पर निर्णय निचली अदालत पर छोड़ दिया। पटियाला हाउस स्थित विशेष अदालत को दो हफ्ते में फैसला सुनाने को कहा गया है। सम्भव है कि विशेष अदालत अपना फैसला शनिवार, चार फरवरी को ही सुना दे। शीर्ष अदालत ने टेलीकॉम नियामक `ट्राई' को निर्देश दिया है कि वह दो माह में 2जी लाइसेंस आवंटन के लिए नई सिफारिशें दे। जस्टिस जीएस सिंघवी और जस्टिस एके गांगुली की पीठ ने सरकार से ट्राई की सिफारिशों पर एक माह के अन्दर अमल करने को कहा है। फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए याचिकाकर्ता जनता पार्टी के अध्यक्ष डॉ. सुब्रह्मण्यम स्वामी ने कहा कि यह सरकार की सामूहिक विफलता है। उसने चेतावनियों की अनदेखी की। भाजपा नेता अरुण जेटली का कहना है कि यह एक व्यक्ति का नहीं बल्कि यूपीए सरकार का निर्णय था। ट्राई के अध्यक्ष जेएस शर्मा ने कहा कि इस फैसले से पांच फीसदी उपभोक्ताओं पर असर पड़ेगा यानि मोबाइल कॉलें अब महंगी हो जाएंगी। यह फैसला ऐसे समय आया है जब उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव सिर पर हैं। निश्चित रूप से विपक्ष इसे भुनाने का प्रयास करेगा और उसे एक ऐसा नया मुद्दा मिल गया है जिससे यूपीए सरकार की फजीहत बढ़ जाएगी। चूंकि यह दूरगामी फैसले हैं, इनके प्रभाव को समझने में भी टाइम लगेगा पर इस फैसले से उद्योग जगत में भूचाल आ गया है। उन्होंने कभी कल्पना नहीं की थी कि इतनी प्रभावशाली औद्योगिक कम्पनियों को यह दिन भी देखना पड़ेगा। इस बीच एक टीवी चैनल के साथ बातचीत में डॉ. स्वामी ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पर गम्भीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि 2जी मामले में 60 फीसदी रकम सोनिया गांधी ने ली है और इसका सुबूत उनके पास है। अब सबकी नजरें चार फरवरी को पटियाला हाउस स्थित विशेष अदालत पर टिकी हुई हैं जिसने पी. चिदम्बरम के भाग्य का निर्णय सुनाना है। चिदम्बरम की निजी सियासत इस फैसले पर टिकी है। कुछ हद तक यूपीए सरकार का भी भविष्य इस पर टिका है। अगर चिदम्बरम पर केस चलता है तो निश्चित रूप से इसका प्रभाव मनमोहन सरकार पर जरूर पड़ेगा। देखना यह होगा कि सुप्रीम कोर्ट के इन फैसलों से सरकार कैसे लड़ती है?
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