टीम अन्ना के बड़बोले सदस्य अरविन्द केजरीवाल ने तो सारी हदें पार कर दी हैं। ग्रेटर नोएडा में एक चुनावी रैली को सम्बोधित करते हुए कहा कि संसद में चोर, लुटेरे और बलात्कारी बैठे हैं। इनसे उन्हें कोई उम्मीद नहीं है। केजरीवाल ने कहा कि संसद में 163 सांसद ऐसे हैं जिनके खिलाफ जघन्य अपराध के मुकदमें चल रहे हैं। केजरीवाल के मुताबिक संसद देश की बड़ी समस्या बनती जा रही है और जब तक इसका चरित्र नहीं बदला जाएगा, देश का उद्धार नहीं हो सकता। उन्होंने राजद के लालू प्रसाद यादव और सपा के मुलायम सिंह यादव पर जमकर निशाना साधा और कहा कि ऐसे लोग संसद में कभी भी लोकपाल विधेयक को पारित नहीं होने देंगे। केजरीवाल के इस तल्ख रवैये के खिलाफ सभी दलों ने एक स्वर में विरोध जताया। लेकिन केजरीवाल को शायद इसका कोई फर्प नहीं पड़ा। अगले दिन उन्होंने ट्विटर पर फिर लिख दिया कि संसद और सरकार मुजरिमों के हाथ बंधक है। केजरीवाल ने मीडिया से कह दिया है कि उन्होंने चुनावी सभा में कुछ भी गलत नहीं कहा था। ऐसे में माफी मांगने की क्या जरूरत है? उन्होंने दोहराया कि अगर संसद में सैकड़ों अपराधी बैठे हैं तो इस सच के बारे में बोलना गुनाह कैसे हो सकता है? उन्होंने कहा कि संसद में चोर-गिरहकट जैसे मामूली अपराधी नहीं हैं। वहां तो 15 ऐसे सांसद हैं जिन पर कत्ल का मुकदमा चल रहा है। 23 ऐसे सांसद हैं जिन पर हत्या के प्रयास के मामले चल रहे हैं और 13 सांसद हैं जिन पर अपहरण के मुकदमें लम्बित हैं, 11 पर धोखाधड़ी के मामले हैं। अरविन्द केजरीवाल के इस बयान से राजनीतिक दलों का भड़कना समझ आता है। केजरीवाल ने सारी हदें पार कर दी हैं। कुछ सांसद आपराधिक पृष्ठभूमि के हो सकते हैं पर यह कहना कि संसद ही चोरों-लुटेरों का डेरा है, गलत है। आखिर यह संसद पहुंचे कैसे? जनता ने इन्हें चुनकर भेजा है। कसूर जनता का ज्यादा है या उन कानूनों का जो ऐसी प्रवृत्ति के उम्मीदवारों को चुनाव लड़ने से नहीं रोकते। फिर संसद में साफ-सुथरी छवि वाले सांसदों का बहुमत भी है। हर एक को एक ही थाली का चट्टा-बट्टा कहना गलत है, मर्यादाओं से बाहर है। जाहिर है कि जैसे ही संसद सत्र चलेगा पहला काम सांसद अरविन्द केजरीवाल को कठघरे में खड़ा करेंगे और उन्हें सजा मिलना तय है। कांग्रेस प्रवक्ता राशिद अल्वी ने कहा कि केजरीवाल का बयान टिप्पणी लायक नहीं है पर इस तरह के बयान लोकतंत्र और संसद का ही नहीं, जनता का भी अपमान है। सपा के महासचिव मोहन सिंह का कहना है कि केजरीवाल के मुंह से ऐसे शब्दों का प्रयोग निन्दनीय है। बाहरी इशारों पर अपने एनजीओ के लिए पैसा बटोरने के लिए वे संसद को बदनाम कर रहे हैं। इनकी खबर ली जानी चाहिए। क्योंकि केजरीवाल तो लोकतांत्रिक व्यवस्था के ही दुश्मन बन गए हैं। राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने कल कहा कि केजरीवाल तो विदेशी एजेंट लगता है। उनकी पार्टी लोकसभा में केजरीवाल के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का मामला उठाएगी। भाजपा के प्रकाश जावडेकर ने भी केजरीवाल के बयान की कटु आलोचना की और इसे निन्दनीय तथा लोगों की लोकतंत्र के प्रति आस्था कमजोर करने वाला बताया जबकि टीम अन्ना के प्रमुख सदस्य कुमार विश्वास को समझ नहीं आ रहा है कि केजरीवाल के बयान पर हंगामा क्यों बरपा है?
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