Sunday 26 February 2012

अफगानिस्तान में अमेरिकी सैनिकों का निहायत नीच और घिनौना कृत्य

Vir Arjun, Hindi Daily Newspaper Published from Delhi
Published on 26th February  2012
अनिल नरेन्द्र
अफगानिस्तान में तैनात अमेरिकी सैनिकों ने एक ऐसा कृत्य किया है जिससे सारी दुनिया का सिर शर्म से झुक गया है। इस कृत्य की जितनी भी निन्दा की जाए, कम है। अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) के बड़गाम एयरबेस पर इस्लाम की पवित्र पुस्तक कुरान की प्रतियां जलाए जाने की रिपोर्ट आई है। इस अमानवीय कृत्य से सारी दुनिया में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। अफगानिस्तान में तो रिपोर्ट आने के बाद से प्रदर्शनों का सिलसिला थमने का नाम ही नहीं ले रहा। इस घटना को लेकर अब तक 12 लोगों की मौत हो चुकी है। अफगानिस्तान के गृह मंत्रालय ने बुधवार को हुई मौतों में से कम से कम एक के लिए विदेशी सुरक्षा बलों को जिम्मेदार ठहराया है क्योंकि काबुल में अमेरिकी सैन्य शिविर ने प्रदर्शनकारियों पर हमला बोला था। इसके अलावा स्थानीय अधिकारियों के हवाले से बताया गया है कि ज्यादातर मौतें पुलिस के साथ हुई झड़पों के कारण हुई हैं। नाटो के प्रवक्ता ब्रिगेडियर जनरल कारस्टेन जेकाबंसन ने कहा कि यह अनभिज्ञता में किया गया कार्य था लेकिन इस गलती के गम्भीर परिणाम हैं। एक अमेरिकी अधिकारी ने नाम गुप्त रखने की शर्त पर बताया कि कुरान की उन प्रतियों को बड़गाम की जेल में बन्द कैदियों से लिया गया था क्योंकि जेल अधिकारियों को शक था कि कैदी इस पवित्र पुस्तक का उपयोग एक-दूसरे को संदेश भेजने के लिए कर रहे थे। अमेरिका विरोधी आग को हवा देते हुए तालिबान आतंकियों ने अफगान नागरिकों से अपील की है कि वह केवल प्रदर्शनों तक सीमित न रहें। तालिबान ने अपनी अपील में कहा है कि आपको सैन्य शिविरों पर हमला करना है, उनके सैन्य काफिलों पर हमले कीजिए, उनकी हत्या कीजिए, उन्हें बंधक बनाएं, मारें और उन्हें सबक सिखाएं ताकि वह दोबारा पवित्र कुरान का अपमान करने की हिम्मत भी न करें। अफगानिस्तान के राष्ट्रपति हामिद करजई जो पहले से ही बहुत कठिन परिस्थितियों से गुजर रहे हैं, इस घटना को लेकर बहुत ज्यादा परेशान हैं। हामिद करजई ने बृहस्पतिवार को बताया कि अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अमेरिकी शिविर में कुरान की प्रतियां जलाने की घटना के लिए माफी मांगते हुए उन्हें एक पत्र लिखा है। पत्र में ओबामा ने लिखा है कि घटना जानबूझ कर नहीं की गई थी और उन्होंने मामले की विस्तृत जांच करने के लिए कहा है। अमेरिकी राजदूत रॉयन क्रोकर की ओर से करजई को सौंपे पत्र के अनुसार सूचित घटना के लिए मैं अपना अफसोस जताना चाहता हूं। ओबामा ने आगे लिखा है कि मैं आपसे और अफगानिस्तान के लोगों से माफी मांगता हूं। हामिद करजई ने इस मुद्दे को लेकर लोगों से शांति बनाए रखने की अपील करते हुए कहा है कि अमेरिकी नेतृत्व वाला नाटो सुरक्षा बल इसकी जांच कर रहा है। उन्होंने अपने देश के सुरक्षा बलों को आदेश दिया है कि वह हिंसा से बचें और लोगों के जीवन और सार्वजनिक सम्पत्ति की सुरक्षा करें पर आग तेजी से फैल रही है। इसकी सारे इस्लामिक मुल्कों में प्रतिक्रिया हो सकती है। पहले से ही निशाने पर अमेरिका से सारी दुनिया के मुसलमानों के गुस्से में इजाफा होगा। यह दूसरी ऐसी घिनौनी घटना है। पिछले साल एक अमेरिकी पादरी ने फ्लोरिडा में भी कुरान को जलाया था। हम इसकी सख्त से सख्त शब्दों में निन्दा करते हैं और मांग करते हैं कि कसूरवारों को सजा मिले।
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