Thursday 26 February 2015

सोनिया के वफादारों से नाराज राहुल छुट्टी पर गए

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी आजादी के बाद अब तक के सबसे बुरे दौर से गुजर रही पाटी के मझधार में छोड़कर कुछ हफ्तों की छुट्टी पर चले गए हैं। इसके चलते संसद के सबसे महत्वपूर्ण बजट सत्र में राहुल बाबा नदारद होंगे। राहुल के यूं भाग जाने से न केवल कांग्रेसी कार्यकर्ताओं में एक गलत संदेश गया है बल्कि भाजपा को कांग्रेस पार्टी पर हमला करने का एक बहाना भी मिल गया है। बजट के समय उनके लोकसभा में अनुपस्थित रहने की खबर पर जहां पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी तक को कहना पड़ा कि राहुल को कुछ वक्त चाहिए। कुछ हफ्ते में फिर वापस आएंगे, वहीं भाजपा ने तंज कसते हुए कहा कि पिछले एक दशक में संसद में कांग्रेस नेताओं के इसी रवैए के कारण ही पार्टी 44 सीटों पर सिमट गई है। जमीनी स्तर के कांग्रेस कार्यकर्ताओं का कहना है कि हार के बाद हार की वजह से पहले ही कार्यकर्ताओं का मनोबल गिरा हुआ है और चुनौतीपूर्ण समय में खुद राहुल के मैदान छोड़कर भागने से न पाटी का भला होगा और न खुद राहुल का। क्या राहुल गांधी अपने ही नेताओं से नाराज हैं? क्या अपनी ही पार्टी में उन्हें तवज्जो नहीं मिल रही है? या कांग्रेस की लगातार हार की वजह तलाशने के लिए एकांतवास पर चले गए हैं? अटकलबाजी तो यह भी लगाई जा रही है कि राहुल पार्टी अध्यक्ष के करीबी कुछ वरिष्ठ नेताओं की लॉबी से नाखुश हैं और पाटी के जल्दी होने जा रहे आगामी फेरबदल मे उन्हें हटाना चाहते थे। कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक पाटी में राहुल के सुधार करने के कुछ विचारों से दल के पुराने नेताओं का एक पभुत्वकारी हिस्सा सहमत नहीं है और दोनों खेमों के अलग विचारों से बार-बार तनाव उभर कर सामने आते हैं। बेंगलुरू में अपैल में कांग्रेस अधिवेशन है जिसमें राहुल को अध्यक्ष बनाने की चर्चा है। लेकिन पाटी के एक बड़े तबके ने सोनिया को ऐसा न करने की सलाह दी है। राहुल की नाराजगी की यही वजह बताई जा रही है। राहुल गुरुवार को ही बैंकाक से लौटे थे। उन्होंने सोनिया से बदलाव की बातचीत की, वे नहीं मानीं। फिर राहुल ने अपनी मंडली से सलाह-मशविरा किया। इसमें राहुल के किसी खास को अध्यक्ष बनाने की बात भी आई लेकिन राहुल ने मना कर दिया। इसके बाद वे सीपी जोशी, मिस्त्राr, माकन से चर्चा के बाद विदेश रवाना हो गए। राहुल के रवैए ने नाराज पाटी के कईं नेता अब सोनिया से कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक बुलाने की मांग भी कर सकते हैं। राहुल गांधी के रवैए से पियंका गांधी वाड्रा को पाटी में लाने की वकालत करने वाले नेता काफी उत्साहित हैं। अब वे ``पियंका लाओ, कांग्रेस बचाओ'' के अपनी मुहिम को और तेज कर सकते हैं। राहुल के रवैए से यह लग रहा है कि वह राजनीति में अहम भूमिका निभाने को तैयार नहीं हें। उनका संसद के अंदर का इतिहास सबके सामने है। अनके ऑन-आफ होने की खबरें अक्सर आती रहती हैं। सबसे ज्यादा मुश्किल सोनिया की है, इधर कुआं तो उधर खाई।   

-अनिल नरेन्द्र

No comments:

Post a Comment