Sunday 22 February 2015

मुठभेड़ नहीं करता तो कश्मीर बन जाता गुजरात

2860 दिन बाद सोहराबुद्दीन व इशरत जहां मुठभेड़ मामले में गिरफ्तार हुए पुलिस के पूर्व डीआईजी डीजी बंजारा जमानत पर जेल से बाहर आए। इस मौके पर लगभग आठ साल (सात साल 10 माह) बाद बुधवार को साबरमती जेल के बाहर पत्नी और बेटे सहित उनके प्रशंसकों की भारी भीड़ जमा थी। लोगों ने एक नायक की तरह उनका स्वागत किया और फूल-मालाओं से लाद दिया। अखिल भारतीय आतंकवाद विरोधी मोर्चे के अध्यक्ष मनिंदर जीत सिंह बिट्टा ने जेल के बाहर उनकी अगवानी की। बंजारा ने बाहर निकलते ही कहा कि एनकाउंटर सच है। जांच करने वाली दोनों एजेंसियों की जांच ही बोगस है। इस कारण तीनों एनकाउंटर में 30 पुलिस वालों को जेल जाना पड़ा। उन्होंने दो टूक कहा कि मुठभेड़ नहीं करता तो यह देश का दूसरा कश्मीर बन जाता। निश्चित रूप से मेरे लिए और गुजरात पुलिस के लिए अच्छे दिन आ  गए हैं। खुद को देश की राजनीतिक साजिश का शिकार बताते हुए उन्होंने कहा कि उस वक्त सत्ता में बैठे लोगों के इशारे पर सीबीआई व गुजरात पुलिस को काम करना पड़ा। मुठभेड़ को सही बताते हुए उन्होंने कहा कि उस समय के घटनाक्रम को साधारण व्यक्ति भी समझ सकता है। गोधरा कांड, अक्षरधाम हमला, पूर्व मंत्री हरेन पांड्या की हत्या, बस में टिफिन बम यह ऐसी घटनाएं थीं जिनका जवाब देना जरूरी था। बंजारा ने जेल से बाहर आने के बाद शायराना अंदाज में पत्रकारों के सवालों का जवाब दिया। उन्होंने एक शेर गुनगुनाया, `फानूस बनकर जिसकी हिफाजत हवा करे, वो शमा क्या बुझे जिसे रोशन खुदा करे।' उल्लेखनीय है कि सोहराबुद्दीन व इशरत जहां मुठभेड़ मामलों में 24 अप्रैल 2007 को बंजारा को गिरफ्तार किया गया था। सितम्बर 2013 को उन्होंने पद से इस्तीफा दे दिया था, लेकिन सरकार ने उसे स्वीकार नहीं किया। पिछले साल जून में जेल से ही वह सेवानिवृत्त हो गए थे। गत चार फरवरी को ही सीबीआई कोर्ट ने उन्हें सशर्त जमानत दी थी। एमएस बिट्टा ने मौके पर कहाöबंजारा राजनीतिक आतंक के शिकार हुए। सीबीआई और जांच एजेंसियों का दुरुपयोग किया गया। आतंकियों को सिर्प गुजरात में सही जवाब दिया गया। अहमदाबाद के बाहरी इलाके में 15 जून 2004 को गुजरात पुलिस के साथ मुठभेड़ में पुंद्रा में रहने वाली कॉलेज की छात्रा इशरत, जावेद शेख उर्प प्रणेश पिल्लई, अहमद अली अकबराली राणा और जीशान जौहर के मारे जाने की घटना के वक्त बंजारा अपराध शाखा में पुलिस उपायुक्त थे। अपराध शाखा ने उस वक्त दावा किया था कि मुठभेड़ में मारे गए लोग लश्कर--तैयबा के आतंकी थे और तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या करने के लिए गुजरात आए थे। बंजारा ने पिछले साल जमानत याचिका दायर की थी और उसमें दलील दी थी कि वह जेल में सात साल गुजार चुके हैं और चूंकि आरोप पत्र दाखिल किया जा चुका है ऐसे में उन्हें जमानत पर रिहा किया जाना चाहिए।

-अनिल नरेन्द्र

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