Wednesday, 4 February 2015

चरम पर पहुंचता दिल्ली में सियासी पारा

जैसे-जैसे दिल्ली के चुनाव करीब आते जा रहे हैं राजधानी का सियासी पारा चरम पर पहुंचता जा रहा है। रविवार को तीनों सियासी दिग्गजों ने दिल्ली में रैली की। अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने द्वारका में रैली की तो कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी बदरपुर के मीठापुर गांव में गरजीं। अरविंद केजरीवाल ने एक प्रेस कांफ्रेंस कर भाजपा पर हमला बोला। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने द्वारका में आप और कांग्रेस पर जमकर हमला बोला। मोदी ने कहाöपेट्रोल-डीजल की कीमतें कम हुई हैं और जनता के कुछ पैसे बचने लगे हैं। मेरे विरोधी कहते हैं कि मोदी नसीबवाला है, इसलिए ऐसा हुआ। मान लीजिए अगर मेरे नसीब से दाम कम होते हैं तो बदनसीब को लाने की क्या जरूरत है। आप बताएं कि नसीबवाला चाहिए या बदनसीब। मोदी ने केजरीवाल का नाम लिए बिना कहा कि सरकार चलाना गंभीर जिम्मेदारी होती है। भागने से काम नहीं चलता है। एक साल के राष्ट्रपति शासन में दिल्ली 25 साल पीछे चली गई है। मोदी ने कहा कि दिल्ली से प्रार्थना है कि गलती से भी आधा-अधूरा मत न करना। उनका साफ इशारा 2013 चुनाव की ओर था जहां पूर्ण बहुमत न मिलने से भाजपा सरकार नहीं बना सकी। उधर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बदरपुर के मीठापुर गांव में कहा कि देश नारों से नहीं चलता है बल्कि इसके लिए समर्पण और संघर्ष ही एकमात्र जरूरत है। अपनी पहली चुनावी रैली में उन्होंने लोगों को 15 साल के कांग्रेस के शासन में दिल्ली को विश्वस्तरीय शहर बनाने का हवाला देकर विरोधियों पर खूब निशाना साधा। सोनिया ने त्रिलोकपुरी में भी एक रैली को संबोधित किया। उन्होंने सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं का हवाला देते हुए कहा कि आज हम जिस मुकाम पर हैं उसका कारण यहां की गंगा-जमुनी तहजीब है, लेकिन कुछ ताकतें हैं जो त्रिलोकपुरी और दिलशाद गार्डन जैसी घटनाओं को अंजाम देती हैं। ऐसी ताकतों को परास्त करना होगा। सोनिया ने दोनों प्रधानमंत्री और केजरीवाल का नाम लिए बगैर करारा हमला करते हुए कहाöएक तो प्रचारक हैं और दूसरा धरनेबाज हैं। खास बात यह भी थी कि रैली में पहली बार दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित भी सोनिया गांधी के साथ मंच पर मौजूद थीं। आप पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल को इस बात की तो दाद देनी ही होगी कि अकेले दिग्गजों के सामने डटे हुए हैं। अकेले ही आरोपों की बौछार झेल रहे हैं। रविवार को महिला सुरक्षा के मसले पर केंद्र सरकार और भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि केंद्र में भाजपा की सरकार बनने के बाद राजधानी में महिलाओं के खिलाफ अपराध बढ़े हैं। खासतौर से दुष्कर्म की घटनाओं में 30 प्रतिशत का इजाफा हुआ है और छेड़छाड़ के मामले भी बढ़े हैं। महिलाओं को सुरक्षा दिलाने का भाजपा का दावा पूरी तरह खोखला है। केंद्रीय रसायन व उर्वरक राज्य मंत्री निहाल सिंह पर भी दुष्कर्म के आरोप हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री के रूप में पिछले साल अपने 49 दिनों के कार्यकाल के बारे में केजरीवाल ने खेद प्रकट करते हुए कहा कि अब कभी इस्तीफा नहीं दूंगा।

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