Sunday 15 February 2015

क्या तीस्ता सीतलवाड़ राजनीतिक प्रतिशोध का शिकार हैं?

सामाजिक कार्यकर्ता और मानवाधिकार की चैंपियन तीस्ता सीतलवाड़ एक बार फिर सुर्खियों में हैं। 2002 के गुजरात दंगों के बाद सीतलवाड़ अपने मोदी विरोधी अभियान के लिए पूरे देश में चर्चा में आईं। दूसरों को कठघरे में खड़ी करने वाली यह महिला आज खुद कठघरे में खड़ी है और अपनी गिरफ्तारी से बचने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा रही है। सुप्रीम कोर्ट ने तीस्ता सीतलवाड़ और उनके पति की गिरफ्तारी पर शुक्रवार तक के लिए अंतरिम रोक लगा दी है। दम्पत्ति की अंतरिम जमानत की याचिका गुरुवार को ही गुजरात हाई कोर्ट ने खारिज की थी। क्या है मामला? 28 फरवरी 2002 को गुलबर्ग सोसायटी पर दंगाइयों की भीड़ ने हमला कर दिया था। इसमें 69 लोग मारे गए थे। गोधरा दंगों के बाद यह घटना घटी थी। अहमदाबाद की गुलबर्ग सोसायटी में दंगे में मारे गए लोगों की याद में एक स्मारक बनाने के लिए फंड जमा हुआ था। गुलबर्ग हाउसिंग सोसायटी के ही एक दंगा पीड़ित ने तीस्ता सीतलवाड़, उनके पति जावेद आनंद और उनके दो गैर-सरकारी संगठन सिटीजंस फॉर जस्टिस एंड पीस और सबरंग ट्रस्ट के खिलाफ अहमदाबाद पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी। इस शिकायत में तीस्ता सीतलवाड़ और उनके पति जावेद आनंद पर एक करोड़ 57 लाख रुपए गबन करने का आरोप लगाया गया था। शिकायत के अनुसार आरोपियों ने गुलबर्ग सोसायटी को संग्रहालय में तब्दील करने के लिए धन एकत्र किया था और अब उन्होंने कथित रूप से 1.57 करोड़ रुपए गबन कर लिया है। दूसरी ओर आरोपियों का दावा है कि इस मामले में उन्हें फंसाया गया है और वे राजनीतिक प्रतिशोध का शिकार हैं। उनका दावा है कि दंगा भड़काने वाले ही उन्हें निशाना बना रहे हैं। गुजरात हाई कोर्ट ने तीस्ता और उनके पति जावेद की अग्रिम जमानत खारिज कर दी थी। इसके बाद पुलिस तीस्ता को गिरफ्तार करने उनके मुंबई स्थित घर पर पहुंची। गुजरात हाई कोर्ट के जस्टिस जेबी परदीवाला ने अपने फैसले में कहा था कि आरोपी जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं। प्रथम दृष्टया ऐसा लग रहा है कि इन लोगों ने ट्रस्ट के फंड का इस्तेमाल निजी कामों में किया है। इसलिए इन्हें अग्रिम जमानत नहीं दी जा सकती है। इसके बाद सीतलवाड़ पर गिरफ्तारी की तलवार लटक गई थी। सीतलवाड़ और उनके पति जावेद आनंद के अलावा गुजरात के दंगे में मारे गए पूर्व कांग्रेस सांसद अहसान जाफरी के बेटे तनवीर जाफरी और गुलबर्ग सोसायटी के निवासी फिरोज गुलजार इस मामले के आरोपी हैं। मामला हाई कोर्ट से सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। अगर सीतलवाड़ निर्दोष हैं तो उन्हें डरने की, भागने की कोई जरूरत नहीं होनी चाहिए। देश की सर्वोच्च अदालत तय कर लेगी कि यह मामला पैसों के गबन का है या सियासी दुश्मनी का जैसा सीतलवाड़ दावा कर रही हैं?

No comments:

Post a Comment