Wednesday 25 February 2015

कांटों से भरी है केजरीवाल की राह

दिल्लीवासियों ने आम आदमी पार्टी (आप) को प्रचंड बहुमत देकर अपना काम कर दिया है अब बारी मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की है। केजरीवाल के सामने दिल्ली की जनता से किए गए वादों को पूरा करने की चुनौती है। इसे लेकर वह गंभीर भी हैं और जीत हासिल करने के बाद उन्होंने पहला काम यह किया कि दिल्ली के मुख्य सचिव को बुलाकर पार्टी का घोषणा पत्र देकर दिल्ली की जनता से किए वादों को पूरा करने के लिए एक्शन प्लान बनाने का निर्देश दिया। अधिकारी इसमें लग भी गए हैं। लेकिन केंद्र शासित दिल्ली की गद्दी पर बैठना केजरीवाल के लिए कांटों की सेज पर चलने जैसा होगा। आप ने अपने घोषणा पत्र में कई ऐसे वादे किए हैं जिनके लिए उसे या तो मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार या फिर भाजपा की कमान वाले दिल्ली नगर निगम पर निर्भर होना पड़ सकता है। जनलोकपाल बिल, पूर्ण राज्य का दर्जा, आवासीय योजना, कानून व्यवस्था, पूरी दिल्ली में सीसीटीवी कैमरों व वाई-फाई आदि के लिए बजट या मंजूरी उसके सबसे बड़े मौजूदा राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी भाजपा की मोदी सरकार से ही मिलेगी। इतना ही नहीं, अन्य बड़े चुनावी मुद्दे जैसे अनाधिकृत कॉलोनियों को अधिकृत करने और इनके विकास कार्य के लिए भी उन्हें केंद्र की ओर देखना पड़ेगा। दिल्ली सरकार के वित्त विभाग के अधिकारियों का कहना है कि सस्ती बिजली व मुफ्त पानी उपलब्ध कराने के लिए फिलहाल सब्सिडी ही रास्ता है। अगस्त 2014 में केंद्र सरकार से 31 मार्च 2015 तक के लिए 260 करोड़ रुपए की सब्सिडी मिली थी, इससे 200 यूनिट तक के बिल पर 30 फीसद और 400 यूनिट तक के बिल पर 15 फीसद की छूट दी जा रही है। यदि 400 यूनिट तक 50 फीसद छूट दी जाएगी तो इसके लिए लगभग 1400 करोड़ रुपए की जरूरत होगी। वहीं बिजली वितरण कंपनियां घाटे का हवाला देकर पहले ही दिल्ली विद्युत नियामक आयोग से बिजली दरों में 10 से 15 फीसद बढ़ोत्तरी की गुहार लगा चुकी हैं। अगर यह बढ़ोत्तरी हुई तो सब्सिडी की राशि 1600 करोड़ रुपए तक पहुंच जाएगी। इसी तरह प्रति माह प्रति परिवार 20 हजार लीटर मुफ्त पानी के लिए 350 करोड़ रुपए की जरूरत होगी। इस तरह अकेले बिजली-पानी के लिए 1950 करोड़ रुपए की जरूरत है। यह राशि दिल्ली सरकार के विकास बजट का 11 फीसद के करीब है। दिल्ली में आम आदमी पार्टी की ऐतिहासिक जीत के बाद भले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अरविंद केजरीवाल को फोन पर जीत की बधाइयां देते हुए दिल्ली की नई सरकार को केंद्र से हर संभव मदद देने की बात कही है लेकिन तमाम ऐसे मुद्दे हैं जिनको लेकर केंद्र और केजरीवाल सरकार में टकराव की स्थिति बन सकती है। दिल्ली विधानसभा में जो भी बिल पास करके केंद्र को भेजा जाएगा उस पर केंद्र की ही मुहर लगेगी। पुलिस, जमीन, पानी, पूर्ण राज्य का दर्जा, जनलोकपाल बिल जैसे तमाम ऐसे मुद्दे हैं जिन पर केजरीवाल सरकार और केंद्र के बीच टकराव की स्थिति बन सकती है।

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