Thursday, 5 February 2015

क्या भाजपा के सपनों पर आप झाड़ू फेर देगी?

हालांकि दिल्ली विधानसभा चुनाव में वोट पड़ने में मुश्किल से दो दिन बचे हैं पर फिर भी कौन जीत रहा है यह स्पष्ट नहीं। अगर सर्वेक्षणों की बात करें तो आप दिल्ली का चुनाव जीत रही है। हिंदुस्तान टाइम्स और सीफोर के सर्वे में आप को स्पष्ट बहुमत के आसार हैं जबकि भाजपा को पिछड़ता दिखाया गया है। 27 दिसंबर से 1 जनवरी के बीच कराए गए सर्वे में राजधानी की सभी 70 सीटों के 3578 मतदाताओं को शामिल किया गया। सर्वे के अनुसार आप को 36-31 सीटें जबकि भाजपा को 27 से 32 सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया है। वोट पतिशत के हिसाब से भी आप भाजपा से तीन फीसदी आगे है। द इकोनॉमिक टाइम्स के लिए पोलिंग फर्म टीएनएस ने जो ओपिनियन पोल कराया है उससे पता चल रहा है कि आप को बहुमत मिल रहा है। जनवरी के आखिरी सप्ताह में कराए गए इस सर्वे के अनुसार 70 सदस्यों वाली विधानसभा में उसे 36-40 सीटें मिल सकती हैं। उसे 49 पतिशत वोट मिलेंगे। वहीं भाजपा को 26-32 सीटें मिल सकती हैं। कांग्रेस को 2-4 सीटों पर सिमटना पड़ेगा। यह सर्वे 16 विधानसभा क्षेत्रों में 3260 वोटर्स के बीच किया गया था। नवंबर-दिसंबर में कराए गए ईटी-टीएनएस पोल में भाजपा को 43-47 सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया था। तब आप को 22-25 सीटें मिलती दिख रही थीं। अगर एक मिनट के लिए इस सर्वेक्षण को ही मान लें तो इससे दो बातें साबित होती है। पहली कि भाजपा ने दिल्ली चुनाव करवाने में देर कर दी। इन्हें लोकसभा चुनाव के तुरंत बाद दिल्ली विधानसभा को चुनाव करवा लेना चाहिए था जब हवा मोदी और भाजपा के पक्ष में थी। नौ महीनों के राष्ट्रपति शासन में भाजपा ने जनता के लिए कुछ भी नहीं किया और यही सोचा कि पधानमंत्री की लोकपियता पर चुनाव जीत लेंगे। मोदी लहर घटती गई और आज भाजपा को इतनी मुशक्कत करनी प़ड़ रही है। देश के पधानमंत्री, 19 कैबिनेट मंत्री, 150 सांसद, 13 मुख्यमंत्री, आरएसएस की पूरी फोर्स और न जाने कितने और लोग आज दिल्ली विधानसभा चुनाव में लगे हुए हैं। दूसरी बात जो उभर कर आती है वह है दिल्ली में भाजपा नेतृत्व की। पहले विजय गोयल को साइड लाइन fिकया गया, फिर डॉ. हर्षवर्धन को और फिर सतीश उपाध्याय को। मजबूरी में अंतिम समय में किरण बेदी को लाना पड़ा। लोकसभा चुनाव के बाद से जहां भाजपा कमजोर होती चली गई वहीं अरविंद केजरीवाल और उनकी पाटी मजबूत होती चली गई पर भाजपा ने हार नहीं मानी और आज भी अमित शाह कह रहे हैं कि दिल्ली में दो-तिहाई से चुनाव जीत रहे हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली में भाजपा की असली ताकत तो संगठन ही है। हां, बेदी के आने से अतिरिक्त लाभ मिलेगा। भाजपा अंतिम दौर में आंतरिक सर्वेक्षण का सहारा लेकर दिल्ली के मतदाताओं को लुभाने की पुरजोर कोशिश कर रही है। भाजपा लगातार दावा कर रही है कि उसके आंतरिक सर्वेक्षण में उसे 44 सीटों से अधिक मिलेंगी। पहले भाजपा ने मिशन 60 बनाया था लेकिन जैसे-जैसे चुनाव में आम आदमी पाटी और कांग्रेस की तरफ से चुनौतियां मिलने लगीं। उसको देखते हुए रणनीति के साथ ही सीटों की संख्या में कमी होती गई। मुकाबला भाजपा और आप के बीच है। पधानमंत्री जहां आप के नेताओं को इशारों में टारगेट कर रहे हैं। वहीं अमित शाह और सभी बड़े नेता आप पमुख अरविंद केजरीवाल पर खुलकर निशाना लगा रहे हैं। भाजपा लगातार रणनीति में बदलाव कर रही है। राज्य स्तर के नेताओं को पीछे कर के चुनाव के दौरान किरण बेदी को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया। हालांकि हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में भाजपा ने किसी नेता को बतौर मुख्यमंत्री पोजेक्ट नहीं किया था। रणनीति के तहत ही भाजपा ने तमाम मंत्रियों, मुख्यमंत्रियों, सांसदों की फौज उतार दी। सूत्रों की मानें तो वित्त मंत्री अरुण जेटली सुबह-शाम व देर रात तक बैठकर हर संसदीय क्षेत्रवार विधानसभा सीटों के अनुसार रणनीति बनाने में जुटे हुए हैं। भाजपा जीते या आम आदमी पाटी जीते हम तो बस इतना चाहते हैं कि दिल्ली में स्पष्ट बहुमत के साथ स्थिर सरकार बने। त्रिशंकु नहीं आनी चाहिए।

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