Thursday 12 February 2015

...और अब एक और स्विस बैंक खातेदारों की सूची

गोपनीय खातों के लिए कुख्यात एचएसबीसी की स्विस शाखा में संदिग्ध खातेदारों की एक और सूची सामने आई है। एक अंग्रेजी दैनिक ने अंतर्राष्ट्रीय खोजबीन नेटवर्क के सहयोग से पता लगाया है कि इस बैंक में 1195 भारतीयों के खाते हैं जिनमें करीब 4 अरब डॉलर (लगभग 25 हजार करोड़ रुपए) जमा है। इन खातेदारों में देश के बड़े उद्योगपतियों के अलावा राजनीतिक हस्तियां, हीरा व्यापारी और एनआरआई शामिल हैं। एचएसबीसी की मानें तो यह सूची चुराए गए विवरण का एक हिस्सा है और खातेदारों में से ज्यादातर का कहना है कि उन्होंने कुछ गलत नहीं किया है। कुछ ऐसे भी हैं जे इससे साफ इंकार कर रहे हैं कि उनका एचएसबीसी अथवा किसी अन्य स्विस बैंक में कोई खाता है। जाहिर सी बात है कि बिना किसी पामाणिक, गहन जांच के बाद ही दावे से खातों के बारे में कुछ कहा जा सकता है। मुश्किल यह भी है कि अभी यह भी दावे से नहीं कहा जा सकता कि कौन सा मामला महज टैक्स चोरी का है और कौन सा अवैध तरीके से अर्जित किए गए धन का है? इनमें से कई ने कहा है कि यह एकाउंट नियमöकानून के तहत खोले गए हैं और उनमें जमा पैसा ब्लैक मनी की श्रेणी में नहीं आता। शीर्ष उद्योगपतियों मुकेश अंबानी, अनिल अंबानी तथा जेट एयरवेज के चेयरमैन नरेश गोयल ने स्विस बैंक में किसी तरह के अवैध खाते होने की खबरों को खारिज किया है। गोयल ने संवाददाताओं से कहा कि किसी पकार का कालाधन नहीं है और कुछ भी छिपाना नहीं है। कोई चिंता की बात नहीं है। मैं सभी नियमनों व नियमों का पालन कर रहा हूं। रिलायंस इंडस्ट्रीज के एक पवक्ता ने कहा कि न तो रिलायंस इंडस्ट्रीज और न ही मुकेश अंबानी का दुनिया में किसी भी जगह गैर कानूनी बैंक खाता है। इसी तरह अनिल अंबानी के एक पवक्ता ने कहा कि श्री अंबानी का विदेश में एचएसबीसी बैंक में कोई खाता नहीं है। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री नारायण राणे ने भी स्विस बैंक में उनका या उनके परिवार के किसी सदस्य का खाता होने की बात को खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा कि पूर्व में भी मेरा नाम आया है। इसमें कोई सच्चाई नहीं है। सरकार चाहे यूपीए की हो या एनडीए की, जब-जब यह मुद्दा उठता है तब-तब वह या तो मामले को टरकाने की कोशिश करती है या फिर जोर-जोर से बोलने लगती है कि वह इतने लोगों के नाम उजागर करेगी और जरूरी कार्रवाई करेगी। लेकिन हाल में सुपीम कोर्ट ने साफ कहा था कि उसकी दिलचस्पी विदेश से काला धन वापस लाने में है। लोगों के नाम जानने में नहीं। इस मामले में मौजूदा सरकार भी असमंजस में दिखती है। भाजपा ने कालाधन वापस लाने का वादा तो किया लेकिन सत्ता में आने के बाद उसे समझ में आ रहा है कि यह आसान नहीं है। अच्छा होगा कि सरकार एक श्वेत पत्र के जरिए लोगों और अदालतों के सामने भी स्थिति स्पष्ट करे और इस मुद्दे पर अपनी कार्य योजना का खाका पस्तुत करे। तकनीकी टालमटोल और व्यर्थ के तर्कों से तो सरकार की न केवल छवि ही खराब हो रही है बल्कि पधानमंत्री मोदी की साख भी पभावित हो रही है।

-अनिल नरेंद्र

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