Wednesday 18 February 2015

भारत के आरोपों की परवेज मुशर्रफ ने पुष्टि की

जो बात भारत वर्षों से कहता आ रहा है उसकी पुष्टि अब खुद पाकिस्तान के पूर्व सदर व पूर्व पाक आर्मी चीफ जनरल परवेज मुशर्रफ ने कर दी है। जनरल परवेज मुशर्रफ ने इसकी पुष्टि की है कि पाक की खुफिया एजेंसी आईएसआई ने ही आतंकी संगठनों को खड़ा किया है और आईएसआई ने यह काम भारतीय हितों को नुकसान पहुंचाने के मकसद से अंजाम दिया। मुशर्रफ ने अंग्रेजी के प्रतिष्ठित समाचार पत्र `द गार्जियन' को दिए एक साक्षात्कार में स्वीकार किया कि तालिबान आईएसआई द्वारा बनाया गया आतंकी संगठन है। पाकिस्तान 
26/11 हमले के मास्टर माइंड हाफिज सईद के नेतृत्व वाले जमात-उद-दावा और हक्कानी नेटवर्प सहित कम से कम 10 आतंकी संगठनों को हर संभव मदद कर रहा है। मुशर्रफ का कहना है कि पाकिस्तान की मौजूदा नवाज शरीफ सरकार को अफगानिस्तान में सक्रिय आतंकी संगठन को दी जा रही मदद पर विराम लगा देना चाहिए। इंटरव्यू के दौरान मुशर्रफ ने माना कि जब वह सत्ता में थे तो उनकी सरकार ने अफगानिस्तान की तत्कालीन हामिद करजई सरकार को नीचा दिखाने की कोशिश की और हामिद करजई की राह में कांटे बिछाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। उन्होंने बताया कि करजई का विरोध इसलिए किया गया क्योंकि उन्होंने पाकिस्तान की पीठ में छुरा घोंपने में भारत की मदद की थी। लेकिन अब वक्त आ गया है कि अफगानिस्तान के मौजूदा राष्ट्रपति अशरफ गनी की मदद करें। लिहाजा आतंकी संगठनों को आईएसआई की ओर से दी जा रही मदद फौरन बंद कर दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि क्षेत्र में शांति के लिए राष्ट्रपति गनी उम्मीद की आखिरी किरण हैं। बकौल मुशर्रफ यह सच है कि अपने कार्यकाल के दौरान करजई पाकिस्तान को चोट पहुंचाने की कोशिश कर रहे थे, इसलिए हम उस सरकार के खिलाफ काम कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आईएसआई के जासूसों ने 2001 के बाद तालिबान को मदद पहुंचानी शुरू कर दी थी क्योंकि करजई सरकार भारत समर्थक थी। मुशर्रफ ने कहा कि पाकिस्तानी सेना भारत से सशंकित रहती है क्योंकि युद्ध में उसने हमें तीन बार हराया है। पाकिस्तान को तोड़कर बंगलादेश के गठन में नई दिल्ली का पूरा हाथ रहा है। उन्होंने बताया कि वह भारत विरोधी नहीं हैं लेकिन पड़ोसी देश के प्रति अमेरिकी दुर्भावना का इस्तेमाल करने से चूकते नहीं थे। पूर्व राष्ट्रपति का कहना था कि भारत भले ही खुद को बड़ा लोकतांत्रिक देश कहे, मानवाधिकारों का रक्षक बताए लेकिन सच्चाई यह है कि वहां कोई मानवाधिकार नहीं है। अगर किसी पंडित पर अछूत जाति के लोगों की परछाईं भी पड़ जाए तो वह गरीब बेचारा मार दिया जाता है। मुशर्रफ ने कहा कि अन्य जवानों की तरह वह भी भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ की भूमिका को लेकर सशंकित थे। रॉ पाकिस्तान को तोड़ने के लिए अलगाववादी ताकतों को मदद पहुंचा रही थी और दोनों रॉ और आईएसआई पर नियंत्रण लगना चाहिए। मुशर्रफ की स्वीकृति भारत के आरोपों की पुष्टि करती है।


-अनिल नरेन्द्र

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