Sunday, 15 February 2015

करारी हार के बाद भाजपा में मचा घमासान, जिम्मेदार कौन है?

मैंने अक्सर चुनाव में कांग्रेस की हार के लिए जिम्मेदारी तय करने की बात उठाई है। दुख से कहना पड़ता है कि एक के बाद एक हार के बाद भी कांग्रेस ने न तो आत्मचिन्तन ही किया और न ही हार की जिम्मेदारी किसकी है यह तय किया। अब भाजपा की बारी है। भारतीय जनता पार्टी तो अपने आपको पार्टी विद ए डिफरेंस बताती है तो दिल्ली विधानसभा में इतनी करारी हार का जिम्मेदार कौन है इसे क्यों तय करने से कतरा रही है? इस करारी हार के बाद भाजपा के भीतर नेताओं में गुस्सा बुरी तरह से सुलग रहा है। हालांकि फिलहाल इस मामले में पार्टी के सीनियर नेताओं के खिलाफ कोई आवाज उठाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है। महत्वपूर्ण है कि आमतौर पर हार के लिए एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहराने वाले दिल्ली भाजपा के ज्यादातर नेता इस बात से एकमत हैं कि हार के लिए स्थानीय नेतृत्व की बजाय सीनियर लीडरशिप जिम्मेदार है क्योंकि उसके गलत फैसलों, नीतियों की वजह से वोटरों के बीच गलत संदेश गया। विधानसभा चुनाव में करारी शिकस्त खाने वाली भाजपा को निशाने पर लेते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक रहे केएन गोविंदाचार्य ने कहा कि इस पार्टी को अपनी अलोकतांत्रिक कार्यशैली और सरकार की अमीर परस्त नीतियों का खामियाजा उठाना पड़ा है। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की नीतियों पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि सरकार की नीतियां अमेरिका और अमीर पसंद हैं, जिससे देश को नुकसान उठाना पड़ रहा है। गोविंदाचार्य ने कहा कि भाजपा में आदर्शवाद तो काफी पहले लुप्त हो गया था। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने पार्टी और संघ के नेताओं से गुरुवार को असहज करने वाले सवाल पूछे। भागवत ने नेताओं से पूछा कि भाजपा के कार्यकर्ता लोगों के मूड भांपने में क्यों नाकाम रहे? भाजपा के तीन मंत्रियोंöस्मृति ईरानी, निर्मला सीतारमण और रविशंकर प्रसाद को संघ कार्यालय केशवपुंज तलब किया गया। सूत्रों के मुताबिक भाजपा के नकारात्मक प्रचार से नुक्सान होने के अनुमान को लेकर नाराज संघ ने सीतारमण से सवाल किया कि फर्जी कंपनियों से चन्दे के मामले में उन्होंने बयान देते वक्त अरविंद केजरीवाल के लिए चोर शब्द का इस्तेमाल क्यों किया? संघ के एक शीर्ष सूत्र ने बताया कि हमारे कार्यकर्ताओं ने कई मंत्रियों और भाजपा नेताओं के अहंकार को लेकर शिकायत की थी। उनकी अनदेखी करके बाहर के लोगों को महत्व दिया गया। भाजपा सांसद कीर्ति आजाद और मनोज तिवारी ने पार्टी के रणनीतिकारों पर निशाना साधते हुए कहा कि पार्टी ने पुराने कार्यकर्ताओं की अनदेखी की। इसी तरह से पूर्वांचल के लोगों की उपेक्षा का खामियाजा भी पार्टी को भुगतना पड़ा। कीर्ति का कहना है कि यह शर्मनाक हार है। इतनी बुरी तरह से तो आस्ट्रेलिया में भारतीय टीम भी नहीं हारी। भाजपा ने खुद अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारी है। हम दिन-रात कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को कांग्रेस के सफाए के लिए कोसते रहते हैं। क्या भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और पीएम नरेंद्र मोदी इस शर्मनाक हार के लिए सीधे जिम्मेदार नहीं हैं? क्या अमित शाह इस हार की जिम्मेदारी स्वीकार करेंगे या फिर छोटे-मोटे नेताओं को बलि का बकरा बनाकर मामले को रफा-दफा कर देंगे। उन्हें अध्यक्ष पद से हटने की जरूरत नहीं पर इस हार की जिम्मेदारी लेने का जिगरा दिखाना चाहिए।

-अनिल नरेन्द्र

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