Friday 13 February 2015

यह तो राजनीतिक भूकंप है, सियासी जलजला है

पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के आठ विधायक जीते थे तो लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान मोदी की रैलियों में भाजपा के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष कटाक्ष करके कहते थे कि कांग्रेसी विधायक एक इनोवा कार में ही सवार होकर विधानसभा जा सकते हैं। अब भाजपा की यह स्थिति बन गई है कि उसके विधायक एक ऑटो में ही जा सकते हैं। 10 लाख के सूट पर 100 रुपए का मफलर भारी पड़ गया। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में ऐतिहासिक जीत पर आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल को बधाई देते हुए कहा कि लव जेहाद, घर वापसी, चार बच्चे पैदा करने जैसे मुद्दों को तूल देने की वजह से भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा। जिस तरह दिल्ली की जनता ने इन मुद्दों को सिरे से नकार कर भाजपा को एक सबक सिखाया है, उसी तरह उत्तर प्रदेश की जनता भी 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को सबक सिखाएगी। जहां ग्लोबल मीडिया ने आम आदमी पार्टी की जीत को राजनीतिक भूकंप करार दिया है वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तंज कसते हुए इंटरनेशनल मीडिया ने कहा है कि जो ऊपर जाता है उसे नीचे आना ही पड़ता है। द न्यूयार्प टाइम्स ने लोकसभा चुनाव में भाजपा की शानदार जीत के एक साल से भी कम समय में दिल्ली में उसकी हार को हल्का राजनीतिक भूकंप बताया। अखबार ने लिखा है कि लोकसभा चुनाव में ऐतिहासिक जीत दर्ज कर मोदी इंडिया के प्राइम मिनिस्टर बने। मंगलवार की हार एक सियासी भूकंप से कम नहीं। वाशिंगटन पोस्ट ने इसे नई भ्रष्टाचार विरोधी आम आदमी पार्टी के हाथों भाजपा की अद्भुत हार करार दिया। अखबार ने लिखा है कि दिल्ली चुनाव ने मोदी को झटका दिया है। सीएनएन नेटवर्प ने मोदी पर तंज कसने के लिए आइजक न्यूटन के भौतिकी के सिद्धांत का जिक्र करते हुए कहा कि जो ऊपर जाता है उसे नीचे आना ही होता है। ग्लोबल मीडिया में केजरीवाल की जीत का इतना जिक्र नहीं जितना मोदी की हार का है। इधर शानदार जीत पर अरविंद केजरीवाल को बधाई देते हुए जद (यू) ने मंगलवार को कहा कि दिल्ली के लोगों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा को खारिज कर दिया है। जद (यू) के प्रदेशाध्यक्ष ने पटना में कहा कि अरविंद केजरीवाल ने एक बड़ी लड़ाई जीती है। परिणाम यह भी संकेत देते हैं कि दिल्ली के लोगों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा की कार्यप्रणाली को खारिज कर दिया है। लोगों ने 10 लाख रुपए का सूट पहनने वाले के मुकाबले सादा जीवन रखने वाले व्यक्ति को प्राथमिकता देकर यह संदेश दिया कि चाय बेचने वाले को 10 लाख रुपए का सूट पहनकर आम आदमी की बात नहीं करनी चाहिए। दिल्ली विधानसभा चुनावों में आम आदमी के तूफान में भाजपा का तो सूपड़ा साफ ही हुआ लेकिन जो दुर्गति 125 साल से ज्यादा पुरानी कांग्रेस पार्टी की हुई उसको शब्दों में बताना मुश्किल है। कांग्रेस के दिग्गज उम्मीदवार अपनी जमानत तक नहीं बचा सके। पार्टी ने इस चुनाव में अपना खाता तक न खुलने का तो इतिहास रचा ही साथ ही उसके दो-तिहाई उम्मीदवारों ने जमानत खोकर एक और रिकार्ड बना डाला। दिल्ली में कांग्रेस की किस कदर दुर्दशा हुई है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पार्टी के 70 में से महज आठ प्रत्याशी ही अपनी जमानत बचा सके यानि 62 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई। पार्टी के चेहरे के तौर पर चुनाव लड़ रहे अजय माकन तक अपनी जमानत नहीं बचा सके। कांग्रेस के आधे उम्मीदवार 10 हजार का आंकड़ा भी पार नहीं कर पाए। वहीं 13 उम्मीदवारों को तो पांच हजार से भी कम वोट मिले। किरण वालिया को तो 400 से कम वोट मिले। यह पहली दिल्ली विधानसभा होगी जो कांग्रेसमुक्त होगी यानि एक भी कांग्रेसी विधानसभा में नहीं होगा। कांग्रेस के 130 साल के लम्बे इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब किसी भी प्रदेश के विधानसभा चुनाव में उसके एक भी उम्मीदवार चुनाव न जीता हो और इतने बड़े पैमाने पर दिग्गजों की जमानत जब्त हुई हो। इस चुनाव में चुनाव से ठीक पहले दल-बदल कर सत्ता हथियाने में लगे प्रमुख राजनीतिज्ञों को नकार दिया है। हारने वालों में पूर्व केंद्रीय मंत्री कृष्णा तीरथ, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष एमएस धीर, तीन पूर्व विधायक व तीन पार्षद भी शामिल हैं। वहीं केजरीवाल की हवा में दल-बदल करने वाले छह पार्षद, एक  पूर्व विधायक व विधानसभा के पूर्व उपाध्यक्ष विधानसभा में पहुंचने में कामयाब हुए हैं। लोकसभा चुनावों के बाद पीएम मोदी और अमित शाह की जोड़ी ने जो चुनाव लड़ा, जीता है। दिल्ली चुनाव हार गए। 13 साल में इस जोड़ी ने पहली बार चुनाव हारा है। अमित शाह ने 19 साल की उम्र में चुनाव प्रबंधन शुरू किया था। उन्होंने को-ऑपरेटिव से लेकर संसद तक के तीन दर्जन से अधिक चुनाव का प्रबंधन किया है हर बार जीते हैं। दिल्ली में मोदी-शाह-जेटली की तिकड़ी की हार से मोदी विरोधियों के चेहरे खिल गए हैं। नीतीश कुमार और ममता बनर्जी खासे खुश हैं। आप की सफलता का पहला असर बिहार में दिख रहा है। भाजपा अब जीतन राम मांझी से पल्ला झाड़ चुकी है। इसे जद (यू) की अंदरुनी लड़ाई करार दे रही है। इस चुनाव में सपा, राजद, जद (यू), तृणमूल कांग्रेस, माकपा, जैसी कई पार्टियों ने आप को समर्थन दिया था। अब आप की निगाहें पंजाब, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड पर लगी हैं। इन तीनों राज्यों के चुनाव 2017 में होने हैं। आप के चारों सांसद पंजाब से हैं। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे का कहना है कि आप की सुनामी मोदी की लहर से बड़ी है। मैंने केजरी से कहा कि इस बार कुर्सी छोड़ने की सोचना भी मत। यदि मुझे आमंत्रण मिला तो मैं शपथ ग्रहण में जाऊंगा। किरण बेदी के पति ब्रज बेदी ने कहा कि हार के लिए भाजपा वर्पर जिम्मेदार हैं। उन्होंने किरण का साथ नहीं दिया वरना वे क्यों चुनाव हारतीं?

-अनिल नरेन्द्र

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