Tuesday 17 February 2015

केजरीवाल सरकार की पहली चुनौती ः दिल्ली की यह बिजली कंपनियां

आम आदमी पार्टी की सरकार बनते ही केजरीवाल सबसे पहले लोगों को सस्ती बिजली और पानी मुहैया कराने का काम करेंगे। ऐसा पार्टी नेता और केजरीवाल सरकार में डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने कहा है। 67 सीटों के साथ अब तक का सबसे बड़ा बहुमत पाने के बाद आम आदमी पार्टी की सरकार के लिए सबसे पहली मुसीबत बिजली की दरें ही खड़ी करेंगी। आप ने दिल्ली वालों को चुनावों से ठीक पहले दरों में 50 प्रतिशत राहत देने का वादा किया था। हम भी चाहते हैं कि दिल्लीवासियों को बिजली दरों में राहत मिले। पर इस काम में यह बिजली कंपनियां रोड़ा अटकाएंगी और केजरीवाल सरकार को इस उद्देश्य में नाकाम करने का प्रयास करेंगी। इनके ड्रामे शुरू हो गए हैं। बिजली कंपनियों ने एक बार फिर घाटे का रोना रोते हुए 21 फीसदी तक दाम बढ़ाने की मांग दिल्ली विद्युत विनियामक आयोग (डीईआरसी) से की है। केजरीवाल द्वारा शनिवार को सीएम पद की शपथ लेने के साथ ही सरकार के गठन की प्रक्रिया शुरू हो गई है। डीईआरसी ने भी बिजली के नए टैरिफ के लिए प्रक्रिया शुरू कर दी है जो राहत के इस रास्ते में रोड़ा लगा सकती है। बिजली कंपनियों ने आगामी वित्त वर्ष के लिए बिजली टैरिफ के लिए जो मसौदा पेश किया है उस मसौदे में करीब 2500 करोड़ रुपए का घाटा दिखाया गया है और इस घाटे के आधार पर ही दिल्ली के लिए नया टैरिफ तैयार करने की सिफारिश की है। डिस्कॉम के मुताबिक बीआरपीएल ने कहा है कि वर्तमान टैरिफ में 16.29 प्रतिशत, बीवाईपीएल ने 19.48 फीसदी और टीपीडीएल ने 20.65 फीसदी की बढ़ोत्तरी होनी चाहिए। बीआरपीएल ने 14.12 फीसदी यानि 1241 करोड़ का घाटा दिखाया है। बीवाईपीएल कंपनी ने 18.83 फीसदी यानि 792 करोड़ का घाटा दिखाया है जबकि टीपीडीएल ने 13.33 फीसदी यानि 635 करोड़ रुपए का घाटा दिखाया है। इन बिजली कंपनियों को ठीक करने के लिए केजरीवाल सरकार को सख्ती करनी पड़ेगी। अभी तक सरकारी एजेंसी सीएजी से ऑडिट करवाने से बच रहीं दिल्ली की इन बिजली कंपनियों को अंतत अपनी खाताबही का ऑडिट करवाने के लिए हामी भरनी पड़ सकती है। राज्य में एक मजबूत सरकार बनाने के बाद आप की सरकार इनके ऑडिट पर वचनबद्ध है। दिल्ली के विधानसभा चुनाव में भी बिजली व्यवस्था में सुधार एक अहम मुद्दा रहा। आप की तरफ से बिजली पर एक श्वेत पत्र भी जारी किया गया है। इसमें कहा गया है कि किस तरह से पुरानी सरकारों ने बिजली वितरण कंपनियों का ऑडिट नहीं करवा कर दिल्ली के बिजली संकट को आज इतना बड़ा बना दिया है। इसमें बिजली वितरण कंपनियों पर यह आरोप लगाया गया है कि वह आम जनता से गलत तरीके से ज्यादा बिजली बिल वसूल करते हैं। बिजली मीटरों में भी धांधलेबाजी करते हैं। असली स्थिति का पता लगाने के लिए इनकी जांच होनी चाहिए। बिजली कंपनियों पर जानबूझ कर अन्य खर्चों में गड़बड़ी कर आम जनता पर बोझ डालने का आरोप भी इसमें है। इन सभी तथ्यों का खुलासा एक विस्तृत ऑडिट रिपोर्ट से ही हो सकता है। हमारा मानना है कि अदालतें भी इन बिजली कंपनियों की विस्तृत ऑडिट को नहीं रोकेंगी क्योंकि यह पब्लिक हित में है। केजरीवाल सरकार के इस मुद्दे पर हम भी सहमत हैं और जनहित में समर्थन करते हैं।

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