Sunday 1 November 2015

अब पछताए क्या होत मुशर्रफ जब चिड़ियां चुग गईं खेत

यह सभी जानते हैं कि जब कोई व्यक्ति रिटायर हो जाता है और देश की सियासत से बेदखल हो जाता है तो वह फिर से लाइमलाइट में बने रहने के लिए कई बातें बोलता रहता है। आमतौर पर वह ऐसे रहस्य खोलता है जिसकी जानकारी पहले से होती है पर अमुक व्यक्ति से उसकी पुष्टि जरूर हो जाती है। मैं पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति व सेनाध्यक्ष जनरल परवेज मुशर्रफ की बात कर रहा हूं। मुशर्रफ ने जो कुछ कहा उसमें कम से कम हमें तो कोई आश्चर्य नहीं हुआ। मुशर्रफ एक दशक से थोड़े ही कम अवधि तक पाकिस्तान के राष्ट्रपति रहे हैं और तीन दशक से ज्यादा उनका सेना का करियर है, इसलिए उनके पास वह सब जानकारी थी जिसका उन्होंने अब जिक्र किया है। जनरल मुशर्रफ ने कबूल किया है कि उनके देश ने कश्मीर को बढ़ावा देने के लिए 1990 के दशक में लश्कर--तैयबा जैसे आतंकी संगठनों को समर्थन और प्रशिक्षण दिया था। 72 वर्षीय पूर्व सैनिक शासक ने यह भी कहाöओसामा बिन लादेन और अयमान अल जवाहिरी जैसे नेता पाकिस्तानी हीरो थे, लेकिन बाद में विलेन बन गए। मुशर्रफ ने यह बातें हाल में `दुनिया न्यूज' को एक साक्षात्कार में कहीं। उन्होंने कहा कि 1990 के दशक में कश्मीर में आजादी का संघर्ष शुरू हुआ... उस समय लश्कर--तैयबा और 11 या 12 अन्य संगठन गठित हुए। हमने उनका समर्थन किया और उन्हें ट्रेनिंग दी, क्योंकि वह अपनी जिंदगी की कीमत पर कश्मीर में लड़ रहे थे। हमने पाकिस्तान के हक में रिलिजियस मिलिटेंसी शुरू की। हम पूरी दुनिया से मुजाहिद्दीन लाए। हमने तालिबान को ट्रेंड किया, उसे हथियार दिए, अंदर भेजा। लश्कर--तैयबा और उस जैसे करीब दर्जनभर आतंकवादी समूह खड़े किए जिनका पूरा नियंत्रण पाकिस्तान के हाथों में था। आईएसआई उनका नियोजित तरीके से भारत को लहुलूहान करने के लिए उपयोग करती थी। आतंकी संगठन लश्कर--तैयबा जैसे संगठनों को प्रशिक्षण देना और हर संभव मदद करने की स्वीकारोक्ति पर भारत में प्रतिक्रिया होना स्वाभाविक ही है। परवेज मुशर्रफ के बयान पर भारत सरकार, राजनेताओं व पूर्व राजनयिक और पूर्व जनरलों ने कड़े शब्दों में पाकिस्तान की निन्दा की है। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने चुटकी लेते हुए कहा कि पाकिस्तान में जैसे लोग हैं वैसे ही उनके हीरो होंगे। केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू ने कहा कि बदलाव के लिए ही सही उन्होंने सत्य तो बोला। यदि वे सही मायने में आतंकवाद से लड़ना चाहते हैं तो उन्हें भी आवाज उठानी पड़ेगी। उन्होंने कहा कि उन्हें इन लोगों (दाउद) को भारत को सौंपना चाहिए, क्योंकि इन्होंने जघन्य अपराध किया है। मुशर्रफ खुद स्वीकार करते हैं कि उन्होंने दाउद को शरण दी थी। पूर्व सेना प्रमुख जनरल वीपी मलिक ने कहा कि सच्चाई सामने आ गई है कि मुशर्रफ कैसे देश के भीतर और बाहर के लोगों को धोखा दे रहे हैं। वहीं रिटायर मेजर जनरल डीडी बख्शी ने कहा कि मुशर्रफ का बयान इस बात की पुष्टि करता है कि पाक ने तालिबान को पैदा किया। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव श्रीकांत शर्मा ने कहा कि इस खुलासे से पाक बेनकाब हो गया है, वहीं कांग्रेसी नेता प्रमोद तिवारी ने कहा कि मुशर्रफ के इस बयान से स्पष्ट हो गया है कि पाक आतंकवाद का गढ़ है। मुशर्रफ के इस बयान को पूर्व विदेश सचिव सलमान हैदर ने महत्वहीन हो चुके जनरल की भड़ास निकालना बताया। खुद को चर्चा में बनाए रखने के लिए पाकिस्तानी सियासत में महत्वहीन हो चुके मुशर्रफ ऐसे बयान दे रहे हैं। राजनीतिक मामलों के जानकार मारूफ रजा का मानना है कि मुशर्रफ का पहला लक्ष्य नवाज शरीफ पर दबाव बनाना है। वह संदेश देना चाहते हैं कि वह आतंकवाद जैसी चुनौतियों के बारे में मुशर्रफ से अधिक जानते हैं। मुशर्रफ कहते हैं कि आज स्थितियां बदल गई हैं। प्रश्न तो यही है कि आखिर यह खत्म होगा तो कैसे? पाकिस्तान कश्मीर में सक्रिय आतंकवादी समूहों के खिलाफ तो आवश्यक कार्रवाई करता नहीं और पश्चिम में सक्रिय जिन आतंकियों से पाक सेना युद्ध कर रही है उनकी ताकत इतनी है कि उनका खात्मा करना इस समय इनके बूते की बात नहीं। वस्तुत जैसी करनी वैसी भरनी। अब पछताए क्या होत जब चिड़ियां चुग गईं खेत। पाकिस्तान के साथ यही हो रहा है।

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