Thursday 26 November 2015

अब भारत में घुटन महसूस करने लगे हैं आमिर खान

लोकतंत्र में सबको अपने हिसाब से, अपनी सोच-समझ से, अपने विचार रखने का अधिकार होता है और इस पर किसी को किसी पकार की रोक-टोक नहीं। यह अधिकार आम आदमी से लेकर अभिनेता तक को है और अभिनेता आमिर खान को भी है पर जब आप पब्लिक में एक बयान देते हैं तो उसकी पतिकिया होना भी स्वाभाविक है और खास तौर पर आमिर खान जैसे उच्च कोटि के अभिनेता कुछ कहेंगे तो उसके समर्थन और विरोध में दोनों तरह की पतिकिया होगी। इसलिए कहते हैं कि अभिनेताओं को बहुत सोच-समझ कर पब्लिक में बयान देना चाहिए। इससे पहले कि आमिर और उसके समर्थक यह कहें कि मीडिया ने उनकी बात को तोड़-मरोड़कर पेश किया है। मैं पाठकों को बताना चाहता हूं कि आमिर खान ने कहा और क्या कहा है। सोमवार को रामनाथ गोयनका पत्रकारिता पुरस्कार समारोह में आमिर ने कहा देश में जो कुछ भी हो रहा है, हम अखबारों में उसके बारे में पढ़ते रहते हैं, टीवी पर देखते रहते हैं। अभिनेता ने कहा कि वह खुद भी महसूस करते हैं कि पिछले छह या आठ महीनों में असुरक्षा की भावना बढ़ी है। आमिर ने बताया, `जब मैंने घर पर किरण से इस बारे में बात की तो उन्होंने कहा कि क्या हमें भारत छोड़कर चले जाना चाहिए?' उन्होंने आगे कहा कि किरण अपने बच्चे की सुरक्षा के लिए भी चिंतित हैं। वह आसपास के माहौल से चिंतित हैं। वह पतिदिन अखबार खोलने से डरती हैं। इससे पता चलता है कि देश में बेचैनी बढ़ रही है। आप खुद समझ सकते हैं कि ऐसा क्यों हो रहा है? भारत देश के करोड़ों लोगों ने एक मामूली आदमी रहे आमिर खान को दिलों में बसाया। अरबों की सम्पत्ति का मालिक बनाया। एक-एक फिल्म को fिहट किया। कल तक भारत अतुलनीय था आज देश में अचानक आपको और आपकी बीबी को खौफ दिख रहा है? एक दर्शक की पतिकिया थी-आमिर खान के बयान ने मुझे आवेश और ग्लानी से भर दिया है, मुझे अपनी सहनशीलता या अहिष्णुता जो भी कहें, पर शर्म आने लगी कि हम इतने सहनशील क्यों हैं कि कोई भी हमें, इस देश को कितनी भी गाली दे लें और हम अभिव्यक्ति की आजादी और सहिष्णुता के नाम पर चुप सिर्प इसलिए हैं कि वह हमें फिर से असहिष्णुता न कर दे। हम उसके अधिकारों की रक्षा की खातिर अपने देश का अपमान क्यों कर रहे हैं? यदि आमिर को डर का माहौल महसूस होता है तो उन्हें इराक, सीरिया, अफगानिस्तान, सूडान में जाकर देखना चाहिए। पाकिस्तान भी जा सकते हैं। एक और का कहना है कि हमारी सहिष्णुता का ही फल है कि भारत के हिन्दु-मुसलमान आधार पर बंटवारे के बाद भी आमिर जैसे लोग सुपर स्टार हैं। दूसरी बात यदि किरण राव ने देश छोड़ने की बात कही भी थी तो आमिर को मीडिया में इसे बताने की क्या जरूरत थी? घर की बात घर रहने देते-मगर इसे हवा देनी थी। दरअसल यह सारा सरकार विरोधी माहौल कथित लेखकों, कलाकारों, विपक्षी पार्टियों ने मीडिया के साथ मिलकर बनाया है। बॉलीवुड अभिनेता आमिर खान के असहिष्णुता मुद्दे पर खलबली मचाने वाले इस बयान पर जाने-माने अभिनेता अनुपम खेर ने जोरदार हमला किया है। खेर ने ट्विटर पर लिखा है कि पिय आमिर खान, क्या आपने कभी किरण से यह भी पूछा है कि वह किस देश में जाना चाहती हैं? क्या आपने किरण को यह बताया कि इस देश ने आपको आमिर खान बनाया है? अनुपम यहीं नहीं रुके, एक अन्य ट्विट में उन्होंने आमिर से पूछा कि पिय आमिर खान क्या आपने किरण को यह बताया है कि आपने देश में इससे बुरे भी दौर को देखा है, लेकिन कभी देश छोड़ने का विचार आपके मन में नहीं आया इनकेडिबल इंडिया आपके लिए 7-8 महीनों में ही असहिष्णु हो गया? असहिष्णुता के इस माहौल में आप दो मिलियन भारतीयों को क्या सलाह देंगे? देश छोड़ने या सत्ता परिवर्तन की? पसिद्ध लेखिका तसलीमा नसरीन ने पूछा कि आमिर खान साहब आप जिस देश में हिंदू भगवानों का अपमान करके पीके जैसी फिल्म से 300 करोड़ रुपए कमा सकते हैं वह देश असहिष्णु कैसे हो सकता है? क्या आप ऐसी ही फिल्म पाकिस्तान या सउदी अरब में बना सकते थे? आमिर खान इनकेडिबल इंडिया के हर एपिसोड के लिए 3 करोड़ रुपए लेते हैं और आप वापस देश को क्या देते हैं? सत्यमेव जयते के लिए 3 करोड़ रुपए लेते हैं आप बात करते हैं भारत में असहिष्णुता की। आपसे तो अक्षय कुमार कई दर्जे अच्छे भारतीय हैं जो 15,000 गरीब परिवारों को, 180 किसान परिवारों की मदद करते हैं तथा सूखे से पभावित महाराष्ट्र के किसानों को 90 लाख रुपए की सहायता दी? आमिर ने केवल अपने पशंसकों को ही अवाक नहीं किया, बल्कि देश को भी नीचा fिदखाया है। देश छोड़ना मामूली बात नहीं होती। पत्नी की बात का ढोल पीटने से पहले उन्हें यह पता होना चाहिए था कि वे कौन लोग हैं जिनके सामने सचमुच देश छोड़कर जाने की नौबत आ गई है। वे सीरिया या इराक के लोग हैं। वे पाकिस्तान और बांग्लादेश के अल्पसंख्यक भी हैं। क्या आमिर और उनकी पत्नी खुद को भी उसी दशा में पा रहे हैं? अच्छा हो कि आमिर यह भी बता दें कि उनके सपनों का और सहिष्णु देश कौन-सा है? अफसोस तो इस बात का है कि आमिर ने देश छोड़कर जाने के अत्यंत गंभीर विषय पर इतनी हल्की-सी बात कर दी। देश छोड़कर तो दाउद इब्राहिम भी भागा है इसमें बड़ी बात क्या है?

-अनिल नरेन्द्र

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