Sunday 29 November 2015

राजीना की शिकायत ः क्या यह असहिष्णुता नहीं है?

पिछले कुछ दिनों से देश में असहिष्णुता पर तीखे हमले हो रहे हैं। हाल ही में फिल्मी सितारे और करोड़ों लोगों के चहेते आमिर खान ने भी देश में असहिष्णुता के वातावरण पर घुटन महसूस की और यहां तक कह दिया कि उनकी पत्नी तो देश छोड़ने की बात कर रही हैं। इस असहिष्णुता के लिए मोदी सरकार व बहुसंख्यक वर्ग को दोष दिया जा रहा है। दुख तो इस बात का है कि दूसरे समुदायों में जो असहिष्णुता, ज्यादतियां हो रही हैं उसके बारे में न तो यह मुसलमानों के ठेकेदार एक शब्द बोल रहे हैं और न ही कोई उलेमा मुंह खोल रहा है। मैं बात कर रहा हूं एक महिला मुस्लिम पत्रकार वीपी राजीना के उत्पीड़न की। पत्रकार वीपी राजीना ने मदरसों में हो रहे उत्पीड़न के बारे में फेसबुक पर टिप्पणियां कीं। पत्रकार ने अपनी फेसबुक पोस्ट में मदरसों में कथित तौर पर होने वाले बच्चों के यौन उत्पीड़न की त्रासद स्थिति बयान की थी। पत्रकार वीपी राजीना एक मलयालम दैनिक में काम करती हैं। राजीना ने अपने बचपन की यादों को साझा करते हुए बताया था कि किस तरह से मदरसों में लड़के-लड़कियों का यौन शोषण किया जाता है। राजीना ने मदरसों में हो रही इन घटनाओं के बारे में रविवार को फेसबुक पर टिप्पणी की थी, जिसके बाद से उन्हें अपने समुदाय के लोगों का तीखा विरोध झेलना पड़ रहा है और यह विरोध अश्लीलता और जान की धमकी देने तक पहुंच गया है। राजीना ने दावा किया है कि उन्होंने अपने बचपन में मदरसों में बच्चों के साथ होने वाले यौन शोषण को अपनी आंखों से देखा है। पत्रकार ने लिखा है कि जब मैं पहली क्लास में पहली बार गई तो मदरसे में एक अधेड़ शिक्षक ने पहले तो सभी बच्चों को खड़ा किया और बाद में उन्हें पैंट खोलकर बैठने को कहा। इसके बाद वह हर सीट पर गया और बच्चों से छेड़छाड़ की। उन्होंने दावा किया कि उसने यह काम आखिरी छात्र को छेड़ने के बाद ही बंद किया। उनके इस पोस्ट के बाद अब राजीना मुस्लिम कट्टरपंथियों के निशाने पर आ गई हैं और उन्हें भारी विरोध का सामना करना पड़ रहा है। राजीना इससे पहले भी मुस्लिम प्रबंधकों के एक स्कूल में लड़के और लड़कियों के बीच भेदभाव के खिलाफ आवाज उठा चुकी हैं। सम्पर्प करने पर राजीना ने बताया कि मेरे फेसबुक अकाउंट को बंद कर दिया गया है। जो मैंने कहा था, वह कोई अतिश्योक्ति नहीं बल्कि सच्चाई और केवल सच्चाई है। राजीना ने बताया कि उनकी मंशा पर सवाल उठाए जा रहे हैं और इसे धर्म पर हमले के रूप में पेश करने का प्रयास किया जा रहा है। हम इन तथाकथित धर्मनिरपेक्षों से पूछना चाहते हैं कि अब वह क्यों चुप्पी साधे हुए हैं? क्या यह असहनशीलता, असहिष्णुता नहीं?

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