Monday, 2 November 2015

आईएस की आड़ में दुनिया में अपना वर्चस्व स्थापित करने की लड़ाई

रूस द्वारा सीरिया में दुनिया के सबसे खतरनाक आतंकी संगठन आईएस पर किए जा रहे ताबड़तोड़ हमलों से सीरिया और मध्य पूर्व एशिया की जमीनी स्थिति बहुत बदल गई है। जैसा कि सीरियाई सेना के प्रवक्ता जनरल अली महबूब ने बतायाöसीरिया की सरकारी सेना ने बहुत से नगरों और बस्तियों पर फिर से नियंत्रण स्थापित कर लिया है और इस्लामिक स्टेट (आईएस) की पीठ तोड़ दी है। मॉस्को स्थित सीरियाई राजदूत रियाद हद्दाद ने बताया कि 30 सितम्बर को रूस द्वारा शुरू की गई सैन्य कार्रवाई से आईएस के सैकड़ों सैनिक मारे जा चुके हैं और आईएस का 40 फीसदी ढांचा तबाह हो गया है। सीरिया में रूसी सैन्य हस्तक्षेप का एक असर यह हुआ कि अमेरिका ने सीरियाई विद्रोहियों को अपना समर्थन देना बंद कर दिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा को यह मानना पड़ाöमैं शुरू से ही सीरिया में इस समांतर सेना के गठन करने के विचार को लेकर उलझन में था। 9 अक्तूबर को अमेरिकी रक्षामंत्री एशटन कार्टर ने इस निर्णय की जानकारी दी कि वह 50 करोड़ डॉलर खर्च करके सीरियाई विद्रोहियों की सेना खड़ी करने के विचार को तिलांजलि दे रही है। इसी इलाके में अमेरिकी वायुसेना भी बम बरसा रही है। कहने को तो दोनों आईएस को खत्म करना चाहते हैं लेकिन यह केवल आधा सच है। रूस ने सीरिया में आईएस के सफाए के लिए पिछले महीने से हवाई हमले शुरू किए हैं। अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन वहां बहुत पहले से ही हवाई हमले जारी रखे हुए हैं लेकिन रूस की भूमिका उन्हें संदिग्ध दिख रही है। इन पश्चिमी देशों का आरोप है कि रूस हमले की आड़ में सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद के विद्रोही सैनिकों को भी निशाना बना रही है। इन सैनिकों को अमेरिका की ओर से ट्रेन किए जाने की बात कही जाती है। असद के खिलाफ विद्रोह करने वाले गुटों का भी यह देश समर्थन कर रहे हैं। अमेरिकी गुट को तब और बल मिला जब सीरियाई राष्ट्रपति असद अचानक मॉस्को पहुंच गए। सीरिया में 2011 में गृहयुद्ध शुरू होने के  बाद वे पहली बार देश के कहीं भी बाहर निकले। सीरिया में असद को सत्ता से हटाने हेतु 2011 से गृहयुद्ध चल रहा है। अमेरिका असद के विद्रोहियों को आर्थिक और फौजी मदद दे रहा है। 2011 में सत्ता छीनने के लिए जो गृहयुद्ध हो रहा है उसमें सीरिया को बहुत भारी कीम चुकानी पड़ रही है। विद्रोह को कुचलने के लिए असद के सैनिकों ने विद्रोहियों पर कहर ढा दिया। इससे हालात बिगड़ गए और देश में क्रांति फैल गई। अब तक सीरिया की 6 फीसदी आबादी मारी जा चुकी है (2.5 लाख)। एक करोड़ लोग बेघर हो गए हैं। 60 फीसद इकोनॉमी धड़ाम हो चुकी है। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार असद अब खुद को सुरक्षित मान रहे हैं। वाशिंगटन को मजबूरी के तहत अब मॉस्को से समझौता करना पड़ा है। इसके अनुसार दोनों देशों के पायलट, हमलों के समय आपस में सम्पर्प में रहेंगे ताकि उनके विमान हवा में आपस में टकरा न सकें। रूसी हमलों में 500 से अधिक आईएस आतंकी मारे जा चुके हैं। दक्षिणी सीरिया में फ्री सीरियन आर्मी का कब्जा है। यहां बम नहीं गिराए। रूसी सेना सीरियाई सेना और ड्रोन की मदद से आईएस के ठिकानों का पता लगा रही है। इनका दावा है कि आईएस का खात्मा किए बिना पीछे नहीं हटेंगे। रूस ने प्रश्न किया है कि क्या लीगल सरकार होते हुए विद्रोहियों को हथियार व पैसा देकर अमेरिका हस्तक्षेप नहीं कर रहा है? रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिका एक महीने में जितने हमले करता है उतने तो रूसी एयरफोर्स एक दिन में कर रही है। सीरिया के पास करीब 250 करोड़ बैरल कूड ऑयल है। इसकी कीमत करीब 8125 अरब रुपए होती है। अमेरिका असद को हर हालत में हटाना चाहता है। उसने एक साल में 577 अरब डॉलर खर्च किए हैं। आज की तारीख में रूस और अमेरिका एक-दूसरे के आमने-सामने भी हैं और साथ भी। दूसरी ओर रूस अपनी सोवियत संघ की छवि को फिर से स्थापित करना चाहता है। असल लड़ाई वर्ल्ड डामिनेशन की भी लगती है।

-अनिल नरेन्द्र

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