Saturday 28 November 2015

देश में नकली नोटों की बढ़ती समस्या

जाली नोटों की समस्या बढ़ती ही जा रही है। पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। भारतीय अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाने के लिए वह करोड़ों के जाली नोट भारतीय मार्केटों में चला रहा है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा भारतीय सांख्यिकी संस्थान द्वारा किए गए एक अध्ययन में यह सामने आया है कि देश में इस समय करीब 400 करोड़ रुपए के नकली नोट चल रहे हैं। इससे नीति-निर्माताओं को इस समस्या का समाधान तलाशने में काफी मदद मिलेगी। सांख्यिकी संस्थान के मुताबिक देश में हर साल लगभग 70 करोड़ रुपए के नकली नोट झोंके जा रहे हैं। खुफिया एजेंसियों के अनुसार यह आंकड़ा करीब 2500 करोड़ रुपए था। अभी तक देश में नकली नोटों का कोई पुख्ता आंकड़ा नहीं था लेकिन इतना तो तय था कि इसमें पाकिस्तान का हाथ है। गृह मंत्रालय के एक अधिकारी के अनुसार जांच एजेंसी को नकली नोटों की फोरेंसिक जांच में पता चला है कि इनमें इस्तेमाल होने वाली स्याही, कागज व कई अन्य चीजें पाकिस्तान की मुद्रा से हूबहू मिलती हैं। हमें बस देश में चलने वाले नकली नोटों का एक प्रमाणिक आंकड़ा चाहिए था जिसके लिए यह अध्ययन कराया था। सांख्यिकी ने आरबीआई, नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो, सेंट्रल इकोनॉमी इंटेलीजेंस ब्यूरो, आईबी, सीबीआई और अन्य जगहों से आंकड़े जुटाए। आंकड़ों की प्रमाणिकता पर इसलिए संदेह नहीं किया जा सकता क्योंकि मसलन नकली नोट जब्त करने वाली सभी केंद्रीय एजेंसियां सेंट्रल इकोनॉमिक इंटेलीजेंस ब्यूरो को आंकड़े भेजती है न कि नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो को। व्यावसायिक बैंक ऐसे नोटों की पूरी रिपोर्ट आरबीआई के स्थानीय कार्यालयों को देती है लेकिन अन्य गैर बैंकिंग वित्तीय संस्थान, जो भारी-भरकम नकदी स्थानांतरण में शामिल होते हैं, नकली नोटों के आंकड़े देने को बाध्य नहीं होते। अध्ययन में यह भी पता चला है कि  प्रतिदिन 10 लाख नोटों में 250 नकली नोट पाए जाते हैं। लगभग 26 से 46 करोड़ के नकली नोट गत पांच वर्ष में हर साल जब्त हुए हैं। 1000 रुपए के नोट की अपेक्षा 10 प्रतिशत ज्यादा पकड़े जाते हैं 100 और 500 रुपए के नोट। 80 प्रतिशत नकली नोट एक्सिस, आईसीआईसीआई व एचडीएफसी बैंकों ने पकड़े हैं। आमतौर पर असली और नकली नोट में 12 तरह के अंतर होते हैं। नकली नोट की छपाई ज्यादातर एक कागज पर होती है जबकि असली नोट दो कागजों को चिपकाकर बनाते हैं। अध्ययन में यह भी कहा गया है कि जब्त हुए नकली नोटों की रिपोर्ट देने में स्थानीय पुलिस लापरवाह है।
-अनिल नरेन्द्र


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