Wednesday, 18 November 2015

आतंकवाद की परिभाषा तय हो मोदी का यूएन में आह्वान

दुनिया को अच्छे और बुरे आतंक में कोई फर्प नहीं करने की भारत की लगातार चेतावनी पर अब तक कनखियों से झांक रहे बड़े देशों को पेरिस पर हमला जरूर झकझोरेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तमाम अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर आतंकवाद की वैश्विक परिभाषा तय कर इसके खिलाफ एक स्वर और ताकत के साथ लड़ने की बात लगातार उठाते रहे हैं। अपनी ब्रिटेन यात्रा के दौरान भी ब्रिटिश सांसदों को संबोधित करते हुए भी उन्होंने स्पष्ट कहा कि दुनिया के सामने इस समय दो सबसे बड़ी समस्याएं हैंöआतंकवाद और ग्लोबल वार्मिंग। इस चेतावनी के 24 घंटे के बाद ही पेरिस पर आतंकी हमला हो गया। पीएम ने शनिवार को संयुक्त राष्ट्र से भी अपील की कि वह आतंकवाद की परिभाषा जल्द तय करे वरना बहुत देर हो जाएगी। पाकिस्तान का नाम लिए बिना उन्होंने कहा कि आतंकवाद की परिभाषा तय करने से दुनिया को यह पता चल जाएगा कि कौन आतंकवाद का समर्थन कर रहा है और कौन इसके खिलाफ है। मुंबई हमले की तर्ज पर फ्रांस में हुए आतंकी हमलों के बाद दुनिया के लिए मोदी और भारत की आवाज को अब लंबे समय तक अनसुना करना मुश्किल होगा। आतंकवाद के खूंखार स्वरूप ने देश ही नहीं महादेशीय सीमाओं को भी लांघ लिया है। ऐसे में जिम्मेदार राष्ट्र आतंकवाद के खिलाफ खुलकर सामने आने में अपना फायदा और नुकसान जरूर देखेंगे और अगर ऐसा नहीं किया तो यह उनकी भारी भूल होगी। नरेंद्र मोदी की चेतावनी का असर भी होता दिख रहा है। तुर्की के अंतालिया शहर में हुए जी-20 शिखर सम्मेलन में पेरिस हमलों का मुद्दा छाया रहा जहां पीएम मोदी ने एक बार फिर आतंकवाद से लड़ने के लिए एकजुट वैश्विक प्रयासों का आह्वान किया वहीं इस दो दिवसीय सम्मेलन के समापन पर एक प्रस्ताव पारित किया गया जिसमें आईएस को नेस्तनाबूद करने का संकल्प लिया गया। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव बान की मून ने कहा है कि वह जल्द ही संयुक्त राष्ट्र महासभा को आतंकवाद तथा उग्रवाद से निपटने के लिए एक व्यापक योजना सौंपेंगे। आईएस द्वारा बड़ी ताकतों को निशाना बनाने के उसके दुस्साहस में ही कदाचित उसके अंत की भी संभावना छिपी है। आखिर तालिबान और अलकायदा जैसे दुर्दांत संगठन इसी तरह कमजोर हुए हैं। पेरिस हमलों की दुनियाभर में जिस तरह निन्दा हो रही है उससे यह तो तय है कि आईएस के खिलाफ कार्रवाई के पक्ष में समर्थन बढ़ेगा। अमेरिका भी अब अपनी दोहरी चालों से परहेज करेगा पर मुश्किल यह भी है कि चाहे वह आईएस हो या अन्य आतंकी संगठन उनके खिलाफ वैश्विक कार्रवाई में वह एकजुटता नहीं नजर आ रही जिसकी अपेक्षा है। मसलन ईरान आईएस से तो बेशक लड़ रहा है पर वह उस खेमे में नजर नहीं आना चाहता जिसमें अमेरिका हो। इस जंग में रूस और अमेरिका के एजेंडे में भी फर्प हैöअमेरिका जहां सारे तथ्यों के बावजूद अपने अफगान हितों के मद्देनजर पाकिस्तान को दोषी मानने से इंकार करता आ रहा है वहीं आईएस को खत्म करने के साथ सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल असद को भी हटाना चाहता है, वहीं रूस का असद के प्रति रुख नरम है। इससे भी आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई कमजोर पड़ती है। भारत में भले ही आतंकवाद पाकिस्तान प्रायोजित है पर इसकी अनदेखी नहीं कर सकते कि आईएस ने पेरिस पर हमला ठीक उसी पैटर्न पर किया है जिस तरह लश्कर--तैयबा ने मुंबई में किया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों से भी आग्रह किया कि वह जल्द से जल्द अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक संधि का प्रस्ताव पारित करें। पीएम ने कहाöमैं चाहता हूं कि संयुक्त राष्ट्र अपनी 70वीं सालगिरह के मौके पर बगैर देरी किए आतंकवाद की परिभाषा तय करे ताकि हम यह जान सकें कि कौन आतंकवाद के समर्थन में है और कौन आतंकवाद की मदद कर रहा है और कौन उसे पोषित कर रहा है। यह भी कि आतंकवाद का निशाना कौन लोग बन रहे हैं और कौन आतंकवाद के खिलाफ हैं और कौन मानवता के लिए अपना बलिदान दे रहे हैं।

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