Sunday, 22 November 2015

शमशान घाट से ताज को खतरा

शमशान घाट के कारण ताज महल पर संभावित खतरे को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब मांगा है। साथ ही शीर्ष अदालत ने सेंट्रल इम्पावरमेंट कमेटी (सीआईसी) को इस जगह का निरीक्षण कर रिपोर्ट दाखिल करने को भी कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक ताज महल को प्रदूषण से बचाने के लिए नजदीक के शमशान घाट को दूसरी जगह स्थानांतरित करने पर उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब मांगा है। ताज महल के संरक्षण पर सुनवाई कर रही न्यायमूर्ति टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कोर्ट के ही एक न्यायाधीश जस्टिस कुरियन जोसेफ के पत्र पर संज्ञान लेते हुए शमशान घाट को स्थानांतरित करने पर सरकार से जवाब व सुझाव मांगे हैं। जस्टिस जोसेफ ने मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर ताज महल के नजदीक शमशान घाट के धुएं से ऐतिहासिक स्मारक को हो रहे नुकसान पर चिन्ता जताते हुए इसे स्थानांतरित करने का आग्रह किया है। माननीय अदालत ने इसके अलावा केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से भी जस्टिस जोसेफ के पत्र का जवाब मांगा है। पीठ ने पाया कि शमशान घाट को लेकर शीर्ष अदालत ने सात दिसम्बर 1998 और 12 अप्रैल 1999 को भी निर्देश जारी किया था। पीठ ने कहा कि निर्देशों के बावजूद आगरा नगर निगम और आगरा विकास प्राधिकरण ने शमशान घाट को शिफ्ट करने की दिशा में कोई सार्थक प्रयास नहीं किया। यही कारण है कि शमशान घाट अब भी उसी जगह कायम है, जिससे ताज महल को नुकसान पहुंच रहा है। हम सुप्रीम कोर्ट के निर्देश से सहमत हैं। ताज महल को प्रदूषण से बचाना अत्यंत आवश्यक है। शमशान घाट को शिफ्ट किया जा सकता है। उम्मीद करते हैं कि उत्तर प्रदेश सरकार और आगरा प्रशासन सुप्रीम कोर्ट की बात पर गंभीरता से विचार करेगा और उस पर अमल करेगा। ताज महल को बचाना अनिवार्य है।

-अनिल नरेन्द्र

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