Wednesday, 18 November 2015

क्या बिहार की तर्ज पर यूपी में महागठबंधन बनेगा?

बिहार के सफल महागठबंधन का फॉर्मूला अब दूसरे राज्यों में भी चल सकता है यह संभावना मैंने पहले भी जताई थी। अब खबर है कि बिहार की तर्ज पर उत्तर प्रदेश में भी भाजपा को हाशिये पर लाने के लिए गैर भाजपा दलों के एकजुट होने की संभावना ने जोर पकड़ लिया है। सपा सरकार के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने संत कबीर नगर में यह कहकर कि 2017 में होने वाले चुनाव में भाजपा के खिलाफ महागठबंधन के गठन की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता, इस चर्चा को हवा दे दी है। वहीं राजद प्रमुख और मुलायम के समधी लालू प्रसाद यादव के इस संबंध में जल्द मुलायम से मुलाकात करने के लिए प्रदेश में आने की खबर भी है। हालांकि सपा सरकार में मंत्री शिवपाल यादव ने पार्टी के अपने बूते चुनाव लड़ने की बात कहकर भाजपा को आगामी चुनावों में मात देने का दावा किया है। जहां तक सवाल कांग्रेस का है तो बिहार विधानसभा चुनावों में उसकी सफलता से मनोबल बढ़ा हुआ है। वह ऐसे गठबंधन में शामिल होना चाहेगी या नहीं, यह कहना मुश्किल है। वह अब चाहेगी कि अपने बूते पर चुनाव लड़े और अपना खोया जनाधार वापस लाने का प्रयास करे। फिर बहुजन समाज पार्टी का मनोबल भी बढ़ा हुआ है। वह उस खेमे में नहीं जा सकती जिसमें मुलायम हों। हां, भाजपा से वह गठबंधन या सीट शेयरिंग कर सकती है पर भारत की सियासत में कुछ भी दावे से नहीं कहा जा सकता। लालू या नीतीश का उत्तर प्रदेश में कोई जनाधार नहीं है इसलिए उनके पास कुछ खोने को नहीं है। उधर राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के अध्यक्ष अजीत सिंह ने कहा कि उत्तर प्रदेश में बिहार की तरह राजनीतिक दलों में गठबंधन के आसार नहीं हैं। अजीत सिंह ने कहा कि उत्तर प्रदेश के राजनीतिक हालात बिहार से अलग हैं। सूबे में मुलायम सिंह और मायावती के मिले बगैर महागठबंधन असरकारक नहीं होगा और यह दोनों आपस में तालमेल नहीं कर सकते। अभी यूपी विधानसभा चुनावों में समय है। 2017 तक सियासी हालातों में परिवर्तन हो सकता है। देखें बिहार में महागठबंधन कैसे चलता है? उस पर ही महागठबंधन के भविष्य का फैसला होगा।

-अनिल नरेन्द्र

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