Saturday 14 November 2015

फिर खतरनाक मोड़ पर आ खड़ा हुआ पंजाब

पंजाब की सियासत में एक खतरनाक मोड़ आ गया है। सिखों के कई संगठनों ने शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। इस लड़ाई ने खतरनाक मोड़ तब लिया जब अमृतसर में सिखों के जबरदस्त जमावड़े के बीच कई संगठनों और कट्टरवादी समूहों ने अमृतसर में सरबत खालसा (सिखों की महासभा) आयोजित कर कई अहम फैसले लिए। इसमें डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत रहीम सिंह को माफी देने वाले तीन तख्तों के जत्थेदारों को हटाने का फैसला किया गया। साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या करने वाले इस समय जेल में बंद जगतार सिंह हवारा को अकाल तख्त का जत्थेदार घोषित कर दिया गया। सरबत खालसा में मंगलवार को 13 प्रस्ताव पारित किए गए जिनका हजारों की संख्या में मौजूद संगत ने हाथ उठाकर समर्थन किया। सरबत खालसा ने अमरीक सिंह अजनाला को तख्त केसगढ़ साहिब और बलजीत सिंह डुडवाल को तख्त दमदमा साहिब का जत्थेदार नियुक्त कर दिया। इसी दौरान ऑपरेशन ब्लू स्टार में शामिल रहे रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल केएस बराड़ और पंजाब के पूर्व डीजीपी केपीएस गिल को तनखैया (धार्मिक आचरण में त्रुटि का दोष) करार दिया गया। दोनों को 30 नवम्बर को अकाल तख्त के सामने पेश होने को कहा गया है। उसके बाद दोनों के खिलाफ अगली कार्रवाई तय की जाएगी। सरबत खालसा ने पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल को दिए गए दो खिताब `फख्र--कौम' और `पंथ रत्न' वापस ले लिए। उन्हें ये खिताब उनके लंबे सियासी करियर के लिए श्री अकाल तख्त साहिब ने 2011 में दिए थे। इस जमावड़े में साल 1986 के सरबत खालसा का एक प्रस्ताव भी अपनाया गया, जिसमें सिखों के लिए एक अलग राज्य खालिस्तान की स्थापना की मांग की गई थी। बब्बर खालसा के उग्रवादी रहे जगतार सिंह हवारा को जत्थेदार बनाने पर हंगामा होने के आसार हैं। बेअंत सिंह हत्याकांड में वह दिल्ली की तिहाड़ जेल में उम्रकैद काट रहे हैं। हवारा सिंह को जत्थेदार बनाए जाने के प्रस्ताव को शिरोमणि अकाली दल ने खारिज कर दिया। कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने आरोप लगाया है कि सिख संगठनों में टकराव के लिए सीएम प्रकाश सिंह बादल जिम्मेदार हैं। कड़ी सुरक्षा के बीच में सरबत खालसा अखंड पाठ के भोग के साथ शुरू हुआ। समागम में देश-विदेश के 150 से अधिक सिख संगठनों के प्रतिनिधियों और दलों के नेता भी शामिल हुए। पुलिस ने आयोजन स्थल और स्वर्ण मंदिर में कड़े सुरक्षा के इंतजाम किए थे। पंजाब पुलिस के डीजीपी ने खुद कमान संभाल रखी थी। पिछले कुछ दिनों में पंजाब में कई ऐसी घटनाएं घटी हैं जिससे पंजाब एक बार फिर एक खतरनाक मोड़ पर पहुंच गया है। पंजाब की सरकार को बड़ी होशियारी से ताजा घटनाक्रम से निपटना होगा नहीं तो अनर्थ हो सकता है।

No comments:

Post a Comment