Tuesday 24 November 2015

लालू-केजरीवाल गले मिलने पर मचा बवाल

नीतीश कुमार के शपथ ग्रहण समारोह में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने हालांकि बहुत कोशिश की कि मंच पर वह लालू प्रसाद यादव से दूर रहें पर लालू तो इस बात पर तुले हुए थे कि अपने आलोचक अरविंद केजरीवाल को मंच पर गले लगाएं और उन्होंने अरविंद के न चाहते हुए भी उन्हें गले लगा लिया। अगर आपने गौर से देखा हो कि गले लगाते समय भी अरविंद कुछ खिजखिजा रहे थे पर लालू ने केजरीवाल को आलोचना का विषय बना ही डाला। मंच पर लालू से गले मिलने पर आप के पूर्व नेता योगेन्द्र यादव ने अरविंद केजरीवाल पर तंज कसते हुए कहा कि फोटो के पीछे एक अलिखित समीकरण चल रहा है। यही नहीं, उन्होंने लिखा है कि लालू-केजरीवाल की तस्वीर देख मुझे दुख हुआ, शर्मिंदगी महसूस हुई। बस यही दिन देखना था यादव ने कहा। उन्होंने कहा कि राजनीति में सामान्य शिष्टाचार बहुत जरूरी है। विरोधियों के साथ भी शालीनता, संवाद और दुआ सलाम होनी चाहिए और अरविंद यह शिष्टाचार सीख रहे हैं तो इसमें कोई बुराई भी नहीं है। लेकिन पटना के समारोह में लालू से मुलाकात कोई संयोग नहीं था। यह दो महीने से चल रही थी, यह दो महीने से चल रही एक अनौपचारिक गठबंधन की परिणति है जो एक राष्ट्रीय मोर्चे का इशारा कर रही है। योगेन्द्र के मुताबिक अरविंद एंड कंपनी दो महीने से सिर्प नीतीश के लिए प्रचार कर रही थी और कह रहे थे कि वे लालू के साथ कभी स्टेज पर नहीं जाएंगे। ऐसे में लालू प्रसाद यादव, शरद पवार, देवेगौड़ा, फारुख और राहुल गांधी के साथ स्टेज पर बैठना सिर्प शिष्टाचार नहीं था। अगर योगेन्द्र यादव ने इस फोटो के राजनीतिक मतलब निकाले तो विरोधी दल भारतीय जनता पार्टी ने तो सीधा हमला बोल दिया। प्रदेश भाजपा के नेता इस मिलन की फोटो को लेकर खूब तंज कस रहे हैं। उनका कहना है कि अब यह साबित हो गया है कि केजरीवाल को भ्रष्टाचारियों से कोई परहेज नहीं है। राजनीतिक लाभ के लिए वह किसी से भी हाथ मिला सकते हैं। आप पार्टी के गिरते नैतिक मूल्यों को देखकर जनता को आश्चर्य होने लगा है। केजरीवाल को समाजसेवी अन्ना हजारे के आशीष से ज्यादा चारा घोटाले में सजा पाने वाले लालू यादव की पार्टी का साथ पसंद आने लगा है। अरविंद पर हमला करने वालों में आम आदमी पार्टी के संस्थापक सदस्यों में रहे शांति भूषण भी शुमार हो गए। हालांकि उनको अलग मुद्दों पर शिकायत है। रविवार को नोएडा स्थित अपने आवास पर शांति भूषण ने केजरीवाल पर भ्रष्टाचार को गले लगाने व तानाशाही से पार्टी चलाने का गंभीर आरोप लगाया। करनाल रोड पर राष्ट्रीय परिषद की बैठक ले जाने पर उन्होंने सवाल उठाया कि यदि अगर तय कांस्टीट्यूशन क्लब में बैठक होती तो उसमें सब आ सकते थे, समस्त गतिविधियों को देख सकते थे। आशंका है कि इस बार फिर पिछली बार की तरह बाउंसरों का सहारा लिया जाएगा। इसीलिए करनाल रोड पर बैठक बुलाई गई है। केजरीवाल का संयोजक के तौर पर कार्यकाल 24 नवम्बर को खत्म हो रहा है। इसलिए 23 को बैठक बुलाई गई है। नीतीश के शपथ समारोह में केजरीवाल द्वारा लालू यादव को गले लगाने के मुद्दे पर शांति भूषण जमकर बरसे। उन्होंने कहा कि जो आदमी भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग लड़ने की बातें करता था, वही आज भ्रष्टाचार के प्रतीक लालू यादव से गले मिल रहा है। वैकल्पिक राजनीति की उम्मीद से पार्टी का गठन किया गया था, लेकिन यह अब सिंगल मैन पार्टी बनकर रह गई है। इसे खाप पंचायत की तरह चलाया जाता है।

-अनिल नरेन्द्र

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