Saturday 2 January 2016

ईमानदार-स्वच्छ सरकार का दावा खोखला साबित हो रहा है

ईमानदार और स्वच्छ सरकार देने के वादे से श्री अरविंद केजरीवाल दिल्ली विधानसभा चुनाव भारी बहुमत से जीते थे। उनकी ऐसी जीत हुई थी जो पहले कभी किसी भी राजनीतिक दल ने नहीं देखी थी। पर दुख से कहना पड़ता है कि सत्ता पाने के कुछ ही समय में इस सरकार की कारगुजारी, प्रशासन और ईमानदारी की पोल खुलने लगी। जब से सत्ता में केजरीवाल आए हैं वह दूसरों पर तो निराधार आरोप लगाकर बदनाम करने में जुटे रहते हैं पर अपने आंगन में क्या हो रहा है यह देखने की जरूरत नहीं समझते। भ्रष्टाचार का ताजा उदाहरण हमारे सामने ऑटो परमिट घोटाले का आया है। ऑड-ईवन फॉर्मूले को लागू करने के लिए दिल्ली सरकार ने 10 हजार नए ऑटो परमिट की मंजूरी दी थी, वह विवाद की भेंट चढ़ती नजर आ रही है। ऑटो परमिट में धांधली बरतने के आरोप में ट्रांसपोर्ट विभाग ने तीन अफसरों को निलंबित कर दिया है। इन पर आरोप है कि फर्जी पते पर ऑटो परमिट जारी किए गए थे। इस बीच दिल्ली सरकार ने नए जारी किए 932 परमिट रद्द कर दिए हैं। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने स्वीकार किया है कि परमिट देने में धांधली हुई है। भाजपा नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने एक प्रेस कांफ्रेंस कर कहा है कि दिल्ली का ऑटो घोटाला सरकार की मिलीभगत से संभव हुआ है। उन्होंने कहा कि इस घोटाले की गहराई से निष्पक्ष जांच होगी तो सरकार में बैठे मंत्री, विधायक और आम आदमी पार्टी के अनेक कार्यकर्ताओं द्वारा किए गए करोड़ों रुपए का भ्रष्टाचार सामने आएगा। सम-विषम योजना की आड़ में दिल्ली सरकार ने 10 हजार नए ऑटो परमिट जारी करके जनता को सहूलियत देने के नाम पर करोड़ों का घोटाला किया है। जनता के सामने भ्रष्टाचार के इस मामले के उजागर होने पर छोटी मछलियों को निलंबित करके दिल्ली सरकार अपना दामन बचाना चाहती है। दूसरी ओर भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने ताहिरपुर स्थित राजीव गांधी सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में करप्शन का मामला उठाया है और इसके लिए सीएम केजरीवाल को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने आरोप लगाया है कि अस्पताल में मॉड्यूलर प्री-फैब्रिकेटिड ऑपरेटिंग रूम सिस्टम में जो टेंडर दिया गया था उसमें बजट से ज्यादा पेमेंट की गई है। जिस कंपनी को टेंडर दिया गया है, वह पहले से ही दागी है। तिवारी ने कहा कि अस्पताल से मिली जानकारी के अनुसार दो मामलों में लगभग 11 करोड़ रुपए का घोटाला हुआ है। इस सिस्टम के लिए आवंटित राशि 10 करोड़ 70 लाख थी लेकिन कंपनी को 14 करोड़ 95 लाख रुपए दिए गए। इसी तरह दूसरे मामले में जब टेंडर दिया जा रहा था, तब उसका बजट 12 करोड़ 70 लाख था। हमने उस पर सवाल उठाया तो बजट आवंटन नौ करोड़ हुआ, लेकिन इस मामले में भी पेमेंट 14 करोड़ 95 लाख की गई।

No comments:

Post a Comment