Wednesday 6 January 2016

मौलवी शेख निम्र की मौत के बाद खाड़ी में सुन्नी-शिया तनाव

सऊदी अरब में प्रमुख शिया धर्मगुरु मौलवी शेख निम्र अल निम्र समेत 47 लोगों को आतंकवाद के आरोप में गत शनिवार को मौत की सजा दी गई। सऊदी सरकार ने कहा कि ये लोग 2003-06 के बीच अलकायदा की ओर से किए गए सिलसिलेवार हमलों में शामिल थे। मौलवी शेख निम्र अल निम्र 2011 की सऊदी की सुन्नी बहुल सरकार के खिलाफ हुए विरोध प्रदर्शन का चेहरा थे। उन्होंने बहरीन और सऊदी अरब सरकार  पर शिया अल्पसंख्यकों को कठोरतापूर्वक दबाने का आरोप लगाया था। शनिवार को जिन लोगों को मौत की सजा दी गई, उनमें 45 सऊदी के, एक चाड और एक मिस्र का नागरिक था। आरोपियों जिनमें मौलवी निम्र भी शामिल थे, का रियाद और 12 अन्य शहरों में सिर कलम किया गया। 2012 में गिरफ्तारी से पहले अल निम्र ने कहा था कि सऊदी के सुन्नी शासक नहीं चाहते कि कोई उनके खिलाफ आवाज उठाए। वे प्रदर्शनकारियों को मार डालते हैं। अदालत में उन्होंने कहा था कि मैंने सरकार की आलोचना जरूर की है पर कभी न तो हथियार उठाया और न ही किसी को ऐसा करने की अपील की। सऊदी अरब और बहरीन में बहुसंख्यक सुन्नी समुदाय की सरकार है। यहां अल्पसंख्यक शिया समुदाय के लोगों ने ज्यादा अधिकारों की मांग करते हुए 2011 में प्रदर्शन किया था। शिया मौलवी शेख निम्र इस प्रदर्शन का चेहरा थे। इसके बाद शिया और सुन्नी लोगों के बीच हिंसा हुई थी। सऊदी अरब का कहना है कि मौलवी निम्र आतंकी संगठन अलकायदा से जुड़े थे। वहीं ईवान का कहना है कि सऊदी सरकार अपने देश में रह रहे आलोचकों (शियाओं) पर ऐसे ही आरोप लगाकर मौत की सजा देती है, जबकि सुन्नी आतंकियों का समर्थन करती है। मौलाना निम्र की मृत्यु से सुन्नी सऊदी अरब और शिया ईरान आमने-सामने आ गए हैं। ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खमैनी ने कहा कि शिया धर्मगुरु अल निम्र ने सऊदी अरब के खिलाफ कभी साजिश नहीं रची। आतंकियों से उनका कोई वास्ता नहीं था। वे सिर्प सुन्नी देशों की सरकारों की नीतियों के आलोचक थे। वे चाहते थे कि सुन्नी मुल्कों में शिया मुस्लिमों को भी अधिकार मिलें। बता दें कि मध्य-पूर्व में इराक, लेबनान, सीरिया और अजरबैजान शिया समर्थक देश हैं जबकि सऊदी अरब और बहरीन प्रमुख सुन्नी शासक देश हैं। कुछ दिनों पहले सऊदी अरब ने आतंकवाद से लड़ने के लिए 34 मुस्लिम देशों का गठबंधन बनाया था। अब शिया और सुन्नी दोनों में टकराव की स्थिति देखते हुए इस गठबंधन के टूटने के आसार भी पैदा हो गए हैं। गठबंधन की पहली महत्वपूर्ण बैठक पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में रखी गई थी। लेकिन सऊदी अरब के विदेश मंत्री अहमद अल जुबैर ने बैठक में जाने से मना कर दिया। पाक के विदेश सचिव अजीज चौधरी ने इस बात पर हैरानी जताई है और कहा कि सऊदी की ओर से खुद इस्लामाबाद में मीटिंग रखी गई, लेकिन उन्होंने आने से मना कर दिया। ईरान ने सऊदी अरब को मौलवी की मौत की भारी कीमत चुकाने का धमकी दी है। दरअसल ईरान में शिया लोग मौलवी निम्र अल निम्र को काफी मानते हैं। इसलिए ईरान ने सऊदी से कई बार मौलवी को माफ करने का अनुरोध कर चुका था। ईरान के प्रदर्शनकारियों ने तेहरान में स्थित सऊदी अरब में दूतावास पर मौलवी को मौत के घाट उतारने पर प्रदर्शन किए और आगजनी की। प्रदर्शनकारियों ने दूतावास में तोड़फोड़ की जिसके बाद पुलिस ने बल प्रयोग कर उन्हें वहां से खदेड़ दिया। इस दौरान वहां आगजनी भी हुई और दूतावास के फर्नीचर को आग के हवाले कर दिया। इस मुद्दे को लेकर सऊदी अरब और ईरान के बीच जुबानी जंग तेज हो गई है और खाड़ी में नया सुन्नी-शिया तनाव पैदा हो गया है। खबर आई है कि ईरान स्थित सऊदी अरब के दूतावास और वाणिज्य दूतावास पर हमलों के बाद सऊदी अरब ने अपने  क्षेत्रीय प्रतिद्वंद्वी ईरान के साथ राजनयिक संबंध तोड़ दिए हैं। सऊदी अरब के विदेश मंत्री अवेल अल जुबेर ने रविवार रात को संबंध तोड़ने की घोषणा की और ईरानी राजनयिकों को देश छोड़कर जाने के लिए 48 घंटे का समय दिया है।

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