Friday 1 January 2016

स्वागत है 2016 का, सबके लिए मंगलमय हो

2015 का साल अंत हुआ और उदय हुआ 2016 का। अच्छी खबर यह है कि नए साल में मौसम भी हमारा साथ देगा। नए साल के जश्न में जुटे लोगों को ठंड ज्यादा नहीं सताएगी। खास बात यह है कि मौसम उन लोगों के लिए भी राहत लेकर आएगा जो एक जनवरी को घर से बाहर घूमने-फिरने जाएंगे। मौसम विभाग के अनुसार मौसम में पिछले दो-तीन दिनों से नजर आ रहा बदलाव अभी एक सप्ताह तक रहेगा और इसके परिणामस्वरूप नए साल के जश्न में कोहरा, प्रदूषण व बारिश खलल नहीं डाल पाएंगे। 31 दिसम्बर की रात को दिल्ली में ठंड बहुत अधिक नहीं पड़ेगी। तापमान सात से 9 डिग्री सेल्सियस रहने का अनुमान है। एक चेतावनी भी। जश्न मनाते समय शराब पीकर गाड़ी चलाने वालों को सलाह है कि वह शराब पीकर गाड़ी न चलाएं। क्योंकि अगर पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया तो न केवल उनका ड्राइविंग लाइसेंस ही जब्त होगा बल्कि जेल की सलाखों के पीछे भी जा सकते हैं। गत वर्षों से सबक लेकर इस बार दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ज्यादा सख्ती बरतेगी। पेट्रोलिंग बाइक समेत दो हाजर पुलिसकर्मी प्रमुख बाजारों व स्थलों पर तैनात होंगे। कनॉट प्लेस में 31 दिसम्बर की रात साढ़े आठ बजे के बाद वाहनों के प्रवेश पर प्रतिबंध रहेगा। यहां अगर लोगों को आना है तो बेहतर होगा पब्लिक ट्रांसपोर्ट से ही आएं। वैसे तो 2015 में बहुत सी महत्वपूर्ण घटनाएं घटीं पर यह वर्ष पत्रकार बिरादरी के लिए बहुत अशुभ रहा। दुनियाभर में साल 2015 के दौरान कुल 110 पत्रकारों की हत्या कर दी गई। एक मीडिया वॉच डॉग ने मंगलवार को यह चौंकाने वाली रिपोर्ट दी। निगरानी समूह ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट व लेखाजोखा में कहा कि इस साल 67 पत्रकार अपनी ड्यूटी करते हुए मारे गए जबकि 43 के मरने की परिस्थिति साफ नहीं है। इसके अलावा 27 गैर-पेशेवर सिटीजन जर्नलिस्ट और सात अन्य मीडियाकर्मी मारे गए। रिपोर्ट कहती है कि ज्यादातर पत्रकारों की हत्या उनके खिलाफ सोची-समझी रणनीति के तहत की गई हिंसा का नतीजा थी और यह मीडियाकर्मियों की रक्षा की पहलों की विफलता दर्शाती हैं। आरएसएफ ने कहा कि साल 2015 में अब तक भारत में नौ पत्रकारों की हत्या की जा चुकी है। उसने कहा कि इनमें से कुछ संगठित अपराध और राजनेताओं के साथ इसके जुड़ाव के बारे में रिपोर्टिंग किया करते थे। मारे गए दूसरे पत्रकार अवैध खनन के बारे में रिपोर्टिंग करते थे। पांच पत्रकारों को उनके काम के दौरान मारा गया, जबकि चार अन्य के मारे जाने की वजह साफ नहीं हुई। उनकी हत्याएं इस बात की पुष्टि करती हैं कि एशिया में मीडियाकर्मियों के लिए भारत सबसे खतरनाक देश बन गया है। यह इस मामले में  पाकिस्तान और अफगानिस्तान से भी आगे है। पत्रकारों के खिलाफ हिंसा के मामले में सख्ती बरतने में भारतीय सुरक्षा तंत्र व अथारिटी असफल रही है। आरएसएफ ने भारत सरकार से पत्रकारों की रक्षा के लिए एक ठोस राष्ट्रीय योजना लागू करने का आग्रह किया है। रिपोर्ट पत्रकारों के खिलाफ अत्याचारों को अंजाम देने के लिए खासतौर पर गैर-राज्यों के समूहों पर प्रकाश डालती है, जो इस्लामिक स्टेट समूह सरीखे जेहादी हैं। आरएसएफ ने 2014 में कहा था कि दो-तिहाई पत्रकार जंगी क्षेत्रों में मारे गए जबकि 2015 में यह एकदम से विपरीत है और संस्था कहती है कि दो-तिहाई पत्रकार शांतिपूर्ण देशों में मारे गए हैं। इस मामले में हमारा पड़ोसी मुल्क भी कम नहीं रहा। पाकिस्तान प्रेस फाउंडेशन (पीपीएफ) के मुताबिक साल 2001 से अब तक 71 खबरनवीस व मीडियाकर्मी अपनी जिम्मेदारी निभाने के दौरान जिंदगी गंवा बैठे। इनमें से 47 को जानबूझ कर निशाना बनाया गया। उनका कत्ल इसलिए हुआ क्योंकि वे ईमानदारी से अपना काम कर रहे थे। वहीं बाकी खबरनवीसों के कत्ल के पीछे यह वजह थी कि वे बड़े ही खतरनाक असाइनमेंट पर थे। जो रिपोर्ट आई है, वह बताती है कि खबरनवीसों को आठ चीजों से खतरा हैöदहशतगर्द, सियासी गठजोड़, मजहबी जमात, सांप्रदायिक समूह, कबाइली गुट, सामंती लोग, तानाशाह व कायदे-कानून लागू करने वाली एजेंसियां खतरों में शामिल हैंöहत्याएं, बेवजह गिरफ्तारी, अगवा करना व उन पर जुल्म ढाना। खबरनवीसों को खतरनाक इलाकों में जाना पड़ता है जानकारी जुटाने के लिए मगर पाकिस्तान में पत्रकारों को जो खतरा है, वह अन्य पेशेवर लोगों की तुलना में ज्यादा है और यह पाकिस्तान में एक बड़ी समस्या बनी हुई है। वैसे तो पाकिस्तान, सीरिया, इराक या अफगानिस्तान में भी पत्रकारों के लिए खतरा कम नहीं है पर फर्प यह है कि वहां एक ही दुश्मन है, यहां तो कई दुश्मनों को टोलियां मौजूद हैं। यों तो मीडिया की आजादी, ताकतवर ख्याल बनाने-परोसने वाला बताया जाता है पर असल स्थिति यह नहीं है। पीपीएफ का कहना है कि आजाद मीडिया जमहूरियत के लिए जरूरी है क्योंकि यह व्यवस्था में पारदर्शिता व जवाबदेही लाता है और इनका होना आर्थिक बेहतरी की पहली शर्त है। अंत में मैं सभी पाठकों को आने वाले वर्ष की शुभकामनाएं देता हूं और प्रार्थना करता हूं कि वर्ष 2016 सबके लिए मंगलमय हो।

-अनिल नरेन्द्र

No comments:

Post a Comment