Tuesday, 12 January 2016

पठानकोट हमले में हमारी एजेंसियों में समन्वय?

एक हफ्ता पहले आतंकी हमले का शिकार बने पठानकोट एयरबेस का शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दौरा किया। उन्होंने हालात का जायजा लेकर सुरक्षा की समीक्षा की। बाद में पीएमओ ने ट्विट करके बताया कि सुरक्षा बलों ने आतंकियों के खिलाफ जिस तरह कार्रवाई की उस पर प्रधानमंत्री ने संतोष जताया। तालमेल से अलग-अलग फील्ड यूनिटों द्वारा की गई कार्रवाई और जवानों की बहादुरी की पीएम ने तारीफ की। जवानों की बहादुरी की तो तारीफ होनी चाहिए पर जहां तक सुरक्षा एजेंसियों में आपसी तालमेल का सवाल है उससे हमें संतुष्ट नहीं होना चाहिए। विशेषज्ञों के मुताबिक अगर आपरेशन इतना लंबा खिंचा (100 घंटे) तो इसके पीछे सुरक्षा एजेंसियों के बीच समन्वय का अभाव होना है। विशेषज्ञों ने आपरेशन में एक साथ कई एजेंसियों के होने को लेकर भी सवाल उठाए हैं। पूर्व सेना अध्यक्ष जनरल वीपी मलिक ने आपरेशन में सेना को प्रमुख भूमिका देने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि आपरेशन के दौरान सुरक्षा एजेंसियों के बीच समन्वय की कमी नजर आई। आपरेशन में एनएसजी, पंजाब पुलिस, वायुसेना और सेना भी लगी हुई थीं, लेकिन सेना को काफी पहले ही बुला लेना चाहिए था। ऐसे में जवाबदेही तय करने में आसानी होती। तैयारियों का सरकार चाहे जितना ढोल पीटे, लेकिन कटु सत्य तो यह है कि मुंबई पर हुए आतंकी हमले (26/11) से लेकर पठानकोट हमले तक सुरक्षा तैयारियों की स्थिति जस की तस है। आतंकी घटना से 17-18 घंटे पहले एसपी का अपहरण करते हैं और उन्हें छोड़ने के बाद अपहृत नीली बत्ती की गाड़ी से कई पुलिस पोस्ट पार करके एयरबेस पहुंचते हैं और हम कुछ नहीं कर सके। आखिर इससे  बड़ा सवाल और क्या हो सकता है कि आतंकियों के विरुद्ध पठानकोट में दो  बार सशस्त्र आपरेशन खत्म होने के बाद भी तीसरी बार भी आपरेशन करने की जरूरत पड़ी? क्या यह हमारी सुरक्षा तैयारियों पर प्रश्न नहीं खड़ा करते? मीडिया रिपोर्ट के अनुसार जिस समय आतंकियों ने पठानकोट एयरबेस पर हमला किया उस समय चार देशों के 23 विदेशी नागरिक एयरबेस में मौजूद थे। यह वहां ट्रेनिंग लेने आए थे। सुरक्षा एजेंसियों के सामने यह सबसे बड़ी चिन्ता थी कि कहीं ये आतंकियों के हाथों न पड़ जाएं? पश्चिमी कमान के जीओसी इन सीनियर लेफ्टिनेंट जनरल केजे सिंह ने बताया कि विदेशी नागरिक चार मित्र देशोंöनाइजीरिया, श्रीलंका, म्यांमार और अफगानिस्तान के थे। आपरेशन के तीसरे दिन भी आतंकी जिस बिल्डिंग में घुसे थे उसी बिल्डिंग की दूसरी मंजिल पर सात-आठ वायुसेना के कर्मचारी भी थे। सेना के सामने उन्हें सुरक्षित निकालने की चुनौती थी जिस में हमारे सुरक्षा बलों ने शानदार सफलता पाई।

-अनिल नरेन्द्र

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