Thursday 7 January 2016

बिहार में थम नहीं रहा आरजेडी और जेडीयू में वाकयुद्ध

बिहार की राजनीति में राजधानी में कोहरे और ठंड के बावजूद सियासी पारा बढ़ रहा है। राजद पमुख लालू पसाद के बयान के बाद महागठबंधन के दो बड़े दलों के नेता भी आमने-सामने आ गए हैं। बिहार में इंजीनियरों की हत्या के मुद्दे पर सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल आरजेडी द्वारा लगातार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हो रहे हमलों के बाद अब जेडीयू के नेताओं ने भी पलटवार किया है। सीएम को नसीहत देने के बाद लालू तो चुप हो गए हैं किंतु उनकी तरफ से राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवंश पसाद सिंह ने मोर्चा संभाल लिया है। जदयू भी चुप नहीं है। पूर्व मंत्री श्याम रजक ने कहा है कि नीतीश कुमार को किसी निर्देश की जरूरत नहीं है। गुरुवार को पहल रघुवंश पसाद सिंह ने की। सीएम को नसीहत देने का विरोध कर रहे जदयू नेताओं से रघुवंश ने दो टूक कहा कि राजद पमुख ने ठीक सुझाव दिया है। बिहार में अपराध बढ़ रहे है। इंजीनियरों की हत्या हो रही है, फिरौती का धंधा बढ़ रहा है। सरकार में हमारे दल की विशेष भागीदारी है। अच्छे-खराब की जवाबदेही हमारी भी है। जदयू नेताओं की बयानबाजी को रघुवंश बाबू ने खटराग बताया और कहा कि कहा-सुनी से कुछ होने वाला नहीं है। अपराधियों पर तो सख्ती करनी ही पड़ेगी। मुख्यमंत्री का नाम लिए बिना रघुवंश ने कहा और यह सब कौन करेगा? जिनके पास गृह विभाग है। कार्रवाई तो वही करेंगे न? राज्य में अमन-चैन की जिम्मेदारी तो उन्हें ही लेनी पड़ेगी। लालू पसाद द्वारा मुख्यमंत्री को दी गई सलाह की तरफदारी करते हुए रघुवंश ने कहा कि लोग सवाल उठा रहे हैं कि महागठबंधन की सरकार में जब राजद भी शामिल है तो नसीहत किसे दी जा रही है? दूसरी ओर जेडीयू के पवक्ता संजय कुमार सिंह ने कहा है कि नीतीश को किसी लेक्चर की जरूरत नहीं है। नीतीश का ट्रेक रिकार्ड सबके सामने है। बुधवार को उन्होंने रघुवंश पसाद सिंह को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि रघुवंश जब से लोकसभा चुनाव हारे हैं, तबसे उनके दिमाग का संतुलन बिगड़ गया है। नीतीश सुशासन के पतीक हैं। नीतीश कुमार ने समाज के सभी वर्गें को सम्मान दिया है। जहां तक लालू पसाद या रघुवंश द्वारा सलाह देने का सवाल है तो परामर्श तो कोई भी दे सकता है। बुनियादी बात तो यह है कि बिहार में कानून व्यवस्था बिगड़ रही है और जनता में यह भय है कि कहीं बिहार में फिर से जंगलराज न आ जाए। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जिन्हें सुशासन बाबू भी कहा जाता है से उम्मीद की जाती है कि वह बिहार में बढ़ती आपराधिक गतिविधियों पर अंकुश लगाएं और कसूरवार जो भी हो उसे जेल की सलाखों में डालें।

öअनिल नरेंद्र

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