Sunday 17 January 2016

आतंकवाद के खिलाफ पूरी दुनिया को एकजुट होना होगा

पेरिस के आतंकी हमले के बाद आतंकी हमलों का ऐसा सिलसिला शुरू हुआ है कि आए दिन दुनिया के किसी न किसी कोने से ऐसे हमलों की खबरें आ रही हैं। पिछले दो-तीन दिनों से दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में यह आतंकी धमाके कर रहे हैं। पहले तुर्की की राजधानी इस्तांबुल में, फिर पाकिस्तान के क्वेटा में, फिर अफगानिस्तान के जलालाबाद में, फिर इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में और यह सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। देखा जाए तो दिसम्बर में फ्रांस की राजधानी पेरिस में जो धमाके किए गए थे, उसके बाद ऐसे धमाकों या ऐसी कोशिशों का सिलसिला जारी है। ज्यादातर मामलों में आतंकवादी संगठन आईएसआईएस का हाथ है और इनमें आत्मघाती विस्फोट के साथ गोलाबारी करने की रणनीति अपनाई जा रही है। इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में सीरियल बम विस्फोटों की जिम्मेदारी लेकर आईएसआईएस ने अपना भौगोलिक दायरा अचानक बढ़ा दिया है। फ्रांस में हुए भीषण हमले के बावजूद अभी तक इस आतंकी संगठन को पश्चिमी एशिया और उत्तरी अफ्रीका के कुछ देशों तक ही सीमित माना जा रहा था। सीरिया में रूसी हस्तक्षेप के बाद यह भी प्रचारित किया गया कि आईएसआईएस पर दबाव बढ़ रहा है और वह अपनी जमीन खोते जा रहे हैं। इंडोनेशिया पुलिस को यह सूचना काफी पहले से थी कि उसके लगभग 100 नागरिक आईएसआईएस में शामिल हैं, जबकि देश में करीब 1000 लोग इस संगठन के समर्थक हैं। ध्यान रहे कि जेहादी आतंकी संगठनों का इंडोनेशिया में प्रभाव पहले भी कुछ कम नहीं रहा। कुछ मामलों में दूसरे आतंकी संगठनों का नाम भी आ रहा है। जैसे क्वेटा में पाकिस्तानी तहरीक--तालिबान का हाथ है और पूर्वी तुर्की में हुए कार बम धमाकों के पीछे कुर्द विद्रोहियों का हाथ बताया जाता है। आईएसआईएस के आतंकियों की दुनियाभर में इस तरह की सक्रियता से पता चलता है कि आईएसआईएस का जाल कितनी दूर-दूर तक फैला है। ज्यादातर हमलावर या तो सीरिया या इराक में आईएसआईएस की मुहिम में हिस्सा लेकर लौटे नौजवान हैं या फिर अपने ही देश में उन्हें आईएसआईएस की उग्र व हिंसक विचारधारा का समर्थक बनाया गया है। मौजूदा साल 2016 के कुल पहले 15 दिनों में लगभग रोज ही कहीं न कहीं, किसी बड़े आतंकी हमले की खबर आई है, जिनमें तीन तरह के आतंकी संगठनों का हाथ साबित होता है। एक वो जो आईएसआईएस से  जुड़े हैं। दूसरे वे जिनका रिश्ता आज भी अलकायदा से बना हुआ है और तीसरे वे जो किसी न किसी देसी मुहावरे के तहत अपनी आतंकी गतिविधियां संचालित करते हैं। ऐसे हमले भारत के अलावा तुर्की, सीरिया, इराक, लीबिया और अभी इंडोनेशिया में सुनने को मिले हैं। इन हमलों से यह आशंका पुख्ता होती है कि आईएसआईएस ने तमाम देशों में अपने समर्थकों का एक जाल बिछा रखा है, जो कभी भी अपने आकाओं के इशारे पर वारदात करने के लिए तैयार हैं। ये लोग किस कदर कट्टरवादी विचारधारा की गिरफ्त में आ गए हैं, यह इससे पता चलता है कि ज्यादातर हमलों में मानव बमों का इस्तेमाल किया गया है और जिन लोगों ने गोलीबारी की, वे भी मरने के लिए तैयार होकर आए थे। रूस ने तुर्की के इस्तांबुल में हुए आतंकी बम विस्फोटों के बाद दुनिया के सभी देशों से आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होने की अपील की है। रूस के विदेश मंत्रालय ने विस्फोट के बाद जारी एक बयान में कहा कि लगातार बढ़ते आतंकी हमलों को देखते हुए अब सभी देशों को बिना देर किए आतंकवाद के खात्मे के लिए एकजुट हो जाना चाहिए और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर संयुक्त सेना का गठन कर इसके खिलाफ अभियान चलाना होगा। बयान में कहा गया है कि आतंकवाद के जड़ से खात्मे के लिए सभी देशों को संयुक्त होकर जिस सेना का गठन करना होगा उसका प्रारूप सीरिया में आईएसआईएस के खिलाफ छेड़े गए अमेरिकी गठबंधन सेना से भी बढ़कर हो। समय आ गया है कि आतंक से लड़ने के लिए सारी दुनिया एकजुट हो।

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