Sunday, 31 January 2016

प्रश्न शनि शिंगणापुर मंदिर चबूतरे पर महिलाओं के प्रवेश का

भारत की महिलाओं में एक नई ऊर्जा देखने को मिल रही है और अब भारत की महिलाएं पुरुषों से हर क्षेत्र में बराबरी की मांग कर रही हैं। हमारे सामने शनि शिंगणापुर मंदिर के पवित्र चबूतरे पर पूजन कर रही महिलाओं का केस सामने है। महिलाओं का शनि शिंगणापुर के मंदिर के चबूतरे में प्रवेश पर पाबंदी सदियों पुरानी है। हमारे संविधान ने सदियों पहले से हमारे देश में महिलाओं को धर्म और दर्शन में समान अधिकार दिए हैं लेकिन पुजारी इसको मानने को तैयार नहीं हैं। दरअसल गत दिनों भूमाता ब्रिगेड की करीब 400 महिलाओं ने पवित्र चबूतरे पर पूजा करने जाने के लिए पुणे से अहमदनगर के लिए कूच किया था। लेकिन मंदिर से 45 किलोमीटर दूर पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया। शनि शिंगणापुर मंदिर का संचालन न्यासी बोर्ड करता है। बोर्ड के वकील सायाराम बानकर के मुताबिक मंदिर का संचालन बाम्बे पब्लिक ट्रस्ट 1950 के नियम 53 के तहत होता है। चूंकि महाराष्ट्र का विधि और न्याय विभाग मुख्यमंत्री फड़नवीस के पास है, ऐसे में अगर वह चाहें तो विशेष एक्ट पास कराकर मंदिर के नियमों को बदल सकते हैं। उधर ज्योतिष व द्वारिका शारदापीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का कहना है कि शनि पूजा से महिलाओं को कोई लाभ नहीं होने वाला है। शनि शिंगणापुर में दर्शन के लिए महिलाओं के दर्शन के बाबत कहाöमहिलाओं को समाज में समानता का हक मिलना चाहिए लेकिन शनि की पूजा करने से उन्हें कोई लाभ नहीं होगा। मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने पुणे में बुधवार को आंदोलनकारी महिलाओं से मिलकर उनकी मांगों का समर्थन किया। मुख्यमंत्री की पहल को देखते हुए मंदिर के न्यासी बोर्ड ने आंदोलनकारियों से बातचीत करने का संकेत भी दिया है। आरएसएस के नेता एमजी वैद्य ने भी कहा कि मंदिर में शनि भगवान की पूजा करने से महिलाओं को नहीं रोका जाना चाहिए। हालांकि शिवसेना की महिला शाखा ने मंदिर में महिलाओं के पूजा करने पर परंपरागत पाबंदी का समर्थन किया है। कांग्रेसी नेता संजय निरूपम ने भी महिलाओं के साथ हो रहे भेदभाव को गलत बताया। कांग्रेस महासचिव जनार्दन द्विवेदी ने कहा कि शनि शिंगणापुर मंदिर में महिलाओं के पूजा के अधिकार के लिए एक महिला संगठन की पहल की वह सराहना करते हैं। उन्होंने कहा कि सदियों पहले से हमारे देश में महिलाओं को हर क्षेत्र में समान दर्जा मिला हुआ है तो पूजा में क्यों नहीं? अगर यह विवाद जल्द नहीं सुलझता तो मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस और उनकी भाजपा सरकार को इसका हल निकालने हेतु हस्तक्षेप करना पड़ेगा। हम उम्मीद करते हैं कि मसला जल्द सुलट जाएगा।

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