Thursday 21 January 2016

सलविंदर सिंह ड्रग रैकेट में शामिल था, क्या टेरर से भी मिलीभगत थी?

पाठकों को याद होगा कि जब पठानकोट आतंकी हमला हुआ था और गुरदासपुर के एसपी सलविंदर सिंह की भूमिका सामने आई थी तो मैंने इसी कॉलम में लिखा था कि सलविंदर सिंह इस हमले में किसी न किसी रूप में शामिल जरूर है। मेरा अनुमान सही निकला। सलविंदर सिंह सीमा पार से होने वाली ड्रग तस्करी में शामिल था। एनआईए मुख्यालय में उससे छह दिन की पूछताछ में यह साफ हो गया है। सलविंदर सिंह के लोभ के चक्कर में ही उसकी गाड़ी आतंकियों के हाथ लग गई और वे बेरोकटोक आगे बढ़ गए। सलविंदर सिंह का मामला अब फाइनल स्टेज की तरफ बढ़ रहा है। पालीग्राफ टेस्ट कराने के फैसले का मतलब यही है कि संबंधित व्यक्ति पर शक ही नहीं बल्कि अब वह बड़े शक के घेरे में आ चुका है और जांच में सहयोग नहीं कर रहा है। जांच कर रहे अफसरों का भी मानना है कि उन्हें कई जगहों से यह इनपुट मिली है कि सलविंदर के तार ड्रग सिंडिकेट से जुड़े हैं। वह पाकिस्तान से आने वाले नशीले पदार्थों की खेप को पार लाने, कुछ दिन छिपाने और फिर खेप को आगे ले जाने में मदद करता था। इस खेप की एवज में उसे पैसे मिलते थे। कईं बार पैसे की जगह हीरे की ज्वैलरी भी दी जाती थी। ज्वैलर राकेश वर्मा को अपने साथ ले जाने के पीछे यही कारण था कि वह तत्काल हीरे की पहचान कर उसकी कीमत बता देता था। जांच से जुड़े एनआईए अधिकारियों को संदेह है कि आतंकियों को ड्रग तस्कर समझकर ज्वैलर राकेश वर्मा (जो गाड़ी चला रहा था) ने गाड़ी धीमी कर दी थी। इसका फायदा उठाकर आतंकियों ने उन्हें कब्जे में ले लिया। यही कारण है कि आतंकियें ने उन्हें जान से मारने की कोशिश नहीं की। राकेश वर्मा के अलावा दो और ज्वैलर भी इस सिंडिकेट में शामिल थे। सलविंदर अपने दो कुक और दो-तीन लोकल लोगों की मदद भी लेता था। ड्रग के बड़े कारोबारियों के अलावा छोटे पैडलर्स से भी मदद ली जाती थी। इस पूरे सिंडिकेट के कई लोगों के बारे में एनआईए को जानकारी मिली है। यह भी कन्फर्म हो रहा है कि सलविंदर अपने कुक मदन गोपाल और ज्वैलर राकेश वर्मा को लेकर 31 दिसंबर की रात बनियाल इलाके की दरगाह पर डील के लिए ही गया था। वहीं का समय दिया गया था। एनआईए कुक और दरगाह के बाबा को आमने-सामने बैठाकर सलविंदर से पूछताछ कर चुकी है। सलविंदर के बयान उनसे मेल नहीं खा रहे हैं। यही नहीं, उनकी गतिविधियों के बारे में जुटाए गए इलेक्ट्रोनिक सबूत भी बयान से मेल नहीं खा रहे हैं। जैसे सलविंदर नौ बजे दरगाह पर जाने की बात पर अड़े हैं जबकि एक टोल प्लाजा पर रात साढ़े दस बजे उनकी गाड़ी जाती देखी गई। इस टोल प्लाजा से दरगाह का रास्ता एक घंटे का है। इसके अलावा सलविंदर इस बात का भी ठोस जवाब नहीं दे पा रहा है कि लौटते समय लंबा रास्ता उन्होंने क्यों लिया, जबकि रात काफी हो गई थी? 31 दिसंबर की रात सलविंदर बनियाल इलाके की दरगाह पर डील के लिए ही गया था। वहीं का समय दिया गया था। पिछली खेप का पेमेंट लिया जाना था और ताजा खेप आगे पार लगानी थी। लेकिन जो लोग आए वे ड्रग माफिया के लोगों की बजाय आतंकी निकले? सलविंदर ने अभी तक कुछ स्वीकार नहीं किया है। वह जांच अफसरों के सवालों के जवाब या तो घुमा देता है या जवाब देता ही नहीं है। अपनी सिक्यूरिटी और ड्राइवर के बजाय बार्डर एरिया में, इतनी घनी रात में कुक और एक ज्वैलर को साथ क्यों ले गये? इसका जवाब सलविंदर से अभी तक नहीं मिला। सलविंदर का लाई डिटेक्टर टेस्ट मंगलवार को पूरा हो गया है। इसके साथ ही जरूरत पड़ने पर एनआईए सलविंदर के कुक और दरगाह के बाबा व राजेश वर्मा का भी लाई डिटेक्टर टेस्ट करा सकती है। सलविंदर का लाई डिटेक्टर टेस्ट बुधवार को भी जारी रहेगा। देखें कि लाई डिटेक्टर टेस्ट कितना सफल होता है और सच्चाई सामने आती है या...?

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