Thursday, 7 January 2016

पर्रिकर की स्वीकारोक्ति हमसे चूक हुई है, एसपी सलविन्दर सिंह शक के घेरे में

रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने मंगलवार को पठानकोट एयरबेस पर हमले के बारे में कहा कि सभी छह आतंकवादी मारे जा चुके हैं। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि कुछ कमियां थीं जिसकी वजह से यह हमला हुआ। पठानकोट एयरबेस का दौरा करने के बाद उन्होंने यह भी कहा कि अंदर फिलहाल कोई संदिग्ध आतंकी नहीं है। मैं तलाशी अभियान के पूरे होने तक कोई नकारात्मक fिरपोर्ट नहीं दूंगा। पहले ही गलत रिपोर्ट देने में सरकार की बहुत किरकिरी हो चुकी है। रक्षा मंत्री ने कहा कि आतंकवादियों के पास एके-47, अंडर ग्रेनेड, बैरेल लांचर, स्विस एवं कमांडो चाकू, 40-50 किलोग्राम गोलियां, 3-4 दर्जन और मोर्टार थे। मारे गए आतंकियों ने पाकिस्तानी मशहूर ब्रांड (झ्घ्णिं्ध्ऊ) के जूते पहन रखे थे। आतंकियों द्वारा पाकिस्तानी नंबर से ही किए गए फोन काल्स थे। इन्हीं के पास से मिले पाकिस्तान के फोन नंबर। हमले से पहले और हमले के बाद पाकिस्तान की गई फोन काल्स की डिटेल्स भी सुरक्षा एजेंसियों के पास आ चुकी है। बरामद हथियार पाकिस्तान में ही बने थे। आतंकियों के कब्जे से पाकिस्तानी बैट्री भी मिली। उधर पाकिस्तानी आतंकियों के चुंगल से बच निकले गुरदासपुर पुलिस एसपी सलविन्दर सिंह जो शक के घेरे में हैं से राष्ट्रीय जांच एंजेंसी (एनआईए) की टीम हमले और उसमें संलिप्त आतंकियों के बारे में विस्तृत पूछताछ करेगी। हम पहले दिन से ही कह रहे हैं कि एसपी सलविन्दर सिंह से कड़ी पूछताछ होनी चाहिए। पूरे मामले में कहीं न कहीं मिलीभगत जरूर है। आतंकवादियों को खदेड़ने में इतना समय क्यों लगा इसका एक एक्सपलेनेशन एक पूर्व जनरल ने दिया। सवाल आपरेशन पूरा करने में इतना वक्त क्यों लगा है? जवाब ः एयरबेस की सुरक्षा के कोर्डिनेशन में बड़ी कमी उभर कर सामने आई है। एयरफोर्स इसकी सुरक्षा देखता है। अब आर्मी बुलाई गई। एयरफोर्स कर्मियों की ट्रेनिंग में वन टू वन काम्बेट शामिल नहीं है। अगर हम जल्दबाजी करते तो हमें ही ज्यादा नुकसान हो सकता था। एयरबेस काफी लंबे क्षेत्रफल में फैला हुआ है। सरकंडा लगा हुआ है। एक-एक इंच को जांचने में समय लगता है। सवाल हमने काम्बेट ऑपरेशन में एक साल में दो कर्नल और अब ले. कर्नल खो दिए। क्या हमारे आपरेशन पोसीजर में कमी आई है? जवाब ः सेना में आफिसर जवानों के आगे ही चलता है। हां, ये देखना जरूरी है कि किसी घटना में सीनियर आफिसर शहीद हुआ तो उसने बुलेट पूफ पहना था या नहीं? दुश्मन अब कंधे पर रैंक देखकर फायर करता है। एक साल में पंजाब में यह दूसरा बड़ा हमला है। आतंकियों का कश्मीर से शिफ्ट क्यों? पाकिस्तान कश्मीर मसले को अब जम्मू और पंजाब लाना चाहता है। हमें लगता है आतंकवाद की संवेदना कश्मीरी मुसलमानों के लिए है पर पाक की नजर भारत की नदियों पर है। पाक के जितने न्यूक्लियर प्लांट है वो उन नदियों के किनारे हैं जिनका कंट्रोल भारत के पास है। कश्मीर में अब ह्यूमन राइट्स और मोमबत्ती जलाने वाले लोग ही बचे हैं। आतंकियों ने पठानकोट एयरबेस इसलिए चुना क्योंकि यह बार्डर से महज 25 किलोमीटर दूर है। यहां पहुंचना आसान है। यहां एयरफोर्स के 18 विंग हैं। मिग-21, मिग-29 और अटैक काप्टर तैनात हैं। यहां से चीन की भी निगरानी होती है। इस पर हमला करने से दुनिया को संदेश जाता है। सेना की वर्दी सीमा पार से आने वाले आतंकियों के लिए अचूक हथियार साबित हो रही है। सरकार व जिला पशासन की लापरवाही के कारण आतंकी इसका लाभ उठा रहे हैं। दरअसल सैन्य वर्दी को बेचने और खरीदने पर पतिबंध के बावजूद इसे दुकानों से आसानी से खरीदा जा सकता है। पठानकोट हमले के सबसे बड़े हीरो भारतीय सेना के हवलदार जगदीश चंद्र रहे। आतंकी दो गुटों में दाखिल हुए। चार आतंकियों की पहली टुकड़ी डीएससी मेस की ओर गई। उन्होंने वहां नाश्ता बनाते हुए जवानों पर फायरिंग की। तीन जवान शहीद हो गए। फिर आतंकी आगे की ओर भागे। इस बीच मेस में खाना बना रहे हवलदार जगदीश चंद्र निहत्थे ही आतंकियों के पीछे दौड़े। उन्होंने आतंकियों को ललकारा और एक को पकड़ लिया। थोड़ी देर गुत्मगुत्था हुआ फिर उसकी राइफल से उसे ही गोली मार दी पर इस बीच तीन आतंकी पलट कर जगदीश के पास पहुंचे और उन्हें छलनी कर दिया। इससे हमें 26/11 का मुंबई हमला याद आ गया जब कसाब को इसी तरह जिंदा पकड़ा था पिंगले ने और खुद मारे गए पर अमर हो गए।

No comments:

Post a Comment